Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 12:40 PM
डी.टी.ओ. दफ्तरों को भंग कर आर.टी.ए. बना दिया गया और एस.डी.एम. दफ्तरों में ड्राइविंग लाइसैंस (डी.एल.) व आर.सी. बनाने का नोटीफिकेशन जारी होने के 5 महीने बाद भी एस.डी.एम. दफ्तरों में उक्त काम शुरू नहीं हो सका है। कैप्टन सरकार ने सत्ता में आते ही...
अमृतसर (नीरज): डी.टी.ओ. दफ्तरों को भंग कर आर.टी.ए. बना दिया गया और एस.डी.एम. दफ्तरों में ड्राइविंग लाइसैंस (डी.एल.) व आर.सी. बनाने का नोटीफिकेशन जारी होने के 5 महीने बाद भी एस.डी.एम. दफ्तरों में उक्त काम शुरू नहीं हो सका है। कैप्टन सरकार ने सत्ता में आते ही डी.टी.ओ. दफ्तरों को भंग करने का ऐलान कर दिया मानो सारा भ्रष्टाचार सिर्फ डी.टी.ओ. दफ्तरों में ही है और अन्य बहुचर्चित सरकारी विभागों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
डी.टी.ओ. दफ्तरों को भंग करने में सरकार ने इतनी जल्दबाजी व धक्केशाही दिखाई कि सारी कानूनी औपचारिकताओं को ही भूल गई। एस.डी.एम. शहरी दफ्तरों में आज तक न तो आर.सी. बनाने और न ही ड्राइविंग लाइसैंस बनाने का कोई सैटअप है। इस काम में देरी क्यों हो रही है, इसकी जानकारी भी नहीं दी जा रही है और आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
हाई कोर्ट में भी दायर हुई थी याचिका
पंजाब सरकार ने डी.टी.ओ. दफ्तरों को भंग करने का ऐलान करने के बाद 30 दिनों के भीतर जनता के दावे व ऐतराज मांगे थे ताकि सरकार के इस फैसले के खिलाफ यदि किसी आम नागरिक को कोई ऑब्जैक्शन है तो उस पर गौर किया जाए। ये दावे और एतराज 4 सितम्बर 2017 तक लिए जाने थे और इसके बाद डी.टी.ओ. दफ्तरों को भंग करनेव आर.टी.ए. दफ्तर बनाने का नोटीफिकेशन जारी किया जाना था लेकिन सरकार ने नियम-कानून ताक पर रख 17 अगस्त 2017 को ही इसका नोटीफिकेशन जारी कर दिया जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में केस दायर किया गया है। सरकार के इस फैसले से ट्रांसपोर्टरों सहित आम जनता को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
क्या है डी.टी.ओ. के पद को आर.टी.ए. बनाने का फैसला
पंजाब सरकार ने परिवहन विभाग में पारदर्शिता लाने व ट्रांसपोर्ट माफिया को खत्म करने के लिए डी.टी.ओ. दफ्तरों को भंग कर उसके पद को आर.टी.ए. (रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी) बनाने का फैसला कर दिया जिसमें एस.डी.एम. को अपने-अपने इलाके के लोगों के ड्राइविंग लाइसैंस व वाहनों की आर.सी. बनाने का अधिकार दे दिया। अमृतसर जिले की बात करें तो डी.टी.ओ. को आर.टी.ए. बनाकर उसे अमृतसर जिले के अलावा तरनतारन के जिले का भी सारा इलाका चैकिंग करने, कर्मशियल वाहनों की आर.सी. व शहरी इलाकों के डी.एल. व आर.सी. बनाने का अधिकार दिया गया है।
ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक पर भी टैस्ट लेने तथा बड़े वाहनों को परमिट जारी करने व अन्य काम करने का अधिकार भी आर.टी.ए. को दिया गया है। इस प्रकार का फेर-बदल करने से सरकार को क्या ऐसा नया मिला जो पहले नहीं था, यह भी एक हास्यास्पद व हैरान करने वाला सवाल है। एस.डी.एम. दफ्तरों में तो पहले ही अधिकारियों के पास काम का दबाव ज्यादा है और स्टॉफ की भी कमी है, ऐसे में ड्राइविंग लाइसैंस व आर.सी. का काम भी एस.डी.एम. को दे दिया गया। फिलहाल देखना यह है कि एस.डी.एम. दफ्तरों में कब आर.सी. व डी.एल. बनाने का काम शुरु किया जाता है।
ट्रेनिंग भी ले चुके हैं एस.डी.एम. दफ्तरों के कर्मचारी
सरकार द्वारा शहरी इलाकों के एस.डी.एम्स को ड्राइविंग लाइसैंस व आर.सी. बनाने के अधिकार का नोटईफिकेशन जारी करने के बाद प्रशासन एस.डी.एम.-1 और टू के दफ्तरों में तैनात स्टाफ को ड्राइविंग लाइसैंस व आर.सी. बनाने संबंधी ट्रेङ्क्षनंग भी दे चुका है, लेकिन उसे अभी तक काम नहीं मिला है।प्राइवेट कंपनी द्वारा एस.डी.एम. दफ्तरों में सैटअप लगाया जाना है। यह कंपनी भी काफी चर्चा में है क्योंकि इसका पूर्व सरकार के साथ ठेका खत्म होने से पहले ही इस ठेके को रिन्यू कर दिया गया।
नेताओं ने कठपुतली बना रखे थे परिवहन विभाग के अधिकारी
कैप्टन सरकार के कुछ नेताओं द्वारा परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का हवाला देकर नई ट्रांसपोर्ट पॉलिसी बनवाई गई लेकिन सवाल उठता है कि भ्रष्टाचार था कहा? कितनी बार विजीलैंस विभाग या फिर किसी अन्य एजैंसी ने परिवहन विभाग के डी.टी.ओ. या किसी अन्य अधिकारी को रंगे हाथों पकड़ा? परिवहन विभाग से कई गुना ज्यादा भ्रष्टाचार सड़कों, गलियों, पुलों का निर्माण करने वाले विभागों में है जहां कागजों में ही गलियां-नालियां बन जाती हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों को तो पूर्व गठबंधन सरकार के कुछ दबंग नेताओं ने अपनी कठपुतली बना रखा था।
एक बहुचर्चित मामले में जब अमृतसर के एक डी.टी.ओ. ने सत्ताधारी पार्टी के नेता की बस को बंद किया तो उसे विधानसभा में बुलाया जाता और दफ्तर के बाहर बैठा कर कई दिनों तक जलील किया गया। एक डी.टी.ओ. को तो कई महीनों तक इसलिए सस्पैंड कर दिया गया क्योंकि उसने सत्ताधारी पार्टी के एक दबंग नेता का काम नहीं किया था। परिवहन विभाग में फेर-बदल करने की बजाय प्रशासनिक सुधार करने चाहिए थे ताकि जनता को परेशानी न आती।
बाबा बकाला व अजनाला एस.डी.एम. दफ्तरों में पहले ही बन रहे थे डी.एल.
नई ट्रांसपोर्ट पॉलिसी की बात करें तो एस.डी.एम. दफ्तरों को ड्राइविंग लाइसैंस व आर.सी. बनाने के अधिकार दिए गए हैं लेकिन अमृतसर जिले में एस.डी.एम. बाबा बकाला व एस.डी.एम. अजनाला के दफ्तरों में पहले भी ड्राइविंग लाइसैंस बनाए जाते थे और कई वर्षों से यह अधिकार सरकार द्वारा इन्हें दिया गया था।
महाघोटाले के बाद नगर सुधार ट्रस्ट क्यों नहीं किया भंग!
सरकार ने भ्रष्टाचार का हवाला देकर डी.टी.ओ. दफ्तरों को भंग किया जबकि नगर सुधार ट्रस्ट में 100 करोड़ रुपए का महाघोटाला पकड़ा गया जबकि डी.टी.ओ. दफ्तर में कभी भी इस प्रकार का घपला सामने नहीं आया है। समाज सेवक विजय अग्रवाल का कहना है कि पंजाब सरकार को नगर सुधार ट्रस्ट को भंग करना चाहिए।