लोहड़ी पर ड्रैगन डोर का दिखा रंग; पक्षी व राहगीर हुए तंग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jan, 2018 10:31 AM

color of the dragon door on lohri  birds and stray animals

जिला प्रशासन की सख्ती और पुलिस द्वारा छापामारी के दावों के बावजूद पतंग के शौकीनों ने लोहड़ी का त्यौहार ड्रैगन (चाइना) डोर का धड़ल्ले से प्रयोग करके मनाया। इससे प्रशासन एवं पुलिस की सख्ती पूरी तरह से टांय-टांय फिस्स हो गई। चाइना डोर न केवल कोडवर्ड...

अमृतसर(ममता, कक्कड़):जिला प्रशासन की सख्ती और पुलिस द्वारा छापामारी के दावों के बावजूद पतंग के शौकीनों ने लोहड़ी का त्यौहार ड्रैगन (चाइना) डोर का धड़ल्ले से प्रयोग करके मनाया। इससे प्रशासन एवं पुलिस की सख्ती पूरी तरह से टांय-टांय फिस्स हो गई। चाइना डोर न केवल कोडवर्ड में धड़ल्ले से बिकी बल्कि लोगों ने जमकर इसका इतना प्रयोग किया कि पक्षियों के साथ-साथ राहगीरों के लिए परेशानी बनी रही। 

एक रात में नोटबंदी हो सकती है तो चाइना डोर पर पाबंदी क्यों नहीं
पेरैंट्स यूनियन के अध्यक्ष जयदीप जेतली, समाज सेवक विजय रौली एवं श्री जैन मित्र मंडल के प्रैस सचिव धर्मवीर जैन, समाज सेवक प्रमोद मेहरा, राजेश बत्तरा, समाज सेवा सुरभि वर्मा के अतिरिक्त विभिन्न लोगों ने चाइना डोर की धड़ल्ले से बिक्री का विरोध जताते हुए कहा कि अगर सरकार एवं प्रशासन चाहे तो इसका प्रयोग एक दिन में बंद हो सकता है। अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक रात में नोटबंदी कर सकते हैं तो चाइना डोर का आयात क्यों नहीं रोक सकते।  

पतंगबाजों को गाली तक देते दिखाई दिए लोग
चाइना डोर के शिकंजे से बचने के लिए चाहे आकाश में उडऩे वाले पक्षियों की संख्या कम दिखाई दी लेकिन इसने पेड़ों पर बैठे पक्षियों को भी नहीं बख्शा। एस.पी.सी.ए. के इंस्पैक्टर अशोक जोशी ने बताया कि उन्होंने सुबह स्वयं पेड़ों पर चढ़कर तोतों तथा अन्य पक्षियों को चाइना डोर की गिरफ्त से आजाद करवाया। इसी तरह सड़क पर चल रहे वाहन चालकों के लिए वाहन चलाना मुश्किल हो रहा था। ज्यादातर वाहन चालक सड़कों पर वाहन रोककर टायरों में फंसी या अपने गले में पड़ी डोर निकालते देखे गए। कुछ तो गिरते-गिरते बचे और पतंगबाजों को गालियां तक निकालते देखे गए।

लड़कियों में भी दिखा पतंगबाजी का शौक
लड़कियां आजकल जहां हर काम में लड़कों से आगे हैं, वहीं वे पतंगबाजी का शौक भी पूरा करने में भी पीछे नहीं हैं। शहर के पॉश इलाकों की छतों पर लड़कियां आई बो वो काटा की नारे लगाकर पतंगबाजी करती दिखाई दीं। इसके अतिरिक्त शहजादानंद कालेज, बी.बी.के. डी.ए.वी. कालेज एवं खालसा कालेज फार वूमैन में भी पतंगबाजी में लड़कियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके अतिरिक्त सुंदर नगर स्थित मंदिर वैष्णो दरबार में माता शारदा महेश्वरी द्वारा भी श्रद्धालुओं के साथ पतंगबाजी की गई। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि चाइना डोर की जगह देसी डोर से पतंग उड़ाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए और इसका गुपचुप प्रयोग बंद करवाया जाए।

बम-पटाखा कोडवर्ड से दोगुने दाम पर बिकी ड्रैगन डोर

पूरा आसमान पतंगों से भरा दिखाई दिया और घरों की छतों पर लाऊडस्पीकर लगाकर गानों के साथ युवा, बच्चे और बूढ़े अपना पतंगबाजी का शौक चाइना डोर के संग पूरा करते दिखाई दिए। इसके अतिरिक्त खुले मैदान में पतंगबाजी के मुकाबले हुए। बाजार में जहां बड़े-बड़े आकार की पतंगें महंगे दामों पर बिकती दिखाई दीं, वहीं देसी डोर की आड़ में चाइनीज गट्टुओं की भी खूब बिक्री हुई। बम व पटाखा कोडवर्ड के साथ चाइना डोर के दलाल इसे दोगुने-तिगुने दाम पर जगह-जगह बेचते देखे गए लेकिन पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने रहे। जब शहर में देसी डोर बनाने वाले दुकानदारों से बात की तो उन्होंने प्रशासन को कोसते हुए कहा कि प्रशासन की नालायकी के कारण उनका धंधा कई वर्षों से मंदा जा रहा है। चाइना डोर के गट्टुओं की सेल 50 से लेकर 70 प्रतिशत तक हुई जबकि वे 20 से 30 प्रतिशत तक ही अपनी डोर बेच पाए। 

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