Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 08:00 AM
सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों का पेट भरने के लिए चलाई जा रही मिड-डे मील योजना पर संकट के बादल छा गए हैं। 3 माह से योजना को सुचारू ढंग से चलाने के लिए पैसे न आने पर अध्यापकों ने अब अपनी जेबों से पैसा खर्चने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
अमृतसर (दलजीत): सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों का पेट भरने के लिए चलाई जा रही मिड-डे मील योजना पर संकट के बादल छा गए हैं। 3 माह से योजना को सुचारू ढंग से चलाने के लिए पैसे न आने पर अध्यापकों ने अब अपनी जेबों से पैसा खर्चने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
हालात ऐसे पैदा हो गए हैं कि जिला अमृतसर सहित दूसरे जिलों में मिड-डे मील योजना कभी भी बंद हो सकती है। जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए साल 2003 में मिल-डे मील योजना शुरू की थी। पंजाब में योजना शुरू होने के बाद स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में एकदम भारी वृद्धि हुई थी। योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों को पौष्टिक आहार देकर शिक्षा दी जानी थी। भारत सरकार योजना को सुचारू ढंग से चलाने के लिए हर बार समय पर राशि भज रही है, बावजूद इसके राज्य सरकार स्कूलों को पैसे नहीं दे रही है। जिला अमृतसर की बात करें तो यहां सरकारी प्राइमरी, मिडल, हाई और सीनियर सैकेंडरी आदि 1365 स्कूलों में 1.50 लाख से ज्यादा विद्यार्थी योजना के अंतर्गत मिड-डे मील खा रहे हैं।
विभाग द्वारा जिले के कई स्कूलों को 3 माह से योजना को चलाने के लिए पैसा न देने के कारण अध्यापक अपनी जेब से पैसा खर्च करके योजना चला रहे हैं। शिक्षा विभाग योजना के अंतर्गत स्कूलों को पैसे तो समय पर दे नहीं रहा बल्कि विभाग के अधिकारी योजना को पैसों की कमी के बावजूद हर हालत में चालू रखने संबंधी पत्र जारी कर रहे हैं।
अध्यापक जत्थेबंदियों से इस संबंध में जब बातचीत की गई तो उनमें उक्त मामले बारे काफी रोष देखने को मिला। इस संबंधी जब जिला शिक्षा अधिकारी एलीमैंटरी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जब सरकार पैसे भेजती है तो उसे स्कूलों को तुरंत जारी कर दिया जाता है।