Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jan, 2018 05:48 PM
आई.सी.पी. अटारी बार्डर व रिट्रीट सैरेमनी स्थल के आस-पास के इलाके की रेकी करते हुए पकड़े गए तीनों कश्मीरी युवाओं के मामले में एस.एस.पी. देहाती पुलिस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस से मदद मांगी है और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम जल्द ही अमृतसर आकर आरोपी तीनों...
अमृतसर(नीरज): आई.सी.पी. अटारी बार्डर व रिट्रीट सैरेमनी स्थल के आस-पास के इलाके की रेकी करते हुए पकड़े गए तीनों कश्मीरी युवाओं के मामले में एस.एस.पी. देहाती पुलिस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस से मदद मांगी है और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम जल्द ही अमृतसर आकर आरोपी तीनों कश्मीरी युवाओं की जांच भी करेगी।
जानकारी के अनुसार कस्टम विभाग सहित अन्य सुरक्षा एजैंसियों की तरफ से आरोपी तीनों युवाओं से की गई शुरूआती जांच में पता चला था कि एक युवक की जम्मू-कश्मीर के कुछ आतंकी संगठनों के साथ जुड़े होने की संभावना हो सकती है, जिसके बाद मामले की जांच कर रही पंजाब पुलिस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस से उक्त तीनों युवाओं का रिकार्ड मंगवा लिया है और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम भी पंजाब पुलिस की मदद के लिए अमृतसर आ रही है।
पकड़े गए तीनों कश्मीरी युवाओं को सुबह 10 बजे के करीब आई.सी.पी. अटारी के कस्टम नोटिफाइड एरिया में पकड़ा गया था, हालांकि तीनों युवाओं से किसी प्रकार के हथियार या फिर आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली है, लेकिन सुरक्षा एजैंसियों के अधिकारियों के अनुभव की बात करें तो पता चलता है कि किसी इलाके की रेकी करने वाले आतंकी या फिर आतंकियों के मुखबिर रेकी करते समय अपने साथ किसी भी प्रकार का हथियार लेकर नहीं चलते हैं, बल्कि संबंधित इलाके के लोगों की वेशभूषा व पहरावा पहनकर उनके साथ घुल-मिल कर इलाके की रेकी करते हैं और फिर सारी जानकारी अपने पीछे बैठे आकाओं तक पहुंचा देते हैं।
रेकी करने व इलाके की सारी जानकारी इकट्ठा करने के बाद आतंकी हमले जैसी वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई जाती है।सुरक्षा एजैंसियों के अनुभवी अधिकारियों की मानें तो रेकी करने वाली टीम आतंकी हमला करने वाली टीम से बिल्कुल अलग होती है और दोनों के काम भी अलग-अलग होते हैं। इस संबंध में तीनों आरोपी कश्मीरी युवाओं की जांच करने वाले अधिकारियों का कहना है कि पकड़े गए आरोपियों से उनके आधार कार्ड, आई.डी. प्रूफ आदि सभी सही दस्तावेज मिले हैं, आरोपी एक छोटी कार के जरिए अमृतसर पहुंचे थे, लेकिन सुरक्षा एजैंसियों को इस बात का सही उत्तर नहीं मिल रहा है कि सुबह के समय 10 बजे जब आई.सी.पी. व बार्डर फैंसिंग के आसपास घनी धुंध छाई हुई थी तो उक्त आरोपी क्या कर रहे थे।
सभी को पता है कि फैंसिंग के 500 मीटर के दायरे में कोई भी सिविल व्यक्ति मूवमैंट नहीं कर सकता है और बी.एस.एफ. चाहे तो फैंसिंग के पास घूमने वाले संदिग्ध व्यक्ति को गोली भी मार सकती है। इतना ही नहीं अटारी बार्डर के 20 किलोमीटर पीछे से ही सारा इलाका सेना व बी.एस.एफ. हैडक्वार्टर का है। इस इलाके में रहने वाले सभी लोगों को भी पता है कि बी.एस.एफ. व पाकिस्तान रेंजर्स के बीच होने वाली परेड सुबह 10 बजे नहीं, बल्कि शाम को 4.30 बजे के बाद होती है। ऐसे में आरोपी तीनों कश्मीरी युवकों ने क्या फैंसिंग के पास जाते समय किसी से भी परेड के समय की जानकारी नहीं ली, आदि कुछ ऐसे सुलगते सवाल हैं, जिनसे शक होता है कि आरोपी युवाओं का किसी आतंकी संगठन के साथ कनैक्शन न हो।इस संबंध में एस.एस.पी. (देहाती) परमपाल सिंह का कहना है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच टीम की रिपोर्ट के बाद ही आरोपी तीनों कश्मीरी युवाओं पर अगली बनती कार्रवाई की जाएगी।
हर रोज परेड देखने आ रहे हैं 50 हजार से ज्यादा टूरिस्ट
आई.सी.पी. अटारी व ज्वाइंट चैक पोस्ट अटारी की बात करें तो आई.सी.पी. अटारी के रास्ते से ही हर रोज सैंकड़ों की संख्या में भारत-पाक के बीच ट्रकों का आवागमन होता है और पाकिस्तान को एक्सपोर्ट के लिए जाने वाले ट्रक इसी रास्ते से पाकिस्तान जाते हैं तथा पाकिस्तानी ट्रक इसी रास्ते भारतीय आई.सी.पी. में आते हैं। वहीं ज्वाइंट चैक पोस्ट यानी बी.एस.एफ. व पाकिस्तान रेंजर्स के बीच होने वाली परेड के स्थल की बात करें तो हर रोज यहां पर 50 हजार के करीब टूरिस्ट परेड देखने के लिए आते हैं और देशभक्ति के रंग में रंगकर वापस जाते हैं।
परेड के दौरान जब बी.एस.एफ. के जवान चलते हैं तो परेड देखने वाले टूरिस्टों का देशभक्ति का जज्बा देखने वाला होता है, यहां तक कि विदेशी टूरिस्ट भी हिन्दुस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाते नजर आते हैं, लेकिन आतंकी संगठनों के निशाने पर चल रहे ज्वाइंट चैक पोस्ट में यदि किसी प्रकार की सुरक्षा संबंधी लापरवाही होती है तो एक बड़ी दुर्घटना सामने आ सकती है। परेड के दौरान यदि ज्वाइंट चैक पोस्ट के बाहर भी किसी प्रकार का धमाका होता है तो बड़ा नुक्सान हो सकता है। यही कारण है कि देहाती पुलिस ने तीनों कश्मीरी युवाओं के मामले की जांच में जम्मू-कश्मीर पुलिस को शामिल किया है ताकि इस मामले की जांच में किसी भी प्रकार की चूक न रह जाए।