Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Nov, 2017 01:02 PM
बिजली के रेटों में 9.33 प्रतिशत की औसतन वृद्धि और संशोधित टू-पार्ट टैरिफ लागू करने के मामले में सरकार की दोगली नीति से खफा होकर औद्योगिक शहर लुधियाना की इंडस्ट्री एक बार फिर यू.सी.पी.एम.ए. के सांझा मंच पर लामबंद होने लगी है। साइकिल कारोबारियों की...
लुधियाना (बहल): बिजली के रेटों में 9.33 प्रतिशत की औसतन वृद्धि और संशोधित टू-पार्ट टैरिफ लागू करने के मामले में सरकार की दोगली नीति से खफा होकर औद्योगिक शहर लुधियाना की इंडस्ट्री एक बार फिर यू.सी.पी.एम.ए. के सांझा मंच पर लामबंद होने लगी है। साइकिल कारोबारियों की संस्था यू.सी.पी.एम.ए. के कार्यालय में स्टील फर्नेस संघ, ऑटो पार्ट निर्माता संघ, फास्टनर सप्लायर्स संघ, फोपसिया, लुधियाना मशीन टूल संघ, बाल बेयरिंग संघ, कंगनवाल इंडस्ट्रीयल संघ, डाबा रोड संघ समेत करीब एक दर्जन औद्योगिक संगठनों के नुमाइंदों ने एक सुर में कैप्टन सरकार की एंटी इंडस्ट्री पॉलिसी का विरोध करते हुए कहा कि उद्योगों को प्रफुल्लित करने का दम भरने वाली कांग्रेस सरकार ने बर्बादी के कगार पर खड़ी इंडस्ट्री पर बिजली की बढ़ी दरें रैट्रोपैक्टिव पॉलिसी के तहत पिछले 6 महीने से लागू करके उद्योगों की कमर तोड़ दी है।
यू.सी.पी.एम.ए. के प्रधान इंद्रजीत नवयुग, चरणजीत विश्वकर्मा, अवतार भोगल, फर्नेस संघ के प्रधान के.के. गर्ग, कुलवंत सिंह, बदीश जिंदल, मंजीत मठारू, जी.एस. काहलों, राज कुमार सिंगला ने कहा कि जो माल इंडस्ट्री अपनी बिजली लागत जोड़कर बेच चुकी है, उस पर बिजली की 6 महीने पुरानी बढ़ी दरों का भुगतान करने पर उद्योगों को करोड़ों रुपए का घाटा सहना पड़ेगा, जिससे जहां प्रति इंडस्ट्री को 1 लाख से 5 करोड़ रुपए तक नुक्सान होगा, वहीं घरेलू उपभोक्ताओं को भी 10 हजार से 50 हजार रुपए तक का नुक्सान सहना पड़ेगा। के.के. गर्ग ने कहा कि बिजली एक्ट के मुताबिक रैगुलेटरी कमीशन को 31 मार्च को बिजली की दरों संबंधी घोषणा करने का प्रावधान है और नियम के मुताबिक 15 दिनों में इसे लागू करना होता है।
पंजाब सरकार ने दोहरे मापदंड अपनाकर बोर्ड का घाटा पूरा करने के लिए बिजली की बढ़ी दरें 1 अप्रैल से लागू कर दीं, जबकि 5 रुपए बिजली देने की घोषणा के बाद इसे 1 जनवरी 2018 से लागू करने का फरमान जारी किया है। सभी औद्योगिक नेताओं ने सरकार को बिजली के बढ़े रेट वापस लेने की मांग करने के साथ चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इंडस्ट्री की आवाज को नजरअंदाज किया तो राज्य स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा। कारोबारियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि नगर निगम के चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और पूरी इंडस्ट्री चुनावों का बायकाट करेगी। इंडस्ट्री और टे्रड द्वारा सांझा तौर पर सोशल मीडिया के जरिए सरकार के बिजली के रेटों में वृद्धि के विरोध में जन मुहिम भी शुरू की जाएगी।