करोड़ों की जमीन पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा अवैध

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 01:25 PM

illegal possession of congress party on crores of land

अपने ही शासन में कांग्रेस पार्टी को उस समय जोरदार कानूनी झटका लगा, जब दिल्ली निवासी मजीठिया परिवार के मां-बेटे ने स्थानीय लोकसभा सांसद गुरजीत सिंह औजला के साथ-साथ स्थानीय जिला देहाती कांग्रेस पार्टी को कानूनी शिकस्त देते हुए एक बड़ी कानूनी जंग जीतने...

अमृतसर(महेन्द्र): अपने ही शासन में कांग्रेस पार्टी को उस समय जोरदार कानूनी झटका लगा, जब दिल्ली निवासी मजीठिया परिवार के मां-बेटे ने स्थानीय लोकसभा सांसद गुरजीत सिंह औजला के साथ-साथ स्थानीय जिला देहाती कांग्रेस पार्टी को कानूनी शिकस्त देते हुए एक बड़ी कानूनी जंग जीतने में कामयाबी हासिल की, जिसके तहत मां-बेटे ने स्थानीय एल्बर्ट रोड पर बने जिला देहाती कांग्रेस पार्टी के कार्यालय वाली करोड़ों की जमीन पर जहां अपने परिवार की मालकी को साबित कर दिया, वहीं करोड़ों की इस जमीन पर कांग्रेस पार्टी के चले आ रहे कब्जे को भी अवैध साबित कर दिया। स्थानीय सिविल जज एकता सहोता की अदालत ने करोड़ों की इस विवादित जमीन के चल रहे सिविल मामले में दिल्ली निवासी मां-बेटे के पक्ष में सोमवार को डिक्री जारी करने का फैसला सुना दिया है। 

मामले के हालात 
नई दिल्ली निवासी ब्रह्म ज्ञान सिंह मजीठिया पुत्र स्व. गुरनिहाल सिंह तथा उनकी माता रूपिन्द्र मजीठिया ने अपने कौंसिल रमेश चौधरी के जरिए स्थानीय कांग्रेस कमेटी (देहाती), उसके प्रधान रह चुके गुरजीत सिंह औजला (इस समय कांगे्रस पार्टी के सांसद) तथा पूर्व प्रधान हरप्रताप सिंह अजनाला (मौजूदा विधायक कांग्रेस पार्टी) के खिलाफ स्थानीय अदालत में 8-2-2014 को सिविल मुकद्दमा नंबर 234/2014 दायर किया था।

इसमें उनका कहना है कि स्थानीय रैवेन्यू सर्कल अमृतसर अर्बन-109 (नजदीक सर्किट हाऊस) के इलाका एल्बर्ट रोड पर स्थित खसरा नंबर-783 की तरफ दक्षिण वाले हिस्से वाली 4 कनाल 18 मरले (2450 वर्ग गज) जमीन, जो कभी मजीठा हाऊस का एक हिस्सा रही है, उनकी तथा उनके चाचा/ताऊ दलीप सिंह पुत्र कृपाल सिंह की मलकीयत है, लेकिन कांग्रेस पार्टी देहाती ने उनकी जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करके रैवेन्यू अधिकारियों की मिलीभगत से रैवेन्यू रिकार्ड की जमाबंदी के कालम (खाना) नंबर-5 में गैर-मारूसी (काबिज होने संबंधी) का इंदराज (एंट्री) भी गलत तरीके से करवा ली हुई है। 

जमीन पर मालिकाना हक जताया था मां-बेटे ने 
दायर इस सिविल मामले में दिल्ली निवासी मां-बेटे का कहना था कि रैवेन्यू रिकार्ड की जमाबंदी के खाना मालकी में आज भी इस जमीन की मालकी उनकी ही दिखाई दे रही है, जबकि खाना काश्त (कब्जे) में कांग्रेस पार्टी (देहाती) का नाम गैर-मारूसी के तौर पर दर्ज करवाया गया हुआ है, जो रैवेन्यू अधिकारियों की मिलीभगत से गलत तरीके से करवाया गया हुआ है। मजीठिया परिवार से जुड़े दिल्ली निवासी मां-बेटे ने जमाबंदी वर्ष 2010-11 में खाना नंबर (5) में कांग्रेस पार्टी (देहाती) का नाम हटाने के साथ-साथ उनकी इस जमीन का कब्जा उन्हें वापस दिलाने के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी (देहाती) तथा इसके नेताओं के खिलाफ उनकी इस जमीन पर किसी भी प्रकार का कोई नया निर्माण करवाने तथा पुराने निर्माण को गिराने व हटाने पर रोक लगाने का भी अनुरोध कर रखा था। 

