Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 08:15 AM
विजीलैंंस ब्यूरो द्वारा पंजाब टैक्रीकल यूनिवर्सिटी (पी.टी.यू.) के पूर्व उप-कुलपति सहित 10 आरोपियोंं के खिलाफ दर्ज की गई एफ.आई.आर. वर्ष 2013 में पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल शिवराज पाटिल को पी.टी.यू. प्रबंधन द्वारा प्रताडि़त किए गए कुछ कर्मचारियों व...
कपूरथला(भूषण): विजीलैंंस ब्यूरो द्वारा पंजाब टैक्रीकल यूनिवर्सिटी (पी.टी.यू.) के पूर्व उप-कुलपति सहित 10 आरोपियोंं के खिलाफ दर्ज की गई एफ.आई.आर. वर्ष 2013 में पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल शिवराज पाटिल को पी.टी.यू. प्रबंधन द्वारा प्रताडि़त किए गए कुछ कर्मचारियों व अधिकारियोंं द्वारा दिए गए एफीडैविट पर आधारित है। अब इस बहुचर्चित मामले की जांच में जुटी विजीलैंस ब्यूरो की टीम आने वाले दिनों में एक और एफ.आई.आर. दर्ज कर उन संदिग्ध नियुक्तियों के आधार पर कई नामों को शामिल करेगी जिन्हें राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर वर्ष 2013 के बाद यूनिवर्सिटी में कई प्रभावशाली पदों पर नियुक्त किया गया था।
वर्ष 2013 में सांसद प्रताप सिंह बाजवा
वर्ष 2013 में पंजाब टैक्रीकल यूनिवर्सिटी के तत्कालीन उप-कुलपति डा. रजनीश अरोड़ा द्वारा प्रताडि़त किए गए कई कर्मचारियोंं व अधिकारियों के साथ हुए अन्याय को लेकर राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल शिवराज पाटिल को ज्ञापन देकर पी.टी.यू. में हो रही धांधलियों की निष्पक्ष जांच करवाने की बात कही थी जिस के बाद आरोपी उप कुलपति डा. रजनीश अरोड़ा द्वारा प्रताडि़त किए गए कुछ कर्मचारियों व अधिकारियों ने राज्यपाल पंजाब को 7 एफीडैविट देकर इन भर्तियों में की गई गड़बड़ी को लेकर अहम खुलासे किए थे लेकिन तत्कालीन राज्यपाल द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों के बावजूद अकाली-भाजपा सरकार ने इस पूरे प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया था जिस के कारण 4 वर्ष तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
विजीलैंस ब्यूरो नई एफ.आई.आर. दर्ज कर कर सकता है कई नए नाम शामिल
पूरे प्रकरण की तेजी से जांच में जुटी विजीलैंंस ब्यूरो की टीम अब इस मामले के काफी अहम मोड़ तक पहुंच गई है। बताया जाता है कि विजीलैंस ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई एफ.आई.आर. में फिलहाल उन्हीं नामों को शामिल किया गया था जिन की शिकायत राज्यपाल के पास पहुंची थी लेकिन इस एफ.आई.आर. में वर्ष 2013 के बाद कई भाजपा व आर.एस.एस. नेताओं के बच्चों तथा नजदीकी रिश्तेदारों की यूनिवॢसटी में सभी नियमों को ताक पर रख कर कई अहम पदों पर तैनाती करने के दौरान हुई भॢतयों के संबंध में विवरण नहीं दिया गया है।
अब मामले की लगातार जांच कर रहे विजीलैंस ब्यूरो के हाथ कई ऐसी फाइलें लगी हैं जिन में प्रदेश के कई प्रभावशाली आर.एस.एस. व भाजपा नेताओं के नजदीकियों को मनमानी कर मलाईदार पद देने के खुलासे हुए हैं। इसी को लेकर अब जल्दी ही इन सभी नए नामों को लेकर एक और एफ.आई.आर. दर्ज की जा सकती है जिससे भाजपा व आर.एस.एस. के इन चॢचत नेताओ में दहशत का माहौल व्याप्त है।
1 सी. एंड एफ. 2 हाऊसवाइव्स के नाम पर, हर महीने मिलते थे साढ़े 10 लाख रुपए
पी.टी.यू. महाघोटाले को लेकर यूनिवॢसटी के पूर्व उपकुलपति 4 दिन के पुलिस रिमांड पर हैं। वैसे तो इस घोटाले को लेकर ङ्क्षचगारी 5 साल पहले ही सुलगने लगी थी जब पूर्व उपकुलपति डा. रजनीश अरोड़ा द्वारा अपनी मर्जी से 6 को-आर्डीनेटर एंड फैसिलिटेटर रखे गए थे। इस घोटाले को लेकर पूर्व राज्यपाल शिवराज पाटिल के समय से ही जांच शुरू हो गई थी और निदेशक तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग की तरफ से समय-समय पर यूनिवॢसटी के वाइस चांसलर को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट मांगी जाती रही है। इस दौरान हुए पत्राचार और दिए गए हल्फिया बयानों पर गौर किया जाए तो पूर्व उपकुलपति की तरफ से जो सी. एंड एफ. नियुक्त किए गए थे उनमें 1 सी. एंड एफ. 2 महिलाओं के नाम है और दोनों महिलाएं हाऊसवाइव्स हैं।
