Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 03:34 PM
चाहे केंद्र व पंजाब सरकारें आवारा पशुओं की देख-रेख के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने के दावे कर रही हैं पर कुछ जगहों पर बनी गऊशालाएं भी सिर्फ एक खानापूर्ति ही बनकर रह गई हैं। सरकार द्वारा बिजली के बिलों व गऊ सैस लगाकर बड़ी तादाद में रैवेन्यू इकट्ठा किया...
सुल्तानपुर लोधी (सोढी): चाहे केंद्र व पंजाब सरकारें आवारा पशुओं की देख-रेख के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने के दावे कर रही हैं पर कुछ जगहों पर बनी गऊशालाएं भी सिर्फ एक खानापूर्ति ही बनकर रह गई हैं। सरकार द्वारा बिजली के बिलों व गऊ सैस लगाकर बड़ी तादाद में रैवेन्यू इकट्ठा किया जा रहा है पर आवारा पशुओं ने किसानों का जीना मुहाल किया हुआ है।
इस संबंधी किसान नेता नरिंद्र सिंह खिंडा व रणजीत सिंह थिंद ने कहा कि बेसहारा गऊओं व बछड़ों के नाम पर सियासी पाॢटयों द्वारा सिर्फ राजनीति ही की जा रही है जबकि असलियत में इन बेसहारा पशुओं की देख-रेख के लिए नाममात्र प्रबंध किए गए हैं। गांव मुहब्लीपुर के सरपंच मनजीत सिंह थिंद ने कहा कि यह आवारा व बेसहारा पशु कड़ाके की ठंड में खुले आसमान नीचे रातें काटते हैं, वहीं किसानों की फसलों को भी नुक्सान पहुंचा रहे हैं जिसके चलते किसानों को भी इस भयंकर ठंड में रातों को अपनी फसलों की देख-रेख करनी पड़ती है।
आवारा पशुओं की देख-रेख के लिए किए जाएं ठोस उपाए
शिव मन्दिर चौड़ा खूह के अध्यक्ष राकेश नीटू ने किसानों व अन्यों से अपील की कि बेसहारा गऊओं की मारपीट न की जाए व साथ ही केंद्र सरकार से कहा कि सड़कों पर घूम रही बेसहारा गऊओं की देख-रेख के लिए विशेष प्रबंध किए जाएं। उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार को आवारा पशुओं की देख-रेख के लिए ठोस उपाय करने की मांग की। समाज सेवक सुरिन्द्र सिंह बिट्टू ने बताया कि आवारा पशुओं की इतनी भरमार है कि लोग अपने घरों के नजदीक फूलों के बगीचे लगाते हैं पर वे उन्हें उजाड़ देते हैं और उनका नुक्सान करते हैं।