Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Nov, 2017 07:53 AM
पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह अपने पुत्र रणइंद्र सिंह को एक बार फिर से सक्रिय राजनीति में लाने के लिए जी-तोड़ प्रयत्नों में जुट गए हैं। पंजाब के मौजूदा राजनीतिक हालातों को देखते हुए वे अभी से रणइंद्र को 2019 के लोकसभा चुनावों में बठिंडा से...
जालंधर(चोपड़ा): पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह अपने पुत्र रणइंद्र सिंह को एक बार फिर से सक्रिय राजनीति में लाने के लिए जी-तोड़ प्रयत्नों में जुट गए हैं। पंजाब के मौजूदा राजनीतिक हालातों को देखते हुए वे अभी से रणइंद्र को 2019 के लोकसभा चुनावों में बठिंडा से चुनाव मैदान में उतारने के लिए जमीन तैयार करने में जुट गए हैं, जिस कारण कै. अमरेन्द्र सिंह व प्रकाश सिंह बादल परिवार के बठिंडा में एक बार फिर से आमने-सामने होंगे और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की बहू व शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल की पत्नी केंद्रीय राज्यमंत्री हरसिमरत और युवराज रणइंद्र के मध्य महामुकाबला होने के आसार बन गए हैं।
उल्लेखनीय है कि हरसिमरत ने 2009 की लोकसभा चुनावों में रणइंद्र सिंह को करीब 1 लाख 20 हजार वोटों के अंतर से पराजय दी थी परंतु 2014 के लोकसभा चुनावों में मनप्रीत बादल के साथ मुकाबले में हरसिमरत की लीड 20 हजार तक सीमित रह गई थी। यूं तो पंजाब की पूर्व बादल सरकार ने 10 वर्षों के शासनकाल में बङ्क्षठडा के विकास के लिए दिल खोलकर ग्रांटों के गफ्फे दिए थे। इस कारण अन्य जिलों के नेताओं द्वारा मुख्यमंत्री बादल पर पंजाब का सारा पैसा बठिंडा पर खर्च करने के आरोप भी लगते रहे। बादल परिवार की मशक्कत के बावजूद 2017 के विधानसभा चुनावों में बठिंडा के मतदाताओं ने अपना रुख बदल लिया। पंजाब में चल रही ‘आप’ की लहर को समर्थन देते हुए मतदाताओं ने 9 में से 5 विधानसभा हलका से आप उम्मीदवारों को जितवाया, जबकि कांग्रेस और अकाली-भाजपा गठबंधन को केवल 2-2 सीटों पर संतोष करना पड़ा।विधानसभा चुनावों के 8 महीनों के दौरान ही राजनीतिक हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। बठिंडा के जिन विधानसभा हलकों में ‘आप’ के विधायक हैं वहां की जनता में निरंतर रोष बढ़ता जा रहा है कि उनके काम नहीं हो रहे हैं और वे महसूस करने लगे हैं कि लोकसभा चुनावों में कोई ऐसा नेता आए जोकि उनका हाथ थाम सके।
विधानसभा चुनावों के उपरांत पंजाब में ‘आप’ का ग्राफ निरंतर गिरता जा रहा है और अकाली-भाजपा गठबंधन भी कैप्टन सरकार की नाकामियों को कैश करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है, जबकि गुरदासपुर लोकसभा के उपचुनाव में सुनील जाखड़ की जीत से कैप्टन खेमा खासा उत्साहित दिख रहा है। मनप्रीत के वित्त मंत्री बनने के उपरांत लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के पास कोई मजबूत दावेदार भी नहीं है इसी कारण कै. अमरेन्द्र ने बङ्क्षठडा सीट पर अपनी पैनी निगाह रखी हुई है और रणइंद्र को चुनाव लड़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में बठिंडा में बड़े स्तर पर प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के तबादले की तैयारी चल रही है और कै. अमरेन्द्र ऐसे अधिकारियों को तैनात करने जा रहे हैं जोकि कांग्रेसियों व जनता के काम कर उन्हें खुश रख सकें। इसके अलावा कै. अमरेन्द्र ने बठिंडा के बड़े कांग्रेसी नेताओं को संदेश दे दिया है कि अनुकूल परिस्थितियों के मद्देनजर रणइंद्र के चुनाव की कमान संभालते हुए अभी से तैयारियां शुरू कर दें। अब 2019 में पंजाब के 2 बड़े राजनीतिक परिवारों में होने वाला चुनावी घमासान क्या रंग दिखाता है यह समय के गर्भ में है।