Edited By Updated: 05 Jan, 2017 03:24 PM
पंजाब चुनाव की घोषणा हो चुकी है जिसके साथ सभी पार्टियों ने कमर कस ली है लेकिन चुनाव दौरान खास मुद्दों के लेकर सभी पार्टियों को जनता का सामना करना पड़ेगा।
चंडीगढ़/फगवाड़ाः पंजाब चुनाव की घोषणा हो चुकी है जिसके साथ सभी पार्टियों ने कमर कस ली है लेकिन चुनाव दौरान खास मुद्दों के लेकर सभी पार्टियों को जनता का सामना करना पड़ेगा।
ये मुद्दे होंगे अहम
नशा- पंजाब में पिछले 5 साल से ड्रग्स का मुद्दा गंभीर बना हुआ है। इस मामले ने उस समय सबसे ज्यादा तूल पकड़ लिया जब पंजाब पुलिस के पूर्व डी.जी.पी. शशिकांत की मामले पर केस स्टडी सामने आई। इस स्टडी और साथ ही एक आरोपी भोला की गिरफ्तारी के बाद मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया। अकाली-भाजपा नेताओं पर ड्रग्स तस्करों से सांठ-गांठ के गंभीर आरोप लगे।
लॉ एंड ऑर्डर-पंजाब में गैंगस्टरों, नशा माफिया की बढ़ती धमक के बाद राज्य की कानून व्यवस्था पर भी तीखे सवाल खड़े हुए हैं। नाभा जेल ब्रेक के बाद खुद चुनाव आयोग भी इस मामले पर गहरी चिंता व्यक्त कर चुका है। राज्य में 57 गैंगों के सक्रिय होने की बात सामने आई है, जबकि 20 हजार के करीब भगौड़े अपराधी खुले में घूम रहे हैं। चुनाव आयुक्त ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चुनावों के दौरान ऐसे लोग वोटरों को प्रभावित करने के लिए हथियारों का सहारा ले सकते हैं।
इंडस्ट्री-पंजाब की इंडस्ट्री चाहे छोटी है या बड़ी इन सबके लिए सबसे बड़ा मुद्दा वैल्यू एडिड टैक्स (वैट) रिफंड है। वैट के रूप में सरकार के पास जमा इंडस्ट्री का पैसा उन्हें समय पर नहीं मिलने के चलते इसका सीधा असर कंपनियों के नए प्रोजैक्टों में होने वाले निवेश पर पड़ता है। अन्य सबसे बड़ा मुद्दा इंडस्ट्री लगाने के लिए लेने वाली मंजूरियां जैसे कि पोल्यूशन, जमीन अधिग्रहण, नक्शा, पावर सप्लाई आदि में देरी होना है। वहीं, ‘राहत’ जो कि नए लगने वाले प्रोजैक्टों को तो मिल जाती है, मगर पुराने लगे प्रोजैक्टों को राहत के नाम पर कुछ नहीं मिल पाता। वैसे तो वैट रिफंड का मुद्दा आने वाले समय में जल्द ही खत्म हो जाएगा, क्योंंकि जी.एस.टी. लागू होने वाला है।
बिजली-पंजाब की आॢथकता सीधे तौर पर कृषि व इंडस्ट्री पर टिकी हुई है। पंजाब में चल रहे 3 थर्मल प्लांटों के जरिए पूरे राज्य को बिजली की सप्लाई हो रही है। बीते चुनावों से पहले सरकार बिजली की मांग राज्य में पूरी नहीं कर पा रही थी जबकि सरकार दूसरे राज्यों व देशों को बिजली बेचने की बातें करती थी जिस कारण बिजली बीते चुनावों में ही एक बड़ा मुद्दा बन कर उभरी। मौजूदा सरकार जहां बिजली सरप्लस होने का दावा कर रही है और कृषि के लिए नए ट्यूबवैल कनैक्शन जारी कर इस मुद्दे को कैश करने की कोशिश में है वहीं पंजाब के उद्योगपति पंजाब में बढ़े बिजली के दामों को कम करने की मांग बड़े स्तर पर उठा रहे हैं।
