Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jan, 2018 09:41 AM
लोकसभा चुनावों में अपनी हार का बदला लेने को उतारू वित्त मंत्री अरुण जेतली के रवैये के कारण पंजाब में 50000 करोड़ रुपए की सैल्फ इंवैस्टमैंट पर संकट के बादल छा गए हैं।
जालंधर (चोपड़ा): लोकसभा चुनावों में अपनी हार का बदला लेने को उतारू वित्त मंत्री अरुण जेतली के रवैये के कारण पंजाब में 50000 करोड़ रुपए की सैल्फ इंवैस्टमैंट पर संकट के बादल छा गए हैं। उक्त शब्द सैल्फ फाइनांस एजुकेशन इंस्टीच्यूशंस ऑफ पंजाब के चेयरमैन व ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव अश्विनी सेखड़ी ने कहे। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम के अंतर्गत राज्य से संबंधित फंड्स बकाया हैं और केंद्र सरकार जानबूझ कर इन्हें रिलीज नहीं कर रही है।
सेखड़ी ने कहा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजय सांपला केंद्र सरकार में मात्र नाम के राज्यमंत्री हैं, लगता नहीं उनकी केंद्र में कोई सुनवाई है क्योंकि अनेकों दावों के बावजूद वह पंजाब के लिए फंड्स लाने में असमर्थ साबित हुए हैं।पिछले 2 सालों में 1000 करोड़ से अधिक की नॉन-पेमैंट के कारण अन-एडिड इंस्टीच्यूट्स को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि राशि नहीं मिलने के कारण इन कालेजों के एक लाख से ज्यादा कर्मचारियों को वेतन तक देना मुश्किल हो रहा है। कुछ इंस्टीच्यूट्स के कर्मचारियों का पिछले 4-5 महीनों का वेतन अभी भी लंबित है। प्रबंधकों से बैंकों का ब्याज और लोन की किस्तें भी नहीं निकल पा रही हैं। पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम के तहत पंजाब में पढ़ाई करने वाले 5 लाख से अधिक अनुसूचित जाति व पिछड़ी श्रेणियों के विद्यार्थी भी प्रभावित हो रहे हैं। सेखड़ी ने कहा कि अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने अपने कार्यकाल में पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप का पैसा अन्य कामों में डाइवर्ट कर दिया था जोकि दोबारा वापस नहीं आया। इसमें इन कालेजों व बच्चों का कोई कसूर नहीं है।
स्कालरशिप लेने वाले बच्चों की डिटेल वैब-पोर्टल पर मौजूद है जिस कारण केंद्र सरकार को फंड्स जारी करने में कोई बहानेबाजी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा पहाड़ी राज्यों को विशेष रियायतें देने से पंजाब पहले ही खासा प्रभावित है। टैक्स प्रणाली में अंतर के कारण पंजाब की ज्यादातर इंडस्ट्री हिमाचल व उत्तराखंड जैसे प्रदेशों में शिफ्ट हो चुकी है। अब केंद्र सरकार शिक्षण संस्थाओं के साथ ऐसा रवैया अपना कर इन्हें भी बंद होने की कगार पर पहुंचा रही है। सेखड़ी ने कहा कि 2002 से 2007 तक कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर पंजाबियों ने बड़े स्तर पर एजुकेशन सैक्टर में इन्वैस्टमैंट करके राज्य के वित्तीय ढांचे को मजबूत बनाने में अपना बड़ा योगदान दिया था परंतु आज केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण इन्हें अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा है।
उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह से मांग की कि जिस प्रकार उन्होंने किसानों, पंजाब के पानियों, इंडस्ट्री व पंजाबियों के हक की लड़ाई लड़ी है उसी प्रकार वह पंजाबियों द्वारा बनाए इन शिक्षण संस्थाओं के हितों को देखते हुए केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं कि वह पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप का पैसा तुरंत रिलीज करे।
अगले सैशन में 500-600 करोड़ बकाया और बढ़ जाएगा : चोपड़ा
अनिल चोपड़ा चेयरमैन सेंट. सोल्जर ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूशन ने कहा कि पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप के फंड्स जारी नहीं हो पा रहे हैं जबकि 2018-19 के नए सैशन के लिए दाखिले भी अगले 2 महीनों में शुरू होने वाले हैं। उन्होंने बताया कि हम एस.सी., एस.टी. व ओ.बी.सी. विद्याॢथयों को दाखिले के लिए मना नहीं कर सकते जिस कारण पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप की बकाया राशि आगामी महीनों में 500-600 करोड़ रुपए और बढ़ जाएगी। इस कारण केंद्र सरकार को चाहिए कि समय रहते स्कालरशिप के बकाया फंड्स को रिलीज करे।
फंड्स की देरी से कई कालेजों की वित्तीय स्थिति डगमगाई : चरणजीत चन्नी
चरणजीत सिंह चन्नी, चेयरमैन सी.टी. ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूशंस ने कहा कि पहले पंजाब के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए बेंगलूर, पुणे व दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जाते थे परंतु पंजाब में इंस्टच्यूशंस खुलने के उपरांत अब हालात विपरीत हो गए हैं। प्रत्येक वर्ष हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा सहित विदेशों तक के विद्यार्थी पंजाब आकर पढ़ रहे हैं परंतु पी.एम.एस. की राशि में देरी के कारण कई कालेजों की वित्तीय स्थिति डगमगा गई है। केंद्र व राज्य सरकार को तुरंत इसका समाधान निकालना चाहिए।