Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 10:22 AM
केन्द्र सरकार द्वारा पिछले 3 वर्षों से देश भर में डिजीटल इंडिया का नारा देकर लोगों को सभी सुविधाएं देने के किए वायदों के बावजूद सीमावर्ती क्षेत्र के अनेक गांवों के साथ दर्जनों स्कूलों के विद्यार्थियों ने डिजीटल इंडिया का नाम तो सुना होगा परंतु...
बहरामपुर/गुरदासपुर(विनोद, गोराया): केन्द्र सरकार द्वारा पिछले 3 वर्षों से देश भर में डिजीटल इंडिया का नारा देकर लोगों को सभी सुविधाएं देने के किए वायदों के बावजूद सीमावर्ती क्षेत्र के अनेक गांवों के साथ दर्जनों स्कूलों के विद्यार्थियों ने डिजीटल इंडिया का नाम तो सुना होगा परंतु उन्हें यह पता नहीं कि डिजीटल इंडिया क्या होता है।
जानकारी के अनुसार रावी दरिया के पार स्थित आधा दर्जन से अधिक गांवों के सरकारी प्राइमरी, मिडल स्कूलों का दौरा किया गया तो सरकारी मिडल स्कूल भरियाल में कम्प्यूटर लैब तो जरूर है परंतु इंटरनैट नहीं चलता। इस संबंधी जब बच्चों से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि यहां न तो इंटरनैट चलता है व न ही मोबाइल जिस कारण हमें क्या पता की डिजीटल इंडिया क्या है। इसके अतिरिक्त बच्चों को पंजाबी पढ़ाने वाले अध्यापकों का पिछले 7-8 माह से पद रिक्त है।
क्या है डिजीटल इंडिया
यदि डिजीटल इंडिया अभियान की बात की जाए तो केन्द्र सरकार द्वारा प्रत्येक नागरिक को इलैक्ट्रोनिक व ऑनलाइन सेवाओं से जोडऩे का कार्य है ताकि प्रत्येक क्षेत्र का तेज गति से विकास हो। इस स्कीम द्वारा प्रत्येक क्षेत्र को इंटरनैट से जोडऩा तथा तकनीक के क्षेत्र में देश को मजबूत बनाना लक्ष्य है।
कम्प्यूटर है पर इंटरनैट नहीं चलता
सीमावर्ती क्षेत्र के रावी पार स्थित व इस पार भी अनेक गांवों के स्कूलों में बच्चों के लिए डिजीटल शब्द शायद एक नया शब्द है, क्योंकि अधिक विद्यार्थियों को इसके अर्थ बारे कोई जानकारी नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा होने के कारण भारत संचार निगम लिमिटिड के अतिरिक्त कोई भी मोबाइल कम्पनी यहां सेवाएं नहीं देती जिस कारण सरकारी कम्पनी होने के कारण अधिकतर इंटरनैट सेवाओं में भारी मुश्किल होती है।
क्या कहते हैं क्षेत्र निवासी
इस संबंधी क्षेत्र निवासी सरपंच रूप सिंह भरियाल, पूर्व सरपंच गुरनाम सिंह तूर, पूर्व सरपंच बलदेव सिंह भरियाल, नम्बरदार विजय कुमार, समाज सेवक बलविंद्र सिंह बिट्टू, प्रो. दविन्द्र सिंह ठाकुर आदि का कहना है कि सरकार को सीमावर्ती क्षेत्र में पढ़ाई का स्तर ऊंचा उठाने के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिएं ताकि शहरी क्षेत्र व कस्बों जैसा वातावरण सीमावर्ती गांवों के बच्चे भी प्राप्त कर सकें। आजाद भारत के नागरिकों जैसी सुविधाएं आज तक सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल सकीं तो यहां डिजीटल क्रांति क्या आएगी।