Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Nov, 2017 05:06 PM
शिक्षा विभाग द्वारा मास्टर कैडर की जारी की गई वरीयता में गलतियों की भरमार है। विभाग की ओर से जारी वरीयता में 4000 से अधिक मास्टर कैडर के अध्यापकों के नाम जहां पूरी तरह गायब कर दिए गए हैं, वहीं जारी सूची में 1000 से अधिक सेवानिवृत्त अध्यापकों के नाम...
अमृतसर (दलजीत): शिक्षा विभाग द्वारा मास्टर कैडर की जारी की गई वरीयता में गलतियों की भरमार है। विभाग की ओर से जारी वरीयता में 4000 से अधिक मास्टर कैडर के अध्यापकों के नाम जहां पूरी तरह गायब कर दिए गए हैं, वहीं जारी सूची में 1000 से अधिक सेवानिवृत्त अध्यापकों के नाम सूची में हटाए नहीं गए हैं। विभाग की नालायकी की बात करें तो मास्टरों द्वारा सूची जारी होने से पहले विभाग को खामियां दूर करने की दी गई शिकायत पर भी कोई गौर नहीं किया गया।
जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा पंजाब भर के सरकारी स्कूलों में तैनात 33,000 के करीब मास्टरों की सीनियोरिटी सूची बीते कुछ दिन पहले जारी की गई थी। सूची जारी करते समय वर्ष 1994 में भर्ती हुए अध्यापकों के नाम ही सूची में शामिल किए गए हैं।इसके अलावा वर्ष 1996-1997 में विभाग में भर्ती हुए अध्यापकों को नजरअंदाज किया गया।
नियम बताते हैं कि विभाग द्वारा वरीयता सूची जारी करने से पहले हर मास्टर से उसकी राय लेकर शिकायतों के साथ इंचार्ज मांगे जाते हैं, ताकि अध्यापक वर्ग को भरोसे में लेकर सही और पारदर्शिता से वरीयता सूची बनाई जा सके ताकि कोई भी अध्यापक माननीय अदालत में उक्त वरीयता को चैलेंज न कर सके। जारी वरीयता में साल 2004-05 में सेवानिवृत्त हुए 1000 अध्यापकों के नाम भी शामिल किए गए हैं, जबकि उनका वरीयता सूची में होने का कोई अर्थ ही नहीं है। सेवानिवृत्त अध्यापकों के नाम सूची में शामिल होने के कारण बहुत-सी सीनियर अध्यापकों आज भी जूनियर बने हुए हैं।
डिजीटल युग में शिक्षा विभाग पिछड़ा
कहने को तो भारत आजकल डिजीटल होने का दावा कर रहा है, परन्तु पंजाब का शिक्षा विभाग इस डिजीटल युग में शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुमार के होते हुए भी कोसों दूर है।
इस सूची में 2008, 2012 और 2016 में लैक्चरार बन चुके
अध्यापक भी अभी उसी तरह अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रहे हैं, जबकि इस समय उनकी वरीयता लैक्चरर कैडर में होनी चाहिए। समय-समय पर वरीयता सूची की अपडेशन करने का काम जारी रहना चाहिए, ताकि योग्य अध्यापक समय पर पदोन्नति प्राप्त कर सकें।
कोर्ट के आदेश का भी नहीं हो रहा पालन
शिक्षा विभाग माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं कर रहा है। आदेश के बावजूद मास्टर कैडर की सही वरीयता जारी नहीं की जा रही है। वरीयता से पीड़ित मास्टर वर्ग कोर्ट की शरण में जा रहा है और कोर्ट द्वारा हर बार विभाग को अपनी कारगुजारी सही करने के लिए कहा जा रहा है, परन्तु इस के बावजूद विभाग के कानों पर जूं तक नहीं सरक रही।
तरक्की का स्वप्न लेते कई मास्टर हुए सेवानिवृत्त
विभाग की नालायकी के कारण सैंकड़ों कर्मचारी तरक्की का सपना लेते हुए सेवानिवृत्त हो गए हैं। मास्टरों को सूची जारी होने से पहले आशा थी कि कृष्ण कुमार पारदर्शिता से काम को ध्यान में रख कर सूची जारी करेंगे और 2 वर्षों से हैडमास्टर बनने का इंतजार कर रहे मास्टरों की दुखती रग को पकड़ेंगे, परन्तु कृष्ण की ढीली कारगुजारी ने यह साबित कर दिया है कि चाहे कोई भी शिक्षा सचिव बन जाए, उनको इंसाफ के लिए हमेशा संघर्ष ही करना पड़ेगा।