Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 02:11 AM
रेत खनन मामले में आरोपों से घिरे कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद कैप्टन अमरेन्द्र सिंह मंत्रिमंडल से दोआबा बाहर हो गया है। राणा गुरजीत के इस्तीफे के बाद अब दोआबा के विधायकों में मंत्री पद हासिल करने की दौड़...
जालन्धर(चोपड़ा,रविंदर): रेत खनन मामले में आरोपों से घिरे कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद कैप्टन अमरेन्द्र सिंह मंत्रिमंडल से दोआबा बाहर हो गया है।
राणा गुरजीत के इस्तीफे के बाद अब दोआबा के विधायकों में मंत्री पद हासिल करने की दौड़ भी शुरू हो गई है। जिक्रयोग्य है कि पिछले कई दशकों से हरेक मंत्रिमंडल से ज्यादातर चेहरे जालंधर से सबंधित ही शामिल किए जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के दौरान अपने साथ 9 कैबिनेट मंत्रियों को शामिल किया। चूंकि कपूरथला से राणा गुरजीत सिंह और होशियारपुर से शाम सुंदर अरोड़ा व संगत सिंह गिलजियां ही दूसरी बार विधायक बने थे। जालंधर के 9 विधानसभा हलकों में से कांग्रेस ने 5 सीटें जीतीं परंतु जीतने वाले सभी विधायक नए चेहरे थे। केवल कैंट हलका से परगट सिंह दूसरी बार विधायक बन पाए परंतु पहली बार वह अकाली दल से चुनाव जीते थे।
कै. अमरेन्द्र के साथ अच्छी पैठ होने के कारण केवल राणा गुरजीत सिंह ही कैप्टन की कैबिनेट में स्थान हासिल कर पाए जबकि कैप्टन मंत्रिमंडल में स्थान पाने वाले ज्यादातर विधायक मालवा क्षेत्र से सबंधित हैं। कै. अमरेन्द्र ने 9 मंत्रियों के बाद अभी 8 मंत्री और बनाने थे परंतु राणा गुरजीत के विकेट गिरने के बाद अब 9 नए मंत्री बनाए जाएंगे। दोआबा में पनपे सूनेपन के कारण एक बार फिर से विधायकों में मंत्री पद हासिल करने की दौड़ शुरू होगी। जालंधर से परगट सिंह, राजिन्द्र बेरी, सुशील रिंकू, जूनियर अवतार हैनरी, सुरिन्द्र चौधरी अपना भाग्य आजमाने को तैयार दिखाई दे रहे हैं। वहीं होशियारपुर से डा. राजकुमार चब्बेवाल, संगत सिंह गिलजियां व शाम सुंदर अरोड़ा भी मंत्री पद हासिल करने की दौड़ में लग गए हैं। अब मंत्रिमंडल में विस्तार के दौरान दोआबा जोन के कितने व किन विधायकों की लॉटरी निकलती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
कांग्रेस सरकारों में कभी जालंधर की बोलती रही है तूती
पिछले दशकों के दौरान जब-जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई है तब-तब जालंधर जिले के विधायकों की हरेक मंत्रिमंडल में तूती बोलती रही है। जालंधर से चौधरी जगजीत सिंह, मोहिन्द्र सिंह के.पी., अवतार हैनरी, संतोख चौधरी जैसे दिग्गज नेता सामने आए हैं, जिन्होंने न केवल मंत्री पद हासिल किए बल्कि प्रदेश की राजनीति पर भी अपनी खासी छाप छोड़ी थी।
चौधरी जगजीत सिंह जिनका स्वर्गवास हो चुका है, सीनियर अवतार हैनरी को टिकट नहीं मिली, मोहिन्द्र सिंह के.पी. के लोकसभा चुनाव हार जाने के बाद उन्हें पार्टी ने विधानसभा चुनावों में मौका नहीं दिया, संतोख चौधरी जोकि लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद बन चुके थे, अब जिले में कोई ऐसा दिग्गज व अनुभवी नेता दिखाई नहीं दे रहा है जोकि अपने प्रभाव के चलते कै. अमरेन्द्र सिंह के मंत्रिमंडल में स्थान हासिल करने की क्षमता रखता हो। चूंकि राहुल गांधी के पार्टी प्रधान बनने के बाद युवा वर्ग के आगे आने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिससे लगता है कि शायद जालंधर के पहली बार विधायक बने किन्हीं युवा चेहरे को कैप्टन मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए।