Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Nov, 2017 09:11 AM
पंजाब सरकार के खजाने का कमाऊ पूत माने जाने वाला एक्साइज विभाग जिसकी मुख्य कमाई का स्रोत शराब व होटल हैं, के खजाने पर बाहर की शराब ने सेंध लगानी शुरू कर दी है, नतीजन अमृतसर सर्कल में शराब की कीमतें आधी के करीब रह गई हैं।
अमृतसर (इन्द्रजीत): पंजाब सरकार के खजाने का कमाऊ पूत माने जाने वाला एक्साइज विभाग जिसकी मुख्य कमाई का स्रोत शराब व होटल हैं, के खजाने पर बाहर की शराब ने सेंध लगानी शुरू कर दी है, नतीजन अमृतसर सर्कल में शराब की कीमतें आधी के करीब रह गई हैं। उदाहरण के तौर पर यदि एक ब्रांडेंड कैटागरी व मध्यम कीमत की शराब, जिसकी बिक्री 650 रुपए निश्चित की गई है, इस समय उसकी ठेके पर ही सेल 300-350 के करीब है।
दूसरी ओर प्रथम श्रेणी और न्यून श्रेणी की शराब भी 40 से 60 प्रतिशत कम कीमतपर बिक रही है। बड़ी बात है कि इतनी कम कीमत होने पर भी बाजार में ग्राहकों की कमी है और ठेकेदार सेल मेनटेन नहीं रख पा रहे है। यही स्थिति रही तो आने वाले समय में ठेकेदारों का घाटा और बढ़ जाएगा, जिससे रैवेन्यू पर भी मार पड़ सकती है।
पुराने शहर में बिक रही बड़ी मात्रा में बाहर की शराब
अमृतसर का पुराना शहर जो 12 गेटों के अंदर है, में शराब के ठेकों पर प्रतिबंध होने के कारण बाहर की शराब की बड़ी मात्रा यहां खप जाती है। 8 कि.मी. के घेरे में आने वाला पुराने शहर का क्षेत्र जिसकी काफी गलियां है, के अंदर अमृतसर की पूरी आबादी का एक तिहाई भाग रहता है। यहां इतनी घनी आबादी है कि दो नंबर में माल ले जाने वालों की चैकिंग तक नहीं हो सकती और भीड़-भाड़ का फायदा उठाकर पैदल और साइकिलों पर सवार ही शराब ढोने का काम करते हैं। बड़ी बात है कि पुराने शहर में सैंकड़ों होटल हैं जिनमें भारी संख्या में टूरिस्टों रहते हैं। इन होटलों में भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो बाहर से शराब लाकर सप्लाई करते हैं जिसका पूरा नुक्सान उन ठेकेदारों को होता है जो करोड़ों रुपए की सरकार को किस्तें भरते हैं।
पुलिस वाले 2 नंबर के धंधेबाजों के बने गाइड
दूसरी ओर 2 नंबर की शराब पकडऩे के लिए पुलिस की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है। अपना नाम न बताने की शर्त पर एक्साइज विभाग के अधिकारियों तथा शराब के ठेकेदारों ने कहा कि पुलिस वाले 2 नंबर के धंधेबाजों के गाइड बन चुके हैं और उन्हें बाहर की शराब लाने में पूरा सहयोग देते हैं। शराब के अवैध धंधेबाज एक्साइज विभाग की आंखों में धूल झोंक कर पुलिस के सहयोग से बड़ी मात्रा में शराब की खेपें लाते हैं। यह भी बताया गया है कि यदि ठेकेदार अथवा विभाग पुलिस को सूचना भी दे देता है तो पुलिस इस नजर अंदाज कर देती है।
हर ठेकेदार को पल्ले से देना पड़ रहा एक करोड़ प्रतिमाह
शराब की कीमतों के बुरी तरह टूटने से ठेकेदारों का घाटा एक करोड़ रुपए प्रतिमाह तक पहुंच चुका है। इससे भी बड़ी बात है कि इतने बड़े घाटे के बावजूद शराब की सेल बढ़ नहीं रही। ठेकेदारों का घाटे की यदि स्थिति यही रही तो आने वाले समय में एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग को दी जाने वाली टैक्स की किस्तें भी खतरे में पड़ जाएंगी।
हरियाणा व चंडीगढ़ से आ रही है सस्ती शराब
चंडीगढ़ व हरियाणा में शराब की कीमत जो पहले ही काफी कम थी, के कारण वहां से पंजाब में शराब लाने वाले तस्कर अपना सैल बना चुके थे। पूर्व समय में जब शराब की स्टैंडर्ड की बोतल 650 रुपए थी तब 2 नंबर में यही बोतल 250 रुपए में उपरोक्त स्थानों से आती थी। इसमें 150 रुपए का मुनाफा चढ़ाकर इसे 400 रुपए में बेच दिया जाता था और खपतकार को 250 रुपए की बचत हो जाती थी। वर्तमान समय में जब ठेकेदार ने ही इसकी कीमत 300 से 350 रुपए कर दी है तो बाहर से आने वाली शराब भी 225 रुपए की बोतल धंधेबाज को मिल जाती है और 300 रुपए से कम रेट पर होम डिलीवरी भी मिल जाती है, ऐसी परिस्थिति में ठेकेदार द्वारा की गई कम कीमत भी कोई मायने नहीं रखती है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में ए.ई.टी.सी.-1 तेजबीर सिंह सिद्धू, ए.ई.टी.सी.-2 मैडम राजविन्द्र कौर, ई.टी.ओ. एक्साइज सुखविन्द्र सिंह से सम्पर्क करने पर उन्होंने बताया कि विभाग ठेकेदारों में कई बार पूल करवा चुका है और आगे भी इसकी कोशिश जारी रहेगी ताकि सरकार को मिलने वाले रैवेन्यू का नुक्सान न हो किन्तु कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो ठेकेदार व पुलिस ही हल कर सकते हैं। बहरहाल विभाग अपने प्रयास जारी रखेगा।