Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 11:33 AM
लोकसभा में नैशनल मैडीकल कमीशन बिल लाए जाने से चिकित्सक खासे बिफरे हुए हैं।
पठानकोट(शारदा): लोकसभा में नैशनल मैडीकल कमीशन बिल लाए जाने से चिकित्सक खासे बिफरे हुए हैं। इसी कड़ी में आई.एम.ए. की स्थानीय इकाई के सदस्यों ने इसके विरुद्ध स्वर मुखर करते हुए जिला उपायुक्त को मांग पत्र सौंपकर रोष प्रदर्शन किया। आई.एम.ए. की स्थानीय इकाई के प्रधान डा. जतिन छाबड़ा ने उक्त एन.एम.सी. बिल के विरोध में कहा कि उनकी संस्था इस बिल के मौजूदा स्वरूप का विरोध करती है क्योंकि यह बिल भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा।
यह बिल कोई भी मैडीकल कालेज शुरू करने से पहले के स्थापित नियमों को हटा देगा। इस बिल के बाद किसी भी मैडीकल कालेज के लिए किसी भी प्रकार की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं रहेगी। कोई भी प्राइवेट मैडीकल कालेज यू.जी./पी.जी. सीटें खुद ही पैदा कर लेगा। उन्होंने कहा कि मैडीकल कालेज की सिर्फ 40 प्रतिशत सीटें ही सरकार द्वारा रैगुलेट हो सकेंगी, जबकि 60 प्रतिशत से अधिक सीटों के रेट कालेज फिक्स करेगा। इस बिल के साथ मैडीकल शिक्षा देश में और भी महंगी हो जाएगी जिससे आॢथक रूप से वंचित वर्ग के बच्चों का डाक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाएगा।
इस बिल के साथ कोई भी विदेशी मैडीकल स्टूडैंट बिना किसी पाबंदी के भारत में प्रैक्टिस कर सकेगा, वहीं विदेशी मैडीकल ग्रैजुएट का स्क्रीङ्क्षनग टैस्ट भी नहीं लिया जाएगा। इससे देश के डाक्टरों के हित प्रभावित होंगे। आई.एम.ए. ने मांग की कि इस बिल को वापस लिया जाए।
सेहत विभाग में कार्यरत डाक्टरों ने 2 घंटे तक ओ.पी.डी. बंद रखी
दूसरी ओर इसके साथ ही सेहत विभाग में कार्यरत डाक्टरों ने अपनी संस्था पी.सी.एम.एस. एसो. के नेतृत्व में प्रधान डा. सुनील चांद की अगुवाई में उपरोक्त बिल के विरोध में की गई एक दिवसीय काम-काज छोड़ हड़ताल को समर्थन देते हुए 2 घंटे तक ओ.पी.डी. बंद रखी व काले बिल्ले लगाकर आई.एम.आई. के संघर्ष का समर्थन किया। इस अवसर पर सिविल सर्जन डा. नरेश कांसरा, एम.ओ. डा. भूपिन्द्र सिंह, डा. एम.एल. अत्री, डा. राकेश सरपाल आदि उपस्थित थे।