Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jan, 2018 12:10 PM
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के उच्चाधिकारियों द्वारा 10वीं व 12वीं के परीक्षा केन्द्र बदलने की नीति अपनाने के कारण पंजाब के स्कूलों में हड़कंप मचा हुआ है। बोर्ड की नीति के तहत सभी स्कूलों के विद्यार्थी अब अपने स्कूलों के परीक्षा केन्द्रों में पेपर देने...
बिलासपुर/निहाल सिंह वाला (जगसीर/बावा): पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के उच्चाधिकारियों द्वारा 10वीं व 12वीं के परीक्षा केन्द्र बदलने की नीति अपनाने के कारण पंजाब के स्कूलों में हड़कंप मचा हुआ है। बोर्ड की नीति के तहत सभी स्कूलों के विद्यार्थी अब अपने स्कूलों के परीक्षा केन्द्रों में पेपर देने की बजाय किसी बाहरी परीक्षा केन्द्र में पेपर देने के लिए जाएंगे।
इसका अध्यापकों, विद्यार्थियों के माता-पिता तथा स्कूल प्रबंधक द्वारा विरोध किया जा रहा है कि बोर्ड के इस फैसले से 3500 परीक्षा केन्द्रों के करीब 9 लाख विद्यार्थी परेशान होंगे। शिक्षा बोर्ड के कर्मचारी भी इस नीति का विरोध कर रहे हैं, लेकिन बोर्ड के चेयरमैन-कम-शिक्षा सचिव इस संबंध में किसी की भी दलील सुनने को तैयार नहीं हैं। सफर करके दूसरे स्कूलों में जाने के कारण विद्यार्थी मानसिक तौर पर भी प्रभावित होंगे, जिससे उनसे बढिय़ा कारगुजारी की उम्मीद नहीं रखी जा सकती है। इस तरह 3500 परीक्षा केन्द्रों के लाखों विद्यार्थी बुरी तरह से प्रभावित होंगे।
अभिभावक व अध्यापकों के लिए सिरदर्दी
यदि नई नीति लागू की जाती है तो पंजाब के करीब 9 लाख विद्यार्थी प्रभावित होंगे। मैट्रिक परीक्षा में करीब 5 लाख व 12वीं की परीक्षा में करीब 4 लाख विद्यार्थी परीक्षा में बैठेंगे। इससे विद्यार्थियों के माता-पिता को अपने बच्चे को केन्द्रों तक पहुंचाने का प्रबंध करना पड़ेगा। लड़कियों के लिए रोजाना बाहरी केन्द्रों में जाना माता-पिता व अध्यापकों के लिए सिरदर्दी बनेगी।
नकल रोकना महज बहाना
शिक्षा अधिकारी इस नीति से नकल को जड़ से खत्म करने का दावा करते हैं, लेकिन बोर्ड व शिक्षा विभाग के अधिकारी उडऩदस्तों, आब्जर्वरों व परीक्षा स्टाफ की तैनाती खुद करते हैं। यदि फिर भी नकल खत्म नहीं होती तो इसकी क्या गारंटी है कि ऐसा करके अधिकारी नकल को खत्म कर देंगे।
शिक्षा माहिरों के क्या हैं विचार?
पूर्व प्रिं. भूपिन्द्र सिंह ढिल्लों ने कहा कि हमारे अधिकारी क्षेत्र की समस्याओं के गंभीर मंथन के बिना ही दफ्तर में बैठकर फैसले करते हैं। इससे देहाती क्षेत्रों में बड़ी दिक्कतें पेश आती हैं। परीक्षा केन्द्र बदलने का फैसला पूरी तरह से गलत है तथा इसको वापस लिया जाना चाहिए। शिक्षा बोर्ड, शिक्षा विभाग व प्रशासन को लोक हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों का स्टाफ पूरा करके बोझल सिलैबस को तर्कसंगत बनाकर तथा स्कूलों को जरूरी सहूलियतें देकर ही नकल का खात्मा संभव है। घटिया नतीजों के लिए अध्यापकों को कोसने की बजाय सरकार अपनी नाकामियां दूर करे।