Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 12:05 PM
इस सीजन में आज पहले दिन आसमान सहित जमीन पर स्मॉग का प्रकोप दिखाई दिया। बेशक नवम्बर माह में गत 30 सालों में पहली बार स्मॉग दिखाई दी, परंतु जिस तरह से इस स्मॉग की गहनता बहुत अधिक थी, उससे लगता है कि आने वाले दिनों में सर्दी का प्रकोप बहुत अधिक होगा।
गुरदासपुर (विनोद): इस सीजन में आज पहले दिन आसमान सहित जमीन पर स्मॉग का प्रकोप दिखाई दिया। बेशक नवम्बर माह में गत 30 सालों में पहली बार स्मॉग दिखाई दी, परंतु जिस तरह से इस स्मॉग की गहनता बहुत अधिक थी, उससे लगता है कि आने वाले दिनों में सर्दी का प्रकोप बहुत अधिक होगा।
बीते कुछ दिनों से आसमान पर धुंध तथा धूल का प्रकोप था तथा आसमान पर हर समय धूल ही धूल दिखाई देती थी परंतु आज धूल नहींं बल्कि धुंध का प्रकोप दिखा, जिसका सीधा असर सैर करने वाले बुजुर्गों तथा छोटे बच्चों पर दिखाई दिया। तापमान भी गिर कर आज सुबह 16 डिग्री तक पहुंच गया। वहीं शहरों में विजिबिलिटी 20 तथा शहर के बाहरी इलाकों में यह 10-12 फुट रही है।
आज सैर करने वाले आम लोगों का प्रतिशत साधारण दिनों के मुकाबले 50 प्रतिशत था जबकि बुजुर्गों का यह प्रतिशत 20 से 25 प्रतिशत नोट किया गया।बेशक यह स्मॉग रात को भी थी परंतु रात को यह बहुत कम थी, परंतु सुबह उठते ही इसका असर बहुत अधिक था, जिस कारण शहर के बाहर बाईपास पर वाहन भी सुबह 9 बजे तक अपनी हैडलाइटें जला कर चलते दिखाई दिए तथा वाहनों की गति भी बहुत कम थी।
क्या है स्मॉग
स्मॉग धुंध या धुआं नहीं है। दरअसल यह धुंध और धुएं का मिलाजुला रूप है। स्मॉग शब्द अंग्रेजी के 2 शब्दों स्मोक और फॉग से मिलकर बना है। यह वायु प्रदूषण की एक अवस्था है। जब हवा को प्रदूषित करने वाले हानिकारक रसायन के सम्पर्क में आते हैं तब स्मॉग की स्थिति बनती है। हवा को प्रदूषित करने में धूल-मिट्टी के कण, कार्बन मोनोक्साइड सहित अन्य हानिकारक रसायन आते हैं।
किन पर इसका असर पड़ा
इस स्मॉग के कारण बुजुर्गों तथा छोटे बच्चों पर गहरा असर दिखाई दिया। स्कूलों में भी छोटे बच्चों की उपस्थिति पर गहरा प्रभाव रहा। जो बच्चे स्कूली वाहनों में आते हैं, उन पर यह प्रभाव अधिक नहींं था, बल्कि जिन छोटे बच्चों को उनके अभिभावक छोडऩे के लिए आते हैं उनकी स्कूल में उपस्थिति कम रिकार्ड की गई।
स्मॉग से होने वाली समस्याएं
हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों धूल-मिट्टी के कण आदि के कारण दिल और सांस की बीमारी होना आम है। हवा में पी.एम. 2.5 की अत्यधिक मात्रा के कारण डायबिटीज और अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। इस मौसम में आंखों में जलन, दम घुटना, खांसी, सर्दी, जुकाम आदि की समस्या आम होने लगी है।
क्या कहते हैं इस संंबंधी प्रदूषण विभाग के अधिकारी
इस मौसम संबंधी प्रदूषण माहिरों का कहना है कि नवम्बर के प्रथम सप्ताह में इस तरह का मौसम कई सालों के बाद बना है। गुरदासपुर शहर बेशक औद्योगिक शहर नहीं माना जाता तथा इस शहर के आसपास कोई बड़ा उद्योग भी नहींं है परंतु शूगर मिल पनियाड़, मिल्क प्लांट गुरदासपुर, लगभग 50 ईंट-भट्ठों से निकलने वाला धुआं कई तरह की समस्याएं खड़ी कर रहा है। उन्होंने कहा कि बेशक पनियाड़ शूगर मिल तथा मिल्क प्लांट गुरदासपुर ने प्रदूषण रोकने के लिए यंत्र लगा रखे हैं परंतु धुआं तो आसमान की रूपरेखा बदलता ही है।
अनाज मंडियों में तो इतनी धूल उड़ती है कि अनाज मंडियों में खड़ा होना कठिन है, क्योंकि धान को साफ करने के लिए जो मशीनें काम करती हैं, वे धूल उड़ाती हैं तथा वातावरण को प्रदूषित करने में बहुत अधिक भूमिका निभाती हैं। इसी तरह शैलरों तथा ईंट-भट्ठों की चिमनियों से निकलने वाला धुआं भी शाम को आसमान पर धुंध तथा धूल की चादर खड़ी कर देता है जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ता है।