बेरोजगारी-‘स्टैटिस्टिकल ऑब्स्ट्रैक्ट ऑफ पंजाब (2015)’ के आंकड़ों पर गौर करें तो पंजाब के इम्प्लायमैंट एक्सचेंज में 3,61,299 आवेदन लंबित पड़े हैं। कुल आवेदनों में से 2,92,238 लोग शिक्षित हैं जबकि 69,061 की संख्या अशिक्षित लोगों की दर्ज है। इसी स्टैटिस्टिकल सोर्स के अनुसार कुल आवेदनों में से 3,24,809 स्किल्ड की श्रेणी में हैं, वहीं 36,490 बेरोजगार अनस्किल्ड के रूप में दर्ज किए गए हैं। दूसरी तरफ सरकार 444 रुपए के बेरोजगारी भत्ते को लेकर पीठ थपथपा रही है मगर बेरोजगारी की समस्या से बढ़ रहे अपराधों व अन्य मामलों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह मुद्दा पंजाब इलैक्शन में बड़ा उलट फेर कर सकता है।
एस.वाई.एल.-एस.वाई.एल. नहर सतलुज और यमुना नदी के मध्य में बनी है। इस नहर का निर्माण हरियाणा के किसानों को पानी उपलब्ध करवाना था। देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह के समय इस नहर का शुभारंभ किया था लेकिन पंजाब के लोगों के विरोध के बाद इस नहर को लगभग बंद कर दिया गया।
किसानी-कृषि प्रधान राज्य होने के कारण किसानी शुरू से ही पंजाब चुनावों में एक बड़ा मुद्दा रही है। पंजाब की आधी से ज्यादा आबादी सीधे तौर पर कृषि से संबंधित है। पिछले कई वर्षों से किसानी कर्जों के कारण किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं ने सारे पंजाब को हिला के रख दिया है।
पॉल्यूशन-पंजाब में पर्यावरण में तेजी से फैल रहा प्रदूषण भी विधानसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (पी.पी.सी.बी.) ने अमृतसर, बटाला, मंडी गोङ्क्षबदगढ़, जालंधर, खन्ना, लुधियाना, नंगल, फगवाड़ा में तेजी से बढ़ते प्रदूषण को गंभीरता से मार्क किया है। जांच के दौरान पी.पी.सी.बी. ने जल प्रदूषण को लेकर 6200 उद्योगों और एयर पॉल्यूशन के मामले में 3500 उद्योगों को चिन्हित किया है। बोर्ड ने जल प्रदूषण को बढ़ावा दे रही 16 औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कोर्ट में मामले दायर किए हैं। इसके अलावा बोर्ड ने ध्वनि प्रदूषण की जांच के लिए 24 मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए हैं।
ट्रैफिक-पंजाब के शहरों में तेजी से बढ़ रही ट्रैफिक समस्या भी सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरी है। लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, पठानकोट आदि शहरों में यह समस्या रोजमर्रा का हिस्सा बन चुकी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में हर साल 5000 लोगों की सड़क हादसों में मौत हो रही है। पंजाब पुलिस की ट्रैफिक प्रबंधन में चूक इसका नतीजा माना जा रहा है। कांग्रेस ने सत्तासीन सरकार पर आरोप लगाया है कि ट्रैफिक व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए महज 1800 से 2000 ट्रैफिक जवानों की तैनाती ही राज्य भर में की गई जबकि 1294 वी.आई.पी. की सुरक्षा में 4000 से ज्यादा पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है।
इंफ्रास्ट्रक्चर-प्रदेश में सड़क व्यवस्था को उत्तम बनाना। केंद्र सरकार के सहयोग के चलते सरकार मुख्य सड़कों के साथ-साथ शहरों के अंदरूनी हिस्सों में भी नई सड़कें बिछाकर जनता की वाहवाही लूट चुकी है।