विश्व में मंदी, बेरोजगारी व शेयर बाजारों को खतरा

Edited By Updated: 03 May, 2016 06:50 PM

world recession unemployment and stock market risk

वैश्विक मंदी का आगाज बुध परागमन को माना जा रहा है। द टाइम्स आफ एस्ट्रोलॉजी पत्रिका के नवीनतम अंक में..

जालंधर(धवन): वैश्विक मंदी का आगाज बुध परागमन को माना जा रहा है। द टाइम्स आफ एस्ट्रोलॉजी पत्रिका के नवीनतम अंक में ज्योतिषी प्रवीण कुमार जैन ने बुध परागमन की घटना का विस्तार से उल्लेख किया है। 
 
उन्होंने लिखा है कि 9 मई की रात्रि 20.27 बजे बक्री अवस्था में मेष राशि से गोचर कर रहे बुध ग्रह सूर्य तथा पृथ्वी के मध्य होंगे। बुध के परागमन की अवधि साढ़े 7 घंटे की होने से पृथ्वी के अधिकांश भागों में परागमन का दृश्य दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि 1585 ई. से पहले बुध का परागमन अवश्य ही अप्रैल तथा अक्तूबर मास में हुआ करता था।  ज्योतिष में बुध को व्यापार का कारक ग्रह माना गया है। बुध की गति, बक्री, मार्गी या अस्त अवस्था व्यापारी गतिविधियों पर प्रभाव डालती है। जब-जब बुध परागमन होता है तब-तब विश्व मंदी की चपेट में आता है।
 
1907 के बुध परागमन से अमरीका में बैंक फेल होने के कारण मंदी आई। 1914 में अमरीका में पुन: मंदी आई जिसका समापन पहले विश्व युद्ध के आरंभ में बाजारों की बढ़ती मांग के कारण हुआ। 1924 में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के कारण मंदी आई। 1927 में आई मंदी में फोर्ड ने अपने 6 कारकाने बंद कर दिए थे। 1937 से जून 1938 तक चली मंदी को आज भी 20वीं शताब्दी की सबसे बड़ी मंदी के रूप में याद किया जाता है। 1957, 1960 में भी विश्व में मंदी का दौर आया।  उसके बाद भी मंदी के दौर चलते रहे।  2007 में बैंकों के फेल होने से मंदी का दौर आया। उन्होंने कहा कि मई महीने में तेजी व मंदी के कई झटके लगेंगे। 9 से 16 मई के बीच अनेकों वस्तुओं के बीच गिरावट चलेगी। 
 
उन्होंने कहा कि इस वर्ष बुध के परागमन के शेयर बाजार अमरीका की नीतिगत मामलों में अनिर्णय की स्थिति से जूझता रहेगा। विश्व के सभी देशों के केंद्रीय बैंक कोई भी दिशा निर्धारित करने में सफल नहीं होंगे, मुद्रा संकट बढ़ेगा, मंदी चरमसीमा पर रहेगी, विश्व में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी फैलेगी।  
 
उन्होंने कहा कि कई देशों में सत्ता के विरुद्ध प्रदर्शन होंगे। मेष राशि से बुध के गोचर के समय सरकारें अनेक योजनाओं की घोषणा करेंगी परंतु वह पूरी नहीं होंगी। वित्तीय बाजारों के सुधार और विकास की योजनाएं अधूरी रहेंगी, शेयर में बाजार में गिरावट आएगी, बैंकिंक सैक्टर को भी भारी हानि होगी। 
 

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