हर साल सैंकड़ों बेकसूरों की बलि लेते हैं धुंध और धुआं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 01:55 PM

every year hundreds of innocent people kill the innocent and smoke

पिछले कुछ दिनों से पंजाब सहित उत्तर भारत में प्रदूषित धुएं के कारण पैदा हुई स्मॉग ने कई हंसते-बसते परिवारों की खुशियां छीन ली हैं। इसके साथ ही आने वाले सॢदयों के दिनों में पडऩे वाली घनी धुंध के चले ऐसे हादसों की संख्या और बढऩे का खतरा भी मंडरा रहा...

गुरदासपुर (हरमनप्रीत): पिछले कुछ दिनों से पंजाब सहित उत्तर भारत में प्रदूषित धुएं के कारण पैदा हुई स्मॉग ने कई हंसते-बसते परिवारों की खुशियां छीन ली हैं। इसके साथ ही आने वाले सॢदयों के दिनों में पडऩे वाली घनी धुंध के चले ऐसे हादसों की संख्या और बढऩे का खतरा भी मंडरा रहा है परन्तु इसके बावजूद हादसे रोकने के लिए न तो सरकार की तरफ से पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं और न ही लोग खुद अपनी जान-माल की रक्षा के लिए गंभीरता दिखा रहे हैं।

तेज रफ्तार भी बनती है हादसों का कारण 
बहुत से स्थानों पर स्थिति यह बनी हुई है कि लोग अभी भी किसी हादसों की परवाह किए बिना वाहनों को तेज रफ्तार में चलाते हैं और बहुत से वाहनों के पीछे न तो कोई रिफ्लैक्टर नजर आता है और न ही कोई लाइट होती है। 
इन मामलों में सरकार की लापरवाही इस बात से सामने आती है कि कई मुख्य व लिंक सड़कों की हालत बेहद खस्ता होने के बावजूद पिछले कई सालों से उनकी मुरम्मत के लिए कोई भी राशि जारी नहीं क ीगई और न ही इन सड़क ों पर धुंध के दिनों में अपेक्षित सफेद पट्टी लगाई गई। 

धुंध के कारण हर साल होते हैं औसतन 825 हादसे  
सड़क हादसों का दुखांत इतना बड़ा है कि देश में हर 4 मिनट बाद सड़क हादसों में एक कीमती जान चली जाती है। एक रिपोर्ट अनुसार रोज तकरीबन 1214 हादसे घटते हैं जिनमें 25 प्रतिशत दोपहिया वाहन होते हैं और 14 साल से कम उम्र के करीब 20 बच्चे मौत के मुंह में चले जाते हैं। अकेले पंजाब में पिछले करीब 10 सालों में 40 हजार से भी ज्यादा लोग हादसों के कारण मौत के मुंह में चले गए जिनमें से करीब 5000 लोगों की मौत 2015 दौरान हुई।

करीब 50 प्रतिशत हादसे ओवर स्पीड के कारण होते हैं परन्तु सॢदयों के दिनों में धुंध के चलते हादसों की दर बढ़ जाती है। 2014 में धुंध के कारण 891 हादसे हुए जिनमें 605 मौतें हुईं जबकि 636 लोग घायल हुए। इसी तरह 2015 में धुंध के कारण घटे 757 हादसों दौरान 526 मौतें हुईं जबकि पिछले साल 825 हादसों में 602 लोग जान से हाथ धो बैठे और 660 घायल हुए।  

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