Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 02:11 AM
राणा गुरजीत के इस्तीफे को लेकर राहुल गांधी व मुख्य सचिव सुरेश अरोड़ा को लेकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के उपरांत हो रही सरकार की किरकिरी के चलते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के समक्ष अपनी सरकार का अक्स सुधारना एक बड़ी चुनौती बन गया है।...
जालंधर(चोपड़ा): राणा गुरजीत के इस्तीफे को लेकर राहुल गांधी व मुख्य सचिव सुरेश अरोड़ा को लेकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के उपरांत हो रही सरकार की किरकिरी के चलते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के समक्ष अपनी सरकार का अक्स सुधारना एक बड़ी चुनौती बन गया है। इस चुनौती को पूरा करने के लिए कै. अमरेन्द्र को अपनी कार्यशैली में बदलाव लाने सहित अनेकों कड़े फैसले लेने होंगे।
2017 के विधानसभा चुनावों के उपरांत प्रदेश की सत्ता संभालने वाले मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह अपने चिर-परिचित अंदाज में दरबारियों (सलाहकारों) के मकडज़ाल में घिर गए हैं। 2017 में सत्ता की कुंजी हाथ में आने के बाद से ही कै. अमरेन्द्र सिंह का पंजाब सचिवालय से मोह भंग हो चुका है। उन्होंने मुख्यमंत्री का पदग्रहण करने के अलावा चंद मीटिंगों को लेकर ही सचिवालय का रुख किया है। कै. अमरेन्द्र मुख्यमंत्री निवास पर ही बनाए अपने कार्यालय से ही सारा कामकाज देख रहे हैं।
मुख्यमंत्री की सचिवालय से बनी दूरी के चलते मंत्री भी वहां जाने से गुरेज करने लगे हैं। मौजूदा माहौल के चलते सचिवालय पूरी तरह से ऑफिसर लॉबी के हाथों में है जिस कारण सरकार की कारगुजारी जीरो हो गई है। वहीं पंजाब मंत्रिमंडल के लगातार लटकते आ रहे विस्तार ने कै. अमरेन्द्र के दरबारियों की सरदारी को और भी बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री के पास 40 से अधिक विभाग हैं परंतु उनके पास इन विभागों की जरूरी समीक्षा तक के लिए पर्याप्त समय नहीं है। इसी बात का लाभ उनके दरबारी खूब उठा रहे हैं और वह सरकारी कामों में रुकवटें डालने और व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते सरकार की बदनामी का कारण बन रहे हैं। इस कारण प्रदेश की जनता में कैप्टन सरकार की साख लगातार कम हो रही है। मुख्यमंत्री के साथ तैनात एक दरबारी खासा चर्चा में है जिसने पर्दे के पीछे रहते हुए विजीलैंस ब्यूरो और ट्रांसपोर्ट विभाग की भागदौड़ संभाली हुई है। विजीलैंस की तरफ से लिए गए विवादित फैसलों में भी इसी सलाहकार का हाथ माना जाता है।
चर्चा है कि इसी सलाहाकार के दखल के कारण ही नई ट्रांसपोर्ट नीति लागू नहीं हो रही। ट्रांसपोर्ट विभागों के विवादों में घिरे रहने वाले एक बड़े व पूर्व अधिकारी के पुत्र को भी ट्रांसपोर्ट विभाग में इसी सलाहकार की मेहरबानी के साथ नियमित दाखिला मिला है। हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद ट्रांसपोर्ट नीति लागू न होने का कारण यह भी माना जा रहा है कि कैप्टन शासन प्रदेश के सबसे पड़े ट्रांसपोर्टर के तौर पर जाने जाते बादल परिवार को नाराज करने के मूड में नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर ऑल इंडिया कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी पंजाब सरकार की कार्यशैली पर पैनी निगाह रखे हुए है और ऐसे कई मामले ऑल इंडिया कांग्रेस के प्रधान राहुल गांधी के दरबार तक पंहुच चुके हैं। पंजाब से सबंधित राहुल बिग्रेड भी उन्हें लगातार फीडबैक दे रही है। राणा गुरजीत के मामले में राहुल गांधी के कड़े फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार व संगठन स्तर पर राहुल गांधी भ्रष्टाचार को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।