लुधियाना हादसाः भावाधस नेता को ऐसे दी अंतिम विदार्इ की मिसाल बन गर्इ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 11:29 AM

ludhiana building collapse

सूफियां चौक स्थित एमर्सन पोलिमर्स के मालिक इंद्रजीत गोला की फैक्टरी में सोमवार को हुई आगजनी की घटना की सूचना मिलने पर मदद के लिए गए भावाधस नेता लक्ष्मण द्रविड़ की भी मलबे में दबने कारण दर्दनाक मौत हो गई। जिनका मंगलवार को अंतिम संस्कार किया गया। इस...

लुधियाना(कंवलजीत, राजपाल, हितेश): सूफियां चौक स्थित एमर्सन पोलिमर्स के मालिक इंद्रजीत गोला की फैक्टरी में सोमवार को हुई आगजनी की घटना की सूचना मिलने पर मदद के लिए गए भावाधस नेता लक्ष्मण द्रविड़ की भी मलबे में दबने कारण दर्दनाक मौत हो गई। जिनका मंगलवार को अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान इतना जनसैलाब उमड़ा कि शिवपुरी स्थित श्मशानघाट में जगह कम पड़ गई और लोगों के हर तरफ छत पर जाकर खड़े होने के बावजूद आखिरी समय तक श्मशानघाट के अंदर-बाहर जगह की कमी रही। इस कारण कई लोग तो बाहर जाम में फंसे रहे और आखिरी समय तक अंदर नहीं जा सके। इस हालात को देखते हुए भारी मात्रा में पुलिस फोर्स तैनात की गई थी। इस मौके पर द्रविड़ के पुत्रों लव व कुश ने उनको मुखाग्नि दी जबकि समाज के सभी वर्गों से हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों ने उनको नम आंखों से अंतिम विदाई दी। 

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वाल्मीकि समाज ने खो दिया अनमोल हीरा
प्रभु रतनाकर जी, भावाधस के विजय दानव, चौधरी यशपाल, मोहनवीर चौहान, देव राज, नेता जी, राजिन्द्र हंस, रोहित सहोता, विमल भट्टी ने कहा कि लक्ष्मण द्रविड़ के निधन से वाल्मीकि समाज ने अनमोल हीरा खो दिया है क्योंकि द्रविड़ की पहल हमेशा सबको साथ लेकर चलने की रही और वह वाल्मीकि समाज व भावाधस की तरक्की के लिए हर समय मेहनत करते थे।

PunjabKesariशोक में बंद रहे कई बाजार
लक्ष्मण द्रविड़ की पार्थिव देह को पहले सिविल अस्पताल से उनके घर ले जाया गया और फिर नगर निगम मेन आफिस के रास्ते शव यात्रा शिवपुरी श्मशानघाट तक पहुंची। जहां रास्ते में भदौड़ हाऊस, ए.सी. मार्कीट, माता रानी चौक, प्रताप बाजार, पुरानी सब्जी मंडी, चौड़ा बाजार की दुकानें शोक में बंद रखी गईं।

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हर किसी ने बताया मिलनसार
लक्ष्मण द्रविड़ की मौत एक दोस्त की फैक्टरी में आग लगने की सूचना मिलने पर मदद के लिए जाने दौरान बिल्डिंग के नीचे दबने कारण हुई। उनका शव जब तक मलबे से नहीं निकाला गया, हजारों लोग लगातार 12 घंटे तक मौके पर मौजूद रहे और जो वहां नहीं आए वे फोन पर उनकी सलामती की खबर लेते रहे। सोमवार को मौत होने के बाद अंतिम संस्कार तक मिलने वाले हर किसी ने लक्ष्मण द्रविड़ को यारों का यार बताया, क्योंकि वह कभी किसी की मदद से पीछे नहीं हटे थे। हर कोई उनकी यादें ताजा कर आंसू बहा रहा था। 


परिवार का थे एकमात्र सहारा, रो-रो कर हुआ बुरा हाल
लक्ष्मण द्रविड़ अपने पीछे पत्नी तमसा, बेटी कैकसी व बेटे लव-कुश छोड़ गए हैं। वह परिवार का एकमात्र सहारा थे। उन्होंने हैल्थ वर्कर से चीफ सैनेटरी इंस्पैक्टर तक का सफर तय किया तो अपने भाइयों व अन्य सगे-संबंधियों के परिवारों को आगे ले जाने को भी पूरी पहल दी। परिवार का कहना है कि उनका तो सब कुछ ही उजड़ गया है, जो कमी कभी पूरी नहीं हो सकती, क्योंकि किसी ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इस तरह अचानक छोड़कर चले जाएंगे। यह अहसास करके ही परिवार के मैंबर बुरी तरह बिलख रहे थे और किसी से उनकी हालत देखी नहीं गई।

मिलनसार स्वभाव के लिए किया जाएगा याद
लक्ष्मण द्रविड़ की कमी परिवार के अलावा सामाजिक मित्रों में भी हमेशा खलती रहेगी, क्योंकि वह भावाधस नेता होने के कारण वाल्मीकि समाज के अलावा म्युनिसिपल कर्मचारी के प्रधान होने के नाते नगर निगम मुलाजिमों के भी हर समय सम्पर्क में रहते थे। इसी तरह उन्होंने समाज के हर वर्ग में अ‘छी पकड़ बनाई हुई थी। जहां वह हमेशा मिलनसार स्वभाव के लिए याद किए जाएंगे, क्योंकि उनके इस तरह जाने से किसी को यकीन नहीं हो रहा। 


 

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