Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Nov, 2017 11:18 AM
जिला श्री मुक्तसर साहिब के चार विधानसभा हलकों श्री मुक्तसर साहिब, मलोट, लंबी व गिद्दड़बाहा के अधीन 241 के करीब गांव आते हैं व लगभग प्रत्येक गांव में ही छप्पड़ हैं।
श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): जिला श्री मुक्तसर साहिब के चार विधानसभा हलकों श्री मुक्तसर साहिब, मलोट, लंबी व गिद्दड़बाहा के अधीन 241 के करीब गांव आते हैं व लगभग प्रत्येक गांव में ही छप्पड़ हैं। कुछ बड़े गांवों में छप्पड़ों की संख्या एक से अधिक भी है। बहुत कम गांव ऐसे हैं, जहां छप्पड़ों का पानी साफ है,जबकि बड़ी संख्या तो उन गांवों की है, जहां के छप्पड़ों में गंदा पानी भरा है। पानी का रंग हरा व काला हो चुका है जोकि बदबूदार है। अगर देखा जाए तो इन ग्रामीण क्षेत्रों में भरा हुआ गंदा पानी इस समय फैली हुई डेंगू की खतरनाक बीमारियों को दावत दे रहा है।
कैंसर, काला पीलिया से पीड़ित हैं लोग
प्रदूषित व गंदे हुए वातावरण के कारण जिला श्री मुक्तसर साहिब के सैंकड़ों लोग पहले ही नामुराद बीमारी कैंसर, काला पीलिया, दिल की बीमारियों, गुरदों की बीमारियों व हड्डियों की बीमारियों के कारण परमात्मा को प्यारे हो चुके हैं, जबकि उक्त जिले में इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या अभी भी बहुत अधिक है व ऊपर से डेंगू की बीमारी ने लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है।
नजदीकी घरों वाले लोग बेहद दुखी
छप्पड़ों के नजदीक जिन लोगों के घर हैं, उनका कहना है कि गंदे व बदबू मारते वातावरण में रहना बहुत मुश्किल है परंतु अब घर छोड़ कर कहां जाएं। लोगों ने पंचायतों के नुमाइंदों, सियासी नेताओं व प्रशासन के अधिकारियों तक भी इस मामले को लेकर फरियाद की है परंतु किसी ने उनकी बाजू नहीं पकड़ी। वे ऐसे माहौल में रहने के लिए मजबूर हैं। गांववासियों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि वे गांव के छप्पड़ों की ओर ध्यान दें, जहां गंदा पानी भरा है।
स्कूलों के नजदीक छप्पड़ बच्चों के लिए बने सिरदर्द
एक बात और जो देखने में आई कि कई ऐसे गांव भी हैं जहां सरकारी स्कूल के बिल्कुल साथ ही छप्पड़ या छप्पड़ी है, जिसके कारण स्कूलों में आने वाले बच्चों व अध्यापकों को भी बीमारियां लगने का खतरा है। गांव लक्खेवाली, भागसर, महाबद्धर, भंगचढ़ी व रहूडिय़ांवाली आदि के स्कूल छप्पड़ों के नजदीक हैं।
स्वच्छ भारत मुहिम की ओर भी नहीं दिया ध्यान
भले सरकार ने वातावरण को साफ-सुथरा रखने के लिए स्वच्छ भारत मुहिम शुरू की थी परंतु लंबा समय बीत जाने के बावजूद भी इस मुहिम को हवा नहीं मिली।