Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jan, 2018 10:48 AM
यातायात और वाहनों के साथ संबंधित तकनीकों में क्रांतिकारी तरक्की होने के बावजूद भी देश में सड़क हादसों की दर लगातार बढ़ रही है। खास तौर पर सॢदयों में धुंध कारण होने वाली दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या में भी विस्तार हो रहा है परन्तु सितम की बात यह है...
गुरदासपुर(हरमनप्रीत सिंह): यातायात और वाहनों के साथ संबंधित तकनीकों में क्रांतिकारी तरक्की होने के बावजूद भी देश में सड़क हादसों की दर लगातार बढ़ रही है। खास तौर पर सॢदयों में धुंध कारण होने वाली दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या में भी विस्तार हो रहा है परन्तु सितम की बात यह है कि ऐसी बेवक्ती मौतों को रोकने की बजाय लापरवाही व अनियमितताओं का सिलसिला जारी है।
कई सड़कों पर सफेद पट्टी तक नहीं
देश के अन्य हिस्सों सहित पंजाब में हादसों में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण लापरवाही और अनियमितताएं हैं। धुंध के दिनों में वाहनों को हादसों से बचाने के लिए सड़कों पर सफेद पट्टी लगाने के अलावा सड़कों की मुरम्मत, वाहनों के आगे-पीछे रिफ्लैक्टर, चालकों को प्रशिक्षण, इन्फोर्समैंट, साइन बोर्ड लगाने आदि की सख्त जरूरत है, परन्तु इसके बावजूद कई प्रमुख सड़कें अभी तक सफेद पट्टी से वंचित हैं। एक अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखते हुए बताया कि ऐसी पट्टी लगाना तो दूर, उनके पास तो सड़कों के गड्ढे भरने के लिए भी पैसे उपलब्ध नहीं हैं।
दिसम्बर 2017 में हुई 17 मौतें
यातायात मंत्रालय की एक रिपोर्ट अनुसार पिछले 3 वर्षों से धुंध के कारण होने वाले हादसों की संख्या लगातार बढ़ी है। 2014 में धुंध और धूल के कारण हुए सड़क हादसों में रोजाना औसतन 16 लोगों की मौत हुई थी जबकि 2015 दौरान ऐसे हादसों में मौतों की संख्या बढ़ कर 21 हो गई। 2016 में तकरीबन 25 व्यक्ति प्रतिदिन धुंध के कारण हुए हादसों की बलि चढ़ते रहे। 2017 में इस संख्या में और विस्तार हो रहा है। 2016 में यू.पी. में ऐसे हादसों दौरान होने वाली मौतों में कुछ कमी आई, परन्तु हरियाणा में कई वृद्धि देखने को मिली। इसी तरह पंजाब में 2017 दौरान दिसम्बर महीने में ही 3 दर्जन से भी ज्यादा लोग मौत के मुंह में चले गए।
टोल टैक्स वसूलने के बावजूद सड़कों की रिपेयर नहीं
टोल टैक्स वसूलने के बावजूद भी कई कम्पनियां सड़कों की मुरम्मत नहीं करवा रही और न ही फीकी पड़ी सफेद पट्टी की तरफ ध्यान दिया जाता है। स्पीड के मामले में इस हद तक लापरवाही है कि चालक सरेआम अपनी और दूसरों की जान के साथ खिलवाड़ करते हैं। बहुत-सी बसें स्पीड गवर्नरों से खाली हैं। ओवर लोङ्क्षडग का मामला भी अनदेखा पड़ा है। ऐसा रुझान किसी एक शहर या जिले में नहीं, बल्कि सारे पंजाब सहित अन्य राज्यों में भी देखने को मिल रहा है, परन्तु इसके बावजूद भी लोगों की सुरक्षा से जुड़ा यह अहम मामला सरकारों और राजनीतिज्ञों की प्राथमिक तरजीहों में शामिल नहीं हो सका।