सी. एंड एफ. नियुक्ति से 2 महीने पहले खड़ी की गईं कुछ कंपनियां
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जो सी. एंड एफ. रखे गए उनकी नियुक्ति क्यों की गई, इस बारे में पूर्व उपकुलपति डा. रजनीश अरोड़ा के अलावा कोई नहीं जानता और न ही इनको साढ़े 10 लाख रुपए पारिश्रमिक प्रति माह तथा अन्य सुविधाएं फिक्स किए जाने संबंधी किसी को कुछ मालूम है। सभी 6 नियुक्तियां बिना किसी विज्ञापन के की गई हैं। यह भी जानकारी मिली है कि 1 सी. एंड एफ. कंपनी, जो कि 2 हाऊसवाइव्स के नाम है, की स्थापना सी. एंड एफ. की नियुक्ति से 2 महीने पहले की गई है। वहीं एक अन्य सी. एंड एफ. जिसे डिस्टैंस एजुकेशन प्रोग्राम बारे कोई अनुभव नहीं था उसे भी निुयक्ति से 2 महीने पहले स्थापित किया गया था। नियुक्त किए गए सी. एंड एफ्ज को रिजनल सैंटरों की जगह पर नियुक्त किया गया जो कि यूनिवर्सिटी और स्टूडैंट्स के बीच को-आर्डीनेशन का काम देख रहे थे।
मिडलमैन की तलाश
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विजीलैंस की तरफ से इस सारे महाघोटाले में कुछ मिडलमैन की खास भूमिका रही है। बदले में मिडलमैन ने भी अपने रिश्तेदारों को नौकरियां दिलाई हैं, जिनका खुलासा आने वाले दिनों में हो सकता है। मिली जानकारी के अनुसार जांच में जो कुछ सामने आया है यह तो मात्र एक ट्रेलर कहा जा सकता है। इसके अलावा भी कई नियुक्तियां हुई हैं जिनको लेकर भी अंदरखाते जांच शुरू हो चुकी है। इस जांच में कुछ और लोगों के फंसने की ग्राऊंड लगभग तैयार हो चुकी है।
क्यों लटकती रही जांच
निदेशक तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग द्वारा 13.5.2015 को पत्र लिखकर पूर्व उपकुलपति डा. रजनीश अरोड़ा और कुछ अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार संबंधी मिली शिकायतों की जांच कर 2 महीने के भीतर जांच रिपोर्ट दायर करने बारे लिखा गया था। इस संबंध में रिपोर्ट मुख्यमंत्री द्वारा भी मांगी गई थी लेकिन बीच में जांच लटकती रही। तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को पत्र लिखे जाने के बाद विजीलैंस विभाग ने यूनिवर्सिटी के पूर्व उपकुलपति सहित 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। अढ़ाई साल के लंबे समय में अंदर ही अंदर जांच लटकती रही।
खूब दलाली करने वाले नेताओं को भी बेनकाब करने में जुटा विजीलैंस ब्यूरो
इतना ही नहीं विजीलैंस ब्यूरो की टीम आरोपी पूर्व उप-कुलपति डा. रजनीश अरोड़ा के अक्सर आसपास घूमने वाले इन आर.एस.एस. नेताओं के इशारों पर बनाए गए लीगल पैनलों की भी जांच में जुट गई है ताकि इन लीगल पैनलों में शामिल लोगों को नियमों के विपरीत अदा की गई पूरी रकम का खुलासा हो सके। वहीं विजीलैंस ब्यूरो उन नेताओं को भी बेनकाब करने में जुट गया है जिन्होंने डा. रजनीश अरोड़ा के समय यूनिवॢसटी में खूब दलाली की थी।
कपूरथला के 2 आर.एस.एस. नेताओं की हवा टाइट
प्रदेश भर में सुॢखयों का केंद्र बन चुके पी.टी.यू. के पूर्व उप-कुलपति डा. रजनीश अरोड़ा की गिरफ्तारी के मामले से कपूरथला शहर में चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है। इस पूरे मामले ने शहर में लंबे समय से आर.एस.एस. में सरगर्म उन खास 2 नेताओं की हवा टाइट कर दी है जो अक्सर छाती ठोककर यूनिवर्सिटी में कोई भी काम पडऩे पर लोगों को बड़ी-बड़ी शेखियां वघारते थे। बताया जाता है कि इन में एक ऐसा आर.एस.एस. नेता शामिल है जो खुद को डा. रजनीश अरोड़ा का सब से नजदीकी दोस्त बताता था। वहीं उक्त नेता का एक बेहद नजदीकी रिश्ेतदार प्रदेश के एक शहर में अपनी दलाली के किस्सों को लेकर काफी मशहूर है। वहीं इन दोनों नेताओं के पारिवारिक सदस्य पी.टी.यू. में मलाई वाले पद पर तैनात हैं। वहीं एक आर.एस.एस. नेता ने अपने परिवार के वारे-न्यारे करवाने के साथ-साथ भर्ती करवाने में भी अहम भूमिका अदा की है।
बताया जाता है कि इस बहुचॢचत आर.एस.एस. नेता का एक बेहद नजदीकी रिश्तेदार राष्ट्रीय राज मार्ग पर बसे प्रदेश के एक बड़े शहर में अपनी दलाली के कार्योंं को लेकर काफी मशहूर है। अब इन आर.एस.एस. नेताओं को जहां अपने नजदीकियों की नौकरी जाने का खतरा मंडराने लगा है वहीं विजीलैंंस की गाज गिरने का भी डर सता रहा है।