मालकी बिना किराए पर दी गई दुकानें
कानूनी बहस के दौरान औजला को यह भी स्वीकार करना पड़ा था कि विवादित जमीन वास्तव में गुरनिहाल सिंह तथा दलीप सिंह की ही मलकीयत है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के नेता हरप्रताप सिंह द्वारा इस विवादित जमीन में निर्मित करवाई गई दुकानें किराए पर देते हुए किराएदारों से लिखवाए गए किराएनामों पर भी कई प्रकार से सवाल खड़े हुए थे, जिन्हें लेकर औजला का कहना था कि अदालत में प्रस्तुत किए गए सभी किराएनामे झूठे तथा जाली नहीं हैं। 

महत्वपूर्ण सवाल-जवाब में उलझे रहे थे सांसद औजला 
इस मामले में कांग्रेस पार्टी के सांसद गुरजीत सिंह औजला ने 14 जुलाई को अदालत में अपना शपथ-पत्र दायर करते हुए कहा था कि इस जमीन पर कांग्रेस पार्टी का पिछले करीब 40 वर्षों से कब्जा चला आ रहा है। यह जमीन दलीप सिंह पुत्र कृपाल सिंह ने कांग्रेस पार्टी देहाती को दान की थी, जिसमें 26 जनवरी, 1977 को कांग्रेस कमेटी (देहाती) का आफिस बनाने के लिए नींव पत्थर रखा गया था, लेकिन दूसरी तरफ करोड़ों की जमीन पर अपनी मालकी का दावा करने वाले दिल्ली निवासी मां-बेटे की तरफ से कानूनी लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट रमेश चौधरी द्वारा पूछे गए क्रॉस सवाल-जवाब के दौरान औजला का कहना था कि कांग्रेस पार्टी देहाती को जब यह विवादित जमीन दान में मिली थी, तो वह उस समय हाजिर नहीं थे, जबकि पूर्व प्रधान रहे स्व. अजीत सिंह मान की उपस्थिति में यह जमीन दान में मिली थी।

उन्होंने इसके बारे में उन्हें बताया था। उनका यह कहना था कि दान संबंधी कोई दस्तावेज नहीं लिखा गया था और न ही रैवेन्यू रिकार्ड में कोई इंतकाल करवाया जा सका था, लेकिन विवादित जमीन पर कांग्रेस पार्टी देहाती का वर्ष 1970 से फिजीकली पोजैशन (मौका पर कब्जा) चला आ रहा है। इसमें पार्टी की तरफ से वर्ष 2014 में कोई नया निर्माण नहीं करवाया गया है, बल्कि नए फर्श डलवाने के साथ साथ रंग-रोगन जरूर करवाया गया था। पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि विवादित जमीन के मालिक गुरनिहाल सिंह तथा दलीप सिंह मजीठिया ही हैं, लेकिन वह नहीं जानते कि गुरनिहाल सिंह की मौत हो चुकी है और उन्हें यह भी नहीं मालूम कि दिल्ली निवासी पटीशनर्स गुरनिहाल सिंह के वारिस ही हैं। 

औजला का कहना था कि उन्हें नहीं मालूम कि सुरजीत सिंह मजीठिया कांग्रेस पार्टी के नेता थे व उन्हें यह नहीं मालूम कि उन्होंने ही विवादित जमीन पर कांग्रेस का देहाती कार्यालय बनाने को गुरनिहाल सिंह व दलीप सिंह को अनुरोध किया था। पटीशनर्स द्वारा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे प्रताप सिंह बाजवा तथा राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी को लिखे गए पत्रों से भी औजला ने खुद को पूरी तरह से अनभिज्ञ ही बताया।  

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!