Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 02:58 PM
सडक़ हादसों,चोरों से बरमद तथा अन्य लावारिस मिले वाहनों को अदालत में केस चलते रहने तक संभाल कर रखने की जरूरत रहती है। पर जिस तरह से गुरदासपुर मुख्यालय पर यह वाहन सम्भाल कर रखे जाते हैं। उससे यह बात यकीनी है कि यदि पुलिस कर्मचारियों को ही पूछा जाए कि...
गुरदासपुर(विनोद):सडक़ हादसों,चोरों से बरमद तथा अन्य लावारिस मिले वाहनों को अदालत में केस चलते रहने तक संभाल कर रखने की जरूरत रहती है। पर जिस तरह से गुरदासपुर मुख्यालय पर यह वाहन सम्भाल कर रखे जाते हैं। उससे यह बात यकीनी है कि यदि पुलिस कर्मचारियों को ही पूछा जाए कि किस केस में कौन से वाहन की जरूरत है तो शायद आसानी से वह भी इस संबंधी सही जानकारी न दे सकें।
गुरदासपुर जिला पुलिस को बेहतर कारगुजारी के लिए बार्डर रेंज अधीन आने वाले सभी रेंज में सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया था। यदि इन पुलिस के कब्जे में रखे वाहनों को देखा जाए तो एैसे लगता है कि पुलिस शायद इन अदालती केसों में शामिल वाहनों के बारे में भूल चुकी है। बडी संख्या में यह स्कूटर,मोटरसाइकिल,कारें,ट्रक सहित अन्य वाहन पुराने बस स्टैंड के पास सिटी पुलिस स्टेशन की पुरानी इमारत मे लावारिस पड़े हैं। इनकी देखरेख करने वाला कौई नही है, जिसे भी किसी वाहन के किसी हिस्से की जरूरत हो वह यहां से आसानी से प्राप्त कर सकता है।
इस वाहनों को जिस ढंग से रखा गया है उससे ही स्पष्ट हो जाता है कि यह वाहन शायद पुलिस के लिए एक मुसीबत हैं। यदि यही वाहन ढंग से सम्भाल कर रखें हो तो आने वाले समय में यदि इनको प्रशासन नीलाम करे तो करोड़ों रुपये की आय हो सकती है। पंरतु इस संबंधी कौई भी विभाग गम्भीर नहीं है। इसी तरह पुराने सिटी पुलिस स्टेशन में सहित गुरदासपुर सदर पुलिस स्टेशन में भी बड़ी संख्या में यह वाहन पड़े हुए हैं।
क्या कहते है डी.एस.पी. सिटी आजाद दविन्द्र सिंह
इस संबंधी जब डी.एस.पी. आजाद दविन्द्र सिंह से बात की गई तो उन्होने कहा कि जब तक अदालत मे केस चलता है । उस केस मे संलिप्त वाहन को पुलिस को अपने कब्जे मे रखना पड़ता है या मालिक को सुपुर्द करना पड़ता है। जितने भी वाहन पुलिस के पास पड़े है। उसका सारा रिर्काड बना होता है। जरूरत पडऩे पर वाहन को अदालत मे पेश भी करना पड़ता है। उन्होने कहा कि इन वाहनों की सुरक्षा संबंधी ठोस व्यवस्था की जाएगी।