Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jan, 2018 03:20 PM
प्रदेश से संबंधित 25 स्कूली बच्चों के जाली दस्तावेजों के सहारें रग्बी खेलने की आड़ में कुछ फर्जी ट्रैवल एंजैंटों द्वारा फ्रांस भेजने के मामले ने कई स्कूल प्रबंधकों की नींद उड़ा दी है। इस पूरे प्रकरण ने कई अन्य विद्यार्थियों के स्कूल ट्रिप के साथ...
कपूरथला (भूषण): प्रदेश से संबंधित 25 स्कूली बच्चों के जाली दस्तावेजों के सहारें रग्बी खेलने की आड़ में कुछ फर्जी ट्रैवल एंजैंटों द्वारा फ्रांस भेजने के मामले ने कई स्कूल प्रबंधकों की नींद उड़ा दी है। इस पूरे प्रकरण ने कई अन्य विद्यार्थियों के स्कूल ट्रिप के साथ विदेश जाने के सपने को काफी हद तक चूर-चूर कर दिया है, जो अक्सर अपने स्कूल की ओर से अमरीका के विश्व विख्यात अंतरिक्ष केंद्र नासा सहित कई अहम पर्यटन स्थलों का दौरा कर अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं लेकिन अब इस पूरे मामले के बाद विभिन्न दूतावासों द्वारा सख्त रुख अपनाने की संभावना भी बढ़ गई है।
बड़े पब्लिक स्कूलों के यूरोप व उत्तरी अमरीकी देशों में जाते हैं ट्रिप
गत 2 दशकों से प्रदेश के कई बड़े पब्लिक स्कूलों, जो अपनी बढिय़ा शिक्षा व उच्च फीस के लिए जाने जाते हैं, से संबंधित विद्यार्थी अक्सर गर्मियों की छुट्टियां या क्रिसमस के दौरान यूरोप तथा उत्तरी अमरीकी देशों में जाकर उन देशों की संस्कृति के साथ-साथ वहां के विकास तथा तकनीक संबंधी जानकारी भी लेते हैं।
इन ट्रिप के दौरान अक्सर विद्यार्थियों के परिजन उन्हें भविष्य में पढ़ाई में और बेहतर जानकारी के लिए लाखों रुपए खर्च कर विदेश भेजते हैं जिससे विद्यार्थी अमरीकी अंतरिक्ष केंद्र नासा, अमरीकी राजधानी वाशिंगटन डी.सी., वंडरलैंड के साथ-साथ कनाडा के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नियाग्राफॉल जाते हैं। इनमें से अधिक विद्यार्थी सम्पन्न व अमीर परिवारों से संबंधित होते हैं जो अपना ट्रिप खत्म होते ही स्कूल प्रबंधकों के साथ वापस लौट आते हैं।
वीजा देने की दर में भारी कमी ला सकते हैं विभिन्न देशों के दूतावास
सी.बी.आई. द्वारा विद्यार्थियों को विदेश भेजने की आड़ में मोटी रकम लेने संबंधी पकड़े गए मामले से अब जहां संबंधित देशों के दूतावासों द्वारा वीजा देने की दर में भारी कमी की जा सकती है, वहीं इस पूरे प्रकरण से उन विद्यार्थियों को भारी नुक्सान पहुंच सकता है जो सचमुच में अपनी छुट्टियों के दौरान इन देशों में जाकर वापस अपने घर लौट आते थे। लेकिन इस मामले ने सभी विद्यार्थियों के विदेश घूमने के सपने को किसी हद तक चूर-चूर करने में बड़ी भूमिका अदा की है। इसको लेकर अब अधिकतर स्कूल प्रबंधक भी ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से बचने लगे हैं।
गौर हो कि यदि आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो वर्ष 2000 के बाद कपूरथला जिला से संबंधित कई बड़े स्कूलों के सैंकड़ों की संख्या में बच्चे इन देशों में घूमकर शिक्षा संबंधी अहम जानकारी ले चुके हैं। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में इस मामले में आम स्कूलों का क्या रुख होगा।