Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 02:59 PM
प्रशासन को चुनौती देते हुए अमृतसर के पॉश क्षेत्रों में धड़ल्ले से हुक्का बार चल रहे हैं। हुक्का बार में धुएं से देश की नौजवान पीढ़ी बर्बाद हो रही है। चाहे राज्य सरकार नशों को नकेल लगाने के दावे कर रही है, परंतु जिला प्रशासन हुक्का-बार को छूट देकर...
अमृतसर (जिया): प्रशासन को चुनौती देते हुए अमृतसर के पॉश क्षेत्रों में धड़ल्ले से हुक्का बार चल रहे हैं। हुक्का बार में धुएं से देश की नौजवान पीढ़ी बर्बाद हो रही है। चाहे राज्य सरकार नशों को नकेल लगाने के दावे कर रही है, परंतु जिला प्रशासन हुक्का-बार को छूट देकर राज्य सरकार को ठेंगा दिखा रहा है।
जानकारी के अनुसार पंजाब की कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही नशों के खिलाफ विशेष मुहिम छेड़ी थी। राज्य के सभी जिलाधीशों तथा जिला प्रमुखों को सख्त निर्देश थे कि नशों से सख्ती से निपटा जाए। अमृतसर प्रशासन ने सरकार के निर्देश पर तुरंत कार्रवाई करते हुए जिले में हुक्का बारों पर पाबंदीलगा दी थी, परन्तु प्रशासन के ये निर्देश केवल कागजों पर ही सीमित रह गए हैं। रणजीत एवेन्यू के पॉश क्षेत्रों में धड़ल्ले से हुक्का बार चल रहे हैं व स्कूल-कालेजों के विद्यार्थी धुएं के छल्लों में अपनी जवानी बर्बाद कर रहे हैं।
युवा झुंड बनाकर पीते हैं हुक्का
‘पंजाब केसरी’ की टीम ने शहर में चल रहे हुक्का बारों का दौरा किया तो देखा कि 15-16 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियां झुंड बनाकर हुक्का पी रहे थे। विधानसभा चुनाव में नशों के मुद्दों पर अकालियों से सत्ता छीनने वाली कांग्रेस को अब राज्य में सत्तासीन हुए लगभग 8 महीने से भी ऊपर का समय हो चुका है, लेकिन नशे का आतंकवाद बढ़ता जा रहा हैह। नशों के कारण गुरु नगरी का बहुत बुरा हाल है
हुक्का बार में बर्बाद हो रही नौजवान पीढ़ी
रणजीत एवेन्यू क्षेत्र में चल रहे हुक्का बार हों या बटाला रोड, मजीठा रोड, सुल्तानविंड रोड में चल रही भांग की दुकानें, इस बारे में पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। शहर में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां भांग से भरा सिगरेट मात्र 30 से 40 रुपए में मिल जाता है। इन अड्डों के बारे में पुलिस को मालूम है, लेकिन पुलिस इन के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है। क्या पुलिस को इसमें हिस्सा मिलता है या किन्हीं राजनीतिज्ञों का पुलिस पर दबाव है?
युवा पीढ़ी फंसी नशे की दलदल में, अभिभावक परेशान
युवा पीढ़ी जिस तरह इस दलदल में फंस चुकी है उससे अभिभावकों को बेहद परेशान हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार उनके पास जो मरीज आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर नशों के प्रभाव से पागलपन का शिकार हो चुके हैं। रईसजादे हुक्का बार में अपने नशे की लत पूरी कर रहे हैं तो गरीब सड़क किनारे भांग और चरस से बर्बाद हो रहे हैं, हालांकि उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि चरस, भांग जैसे सूखे नशों के द्वारा वे पागलखानों की तरफ अपने कदम बढ़ा रहे हैं। इस पर अंकुश तब तक नहीं लगाया जा सकता जब तक उन्हें आसानी से नशीले पदार्थ उपलब्ध न हों।
रणजीत एवेन्यू क्षेत्रों में भी चल रहे हुक्का बार
जो जानकारी प्राप्त हुई है उससे यह बात सामने आई है कि हुक्का बार के मालिकों को शहर के कुछ बड़े राजनीतिज्ञों का आशीर्वाद प्राप्त है जिस कराण वे बिना किसी भय के हुक्का बार चला रहे हैं। उक्त हुक्का बार में हुक्का पीने वालों को यह पता नहीं है कि वे किस तरह अपनी जिंदगी को धुएं के छल्लों में बर्बाद कर रहे हैं।
एक 70 वर्षीय बुजुर्ग जो कटड़ा दूलो क्षेत्र के रहने वाले हैं, कई वर्षों से हुक्के का सेवन कर रहे हैं, उन्हें एक बार रणजीत एवेन्यू क्षेत्र में चल रहे एक हुक्का बार में जाने का मौका मिला। वहां उन्होंने हुक्के में जिस तंबाकू का सेवन किया, उससे यह स्पष्ट हो गया कि उसमें वह तंबाकू नहीं है, जिसका वह कई वर्षों से सेवन कर रहे हैं, यह तो पूरी तरह से एक नशा है। सरकार व जिला पुलिस प्रशासन को युवाओं की जवानी को बचाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पुलिस कमिश्नर को भी इस मामले में कड़े कदम उठाने की जरूरत है। इस संबंध में जिलाधीश कमलदीप सिंह संघा से संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।