Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Nov, 2017 01:24 PM
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, हाई कोर्ट व पंजाब सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद पंजाब के किसानों ने पराली जलानी बंद नहीं की है जिसके खतरनाक परिणाम सामने आने शुरु हो गए हैं। सड़कों पर पराली की स्मॉग से आए दिन सड़क दुर्घटनाओं में मासूम लोग तो मारे ही जा रहे...
अमृतसर(नीरज): नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, हाई कोर्ट व पंजाब सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद पंजाब के किसानों ने पराली जलानी बंद नहीं की है जिसके खतरनाक परिणाम सामने आने शुरु हो गए हैं। सड़कों पर पराली की स्मॉग से आए दिन सड़क दुर्घटनाओं में मासूम लोग तो मारे ही जा रहे हैं वहीं इस स्मॉग ने भारत-पाकिस्तान बार्डर को भी अपनी चपेट में ले लिया है।
आम आदमी यह मान रहा है कि बार्डर पर धुंध पडऩी शुरू हो गई है जबकि असल में यह धुंध नहीं है बल्कि पराली के जलने से बनने वाली स्मॉग है जो धुंध जैसी लगती है। बार्डर फैंसिंग पर इसने बी.एस.एफ. के जवानों को भी मुसीबत में डाल रखा है।
इसका फायदा हैरोइन व हथियारों की तस्करी करने वाले तस्करों को मिल रहा है जिन्होंने स्मॉग की आड़ में अपनी गतिविधियों तेज कर दी हैं और हैरोइन की
तस्करी करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन बी.एस.एफ. उनको मुंह तोड़ जवाब दे रही है। जानकारी के अनुसार पंजाब का 553 कि.मी. का इलाका पाकिस्तान से सटा हुआ है जिसकी निगरानी बी.एस.एफ. करती है। अमृतसर बार्डर का 120 कि.मी. का इलाका पाकिस्तान से सटा है जिसे अति संवेदनशील माना जाता है। पराली के धुएं से बनी स्मॉग की चपेट में पूरा बॉर्डर है जो बारिश पडऩे पर ही खत्म होगी।
50 गज तक ही देख पा रहे हैं बी.एस.एफ. के जवान
पराली की स्मॉग बी.एस.एफ. के लिए परेशानी इसलिए बनी हुई है क्योंकि इसकी धुंध जैसी मोटी परत के कारण बी.एस.एफ. के जवान बार्डर पर 50 गज दूरी तक भी मुश्किल से देख पाते हैं। अधिकारियों की मानें तो धुंध में देखने वाले उपकरण स्मॉग में पूरा काम नहीं करते हैं जिसके चलते बार्डर पर पहरा देने वाले जवान पलक झपकने पर भी चौकन्ने रहते हैं। स्मॉग के कारण जवानों को 12-12 घंटे फैंसिंग पर ड्यूटी देनी पड़ रही है और पैट्रोङ्क्षलग करनी पड़ रही है। अजनाला व गुरदासपुर जैसे सैक्टर में तो हालात और भी खतरनाक हैं क्योंकि यहां रावी दरिया भी बहता है। इन इलाकों से कई बार आतंकी घुसपैठ कर चुके हैं।
पाकिस्तानी पंजाब भी स्मॉग की चपेट में
केवल भारतीय इलाके ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी पंजाब भी स्मॉग की चपेट में है। कारण यह है कि भारतीय पंजाब के किसानों की भांति पाकिस्तानी पंजाब के किसान भी अपनी धान की फसल की पराली को जला देते हैं। पाकिस्तानी किसान भी फसल को काटने के बाद उसकी पराली को जलाने में परहेज नहीं करते हैं। यही कारण है कि पाकिस्तानी पंजाब में धुंध जैसे हालात बने हुए हैं लेकिन पाकिस्तानियों को
इसका डर नहीं है उल्टा पाकिस्तानी तस्करों को इसका फायदा मिल रहा है। बार्डर फैंसिंग के दोनों तरफ धान की फसल की कटाई होने के बाद भी पाकिस्तानी तस्करों को इस धुंध जैसे स्मॉग की आड़ मिल रही है।
पंजाब में हर वर्ष जलाई जाती है 2 करोड़ टन पराली
पंजाब में पर्यावरण प्रदूषण की बात करें तो प्रदूषण कंट्रोल विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब में हर वर्ष धान के सीजन में ही 2 करोड़ टन पराली जलाई जाती है। यही हाल पाकिस्तानी पंजाब का भी है। पराली के धुएं से जहां पर्यावरण प्रदूषित हो ही रहा है वहीं अनेक बीमारियां भी लोगों को अपना शिकार बना रही हैं, विशेष रूप से दमे के रोगियों के लिए प्रदूषित हवा सबसे खतरनाक है।
दीवाली के पटाखों से और बढ़ी स्मॉग
पिछले 2 से 3 सप्ताह में पराली के धुएं के साथ-साथ दीवाली के दिन पटाखों के धुएं ने भी आग में घी पडऩे जैसा काम किया है। इसने स्मॉग की परत को और अधिक मोटा कर दिया है। हालांकि हाई कोर्ट का आदेश था कि सिर्फ दीवाली के दिन शाम के 6 बजे से रात 9 बजे तक पटाखे चलाए जाएंलेकिन पुलिस व प्रशासनिक लापरवाही के कारण सारी रात पटाखे चलते रहे जिससे पर्यावरण और अधिक प्रदूषित हो गया जिसके खतरनाक परिणाम सामने आ रहे हैं। स्मॉग के कारण वाहनों की टक्कर में लोग तो मर ही रहे हैं वहीं बार्डर भी सुरक्षित नहीं रहा है।