Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 10:29 AM
भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद को चुस्त-दुरुस्त व फिट रखने के लिए आजकल युवाओं का ध्यान एनर्जी ङ्क्षड्रक की तरफ कुछ ज्यादा ही है। मगर यह एनर्जी ड्रिंक युवाओं को एनर्जी देने की अपेक्षा उनकी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।
जालंधर (रविंदर शर्मा): भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद को चुस्त-दुरुस्त व फिट रखने के लिए आजकल युवाओं का ध्यान एनर्जी ङ्क्षड्रक की तरफ कुछ ज्यादा ही है। मगर यह एनर्जी ड्रिंक युवाओं को एनर्जी देने की अपेक्षा उनकी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। अगर आप भी एनर्जी ड्रिंक पीते हैं तो सावधान हो जाएं। दरअसल, एक नए शोध से पता चला है कि एनर्जी ड्रिंक से युवाओं में दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इससे न केवल युवाओं का ब्लड प्रैशर बढ़ रहा है, बल्कि हार्ट अटैक तक का खतरा भी बना रहता है। रोजाना एनर्जी ड्रिंक लेने वाले युवाओं में तो कोई न कोई बीमारी घर कर चुकी है। कनाडा के ओंटारियो में वाटरलू यूनिवर्सिटी में किए गए शोध में कहा गया है कि ऐसे ड्रिंक की बिक्री 16 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को करने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 12 से 24 साल के 55 प्रतिशत बच्चों को एनर्जी ड्रिंक पीने के बाद स्वास्थ्य संबंधी गंभीर प्रभावों से गुजरना पड़ा। इनमें हार्ट रेट तेज होने के साथ ही दिल के दौरे भी शामिल थे। शोधकत्र्ताओं ने 2000 से अधिक युवाओं से पूछा कि वह रैडबुल या मोंस्टर जैसे एनर्जी ड्रिंक को कितनी बार पीते हैं। शोधकत्र्ताओं ने कहा कि अन्य कैफीनयुक्त पेय की तुलना में जिस तरह से एनर्जी ड्रिंक का सेवन किया जाता है, उसे देखते हुए एनर्जी ड्रिंक अधिक खतरनाक हो सकते हैं। शोध में पाया गया कि जिन लोगों ने एनर्जी ड्रिंक का सेवन किया था, उनमें से 24.7 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि उनके दिल की धड़कन तेज हो गई थी।
वहीं, 24.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इसे पीने के बाद उन्हें नींद नहीं आ रही थी। इसके अलावा 18.3 प्रतिशत लोगों ने सिरदर्द, 5.1 प्रतिशत ने दिल घबराने, उलटी या दस्त और 3.6 प्रतिशत लोगों ने छाती में दर्द का अनुभव किया। हालांकि शोधकत्र्ताओं के बीच चिंता का कारण यह था कि इन युवाओं ने एक या दो एनर्जी ड्रिंक ही लिए थे, फिर भी उन्हें ऐसे प्रतिकूल प्रभावों का अनुभव हो रहा था। अध्ययन के बारे में प्रो. डेविड हैमोंड का कहना है कि फिलहाल एनर्जी ड्रिंक खरीदने वाले बच्चों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। करियाने की दुकानों में बिक्री के साथ ही बच्चों को टारगेट करते हुए इसके विज्ञापन बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि इन उत्पादों के स्वास्थ्य प्रभावों की निगरानी बढ़ाने की जरूरत है।