Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 11:23 AM
भारत-पाकिस्तान सीमां के समीप पड़ते रावी दरिया पर मराडा पत्तन पर डाले गए पैंटून पुल के बिल्कुल 10 मीटर के दायरे में हो रही अवैध माइनिंग के चलते करोड़ों रुपए के बनाए गए पैंटून पुल के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
पठानकोट(आदित्य): भारत-पाकिस्तान सीमां के समीप पड़ते रावी दरिया पर मराडा पत्तन पर डाले गए पैंटून पुल के बिल्कुल 10 मीटर के दायरे में हो रही अवैध माइनिंग के चलते करोड़ों रुपए के बनाए गए पैंटून पुल के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। फिर भी माइनिंग तथा पी.डब्ल्यू.डी. विभाग कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है। सीमावर्ती कस्बा मराडा तथा लस्सीऑन में पड़ते रावी दरिया के समीप हर साल माइनिंग विभाग द्वारा रेत की माइनिंग हेतु करोड़ों रुपए की बोली लगाई जाती है तथा हर साल जहां से करोड़ों रुपए का रेत निकाला जाता है, परंतु बोली होने के बाद माइनिंग ठेकेदार शुरू से ही अपनी मनमर्जी करते आ रहे हैं।
माइनिंग विभाग के दिशा-निर्देशानुसार किसी भी दरिया में बहते पानी में माइनिंग करना पूर्ण रूप से अवैध माना जाता है, परन्तु इस स्थान पर ठेकेदारों द्वारा बहते पानी में जे.सी.बी. मशीन लगाकर हर रोज अनगिनत टन रेत निकाली जा रही है। इसके अलावा ये अवैध माइनिंग करीब 5 करोड़ की लागत से बनाए गए पैंटून पुल के 10 मीटर के दायरे में लगातार की जा रही है, जिसके चलते पैंटून पुल के अस्तित्व पर खतरा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि इसके समीप माइनिंग होने के बाद पुल के बेसमैंट पर प्रभाव होने के आसार हैं ।
रावी दरिया में पानी का बहाव हल्का-सा भी तेज होने पर यह पुल कभी भी बह सकता है। ध्यान रहे कि 1 साल पहले ताश पत्तन पर डाला गया पैंटून पुल भी बह गया था। इसके बावजूद भी प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है और अभी तक इस अवैध माइनिंग को रोकने में सक्षम नजर नहीं आ रहा है। इसके अलावा इस दरिया के समीप पड़ते गांव लस्सीऑन व अदालतगढ़ वासियों द्वारा भी इस माइनिंग पर कड़ा विरोध जताया जा रहा है। गांव निवासी मनजीत सिंह, दलजीत सिंह, जग्गा, सतनाम सिंह, भूपेंद्र सिंह, सुखवंत सिंह आदि ने रोष प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया है कि इस दरिया में माइनिंग होने के कारण पानी का अभाव उनकी जमीनों की तरफ बढ़ रहा है, जिसके चलते उनके द्वारा मेहनत से बनाई गई जमीन भूमि कटाव का शिकार होने के आसार नजर आ रहे हैं जोकि उनकी चिंता का विषय बना हुआ है।
उन्होंने बताया कि जहां 3 गांव की करीब 400 एकड़ जमीन दरिया के किनारे पड़ती है जोकि बेहद उपजाऊ है। इस अवैध माइनिंग से रावी दरिया के पानी का बहाव उनकी जमीनों की तरफ लगातार बढ़ रहा है, जिससे उनकी भूमि के कटाव का शिकार होने के आसार बन गए हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंधी वे लोग प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं, परन्तु अभी तक प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है। उन्होंने कहा कि अगर तुरंत अवैध माइनिंग पर काबू नहीं पाया गया तो गांववासियों द्वारा रोष प्रदर्शन किए जाएंगे।