Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 09:44 AM
स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में परिक्रमा के साथ लगते बुंगा मजहाबियान के कब्जे को लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधककमेटी (एस.जी.पी.सी.) की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यहां निर्माण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में परिक्रमा के साथ लगते बुंगा मजहाबियान के कब्जे को लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधककमेटी (एस.जी.पी.सी.) की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यहां निर्माण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। मामले में मार्च के अंत की तारीख तय करते हुए हाईकोर्ट ने साफ किया कि केस की अगली सुनवाई तक कोई निर्माण नहीं होगा।
हाईकोर्ट मामले में इससे पहले वारंट्स ऑफ पोजैशन के एग्जीक्यूशन को लेकर एग्जीक्यूटिंग कोर्ट द्वारा जारी आदेशों पर पहले ही नवम्बर, 2017 में रोक लगा चुकी है। एक्स मिलिट्री मजहबी सिख एसोसिएशन व इसके पदाधिकारियों को पार्टी बनाते हुए एस.जी.पी.सी. द्वारा यह याचिका दायर की गई। याचिका में 25 सितम्बर, 2017 को सिविल जज,अमृतसर द्वारा याची कमेटी की आपत्तियां रद्द करने के फै सले को खारिज किए जाने की मांग की गई थी। निचली कोर्ट के आदेशों को गैर कानूनी व तानाशाही रूप से किया फैसला बताया गया था। दरअसल एक्स-मिलिट्री मजहबी सिख एसोसिएशन व अन्य ने बुंगा मजहाबियान के क ब्जे को लेकर केस निचली कोर्ट में दायर किया था। उनके हक में आदेश पारित हुए थे।
इसके बाद डिक्री होल्डर एसोसिएशन व अन्य ने कब्जे को लेकर वारंट ऑफ पोजैशन जारी करने के लिए एग्जीक्यूशन अर्जी दायर की थी। ट्रायल कोर्ट रिकार्ड में साइट प्लान के मुताबिक फैसले के हिसाब से एग्जीक्यूशन प्रक्रिया के बावजूद एसोसिएशन ने खुद द्वारा तैयार साइट प्लान पेश कर दिया व एग्जीक्यूटिंग कोर्ट के समक्ष रिकार्ड पर दे दिया।
एग्जीक्यूटिंग कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट फाइल को समन्न कर आदेश जारी कर दिए। इसके अवलोकन से खुलासा हुआ कि एग्जीक्यूशन कोर्ट द्वारा डिक्री होल्डर द्वारा पेश किए गए साइट प्लान के मुताबिक एग्जीक्यूशन प्रक्रिया की गई, बावजूद इसके कि ट्रायल कोर्ट का रिकार्ड प्राप्त नहीं हुआ था। मौजूदा मामले में याची पक्ष द्वारा पेश की गई आपत्तियों को रद्द करते हुए इसने वारंट्स ऑफ पोजैशन जारी कर दिए।
उन आदेशों में कहा गया कि एस.जी.पी.सी. को डिक्री होल्डर द्वारा पेश किए साइट प्लान को चुनौती देने का कोई हक नहीं है। एस.जी.पी.सी. के वकील ने कहा कि साइट प्लान के मुताबिक प्रापर्टी जमीन का एक खुला टुकड़ा है। बैलिफ की रिपोर्ट के मुताबिक यहां दो मंजिला बिल्डिंग थी। निचली कोर्ट के फै सले को लेकर एस.जी.पी.सी. ने कहा कि उनकी आपत्तियां मैकेनिकल आदेश जारी कर रद्द कर दी गईं जिससे प्रतीत होता है कि न्यायिक दिमाग नहीं लगाया गया।