Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Mar, 2018 09:34 AM
ट्रैफिक पुलिस में रिश्वतखोरी का खेल कोई नया नहीं है। कुछ माह पहले ट्रैफिक पुलिस में तैनात इंस्पैक्टर पिंदरजीत सिंह की आडियो रिकाॄडग वायरल हुई थी जिसमें इंस्पैक्टर पिंदरजीत सिंह एक ट्रांसपोर्टर को वगार डाल रहा था। उस दौरान उसे सस्पैंड कर दिया गया था।...
जालंधर (शौरी): ट्रैफिक पुलिस में रिश्वतखोरी का खेल कोई नया नहीं है। कुछ माह पहले ट्रैफिक पुलिस में तैनात इंस्पैक्टर पिंदरजीत सिंह की आडियो रिकाॄडग वायरल हुई थी जिसमें इंस्पैक्टर पिंदरजीत सिंह एक ट्रांसपोर्टर को वगार डाल रहा था। उस दौरान उसे सस्पैंड कर दिया गया था। इसके साथ जालंधर कमिश्ररेट में तैनात रह चुके ए.डी.सी.पी. रविंद्रपाल सिंह संधू ने पी.ए.पी. चौक में ट्रैप लगाकर एक पुलिस जवान को 500 रुपए रिश्वत लेते काबू किया था। दरअसल उन्हें शिकायतें मिल रही थीं कि पी.ए.पी. चौक में बाहरी नंबर वाली गाडिय़ों को रोक कर पैसे वसूले जाते हैं। इसके तहत ट्रैप लगा एक कार को बाहरी नंबर लगाकर एक ट्रैफिक पुलिस के नाके के पास से गुजारा गया, ट्रैफिक जवान ने रूटीन में गाड़ी रोककर कागजात मांगे और चालान काटने की धमकी देकर उक्त कार सवार से 500 रुपए रिश्वत के तौर पर लिए। उस वक्त ट्रैफिक पुलिस जवान को काबू करने के साथ ही सस्पैंड कर उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था व उसे जेल भेजा गया था। वहीं सूत्रों की मानी जाए तो मलाईदार ट्रैफिक प्वाइंट्स की बोली लगती है। मलाईदार प्वाइंटों में पी.ए.पी. चौक पहले नंबर पर है। उसके बाद रामा मंडी चौक, पठानकोट बाईपास रोड, विधिपुर रोड आदि के नम्बर आते हैं। इन प्वाइंटों पर से बाहरी नंबरों की गाडिय़ां गुजरती हैं जिनसे ट्रैफिक पुलिस के जवान रिश्वत वसूलते हैं। उक्त रिश्वत से ही ट्रैफिक पुलिस के जवानों द्वारा एक बड़ा हिस्सा अधिकारियों को दिया जाता है। सूत्रों से पता चला है कि एक पुलिस अधिकारी ने पी.ए.पी. चौक में अपने खासमखास थानेदारों को पक्के तौर पर तैनात कर रखा है।
एक डी.एस.पी. के टिप्पर के कारण पड़ गया पंगा
सस्पैंड होने वालों में शामिल एक पुलिस कर्मचारी ने कहा कि पुलिस अधिकारी उसकी बात ही नहीं सुन रहे हैं और उसके साथ अन्याय हुआ है। उसका कहना है कि पी.ए.पी. परिसर में तैनात एक डी.एस.पी. जोकि स्पोटर््स कोटे से भर्ती है, के गलत तरीकों से चलने वाले टिप्परों का चालान पी.ए.पी. चौक में काटने को लेकर वह उससे रंजिश रखने लगा और उसी ने निर्धारित योजना के तहत पूरी मनघड़ंत कहानी रची और उसं फंसा दिया। यदि इस मामले की सही जांच किसी ईमानदार अधिकारी से करवाई जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
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आखिर होमगार्ड के जवानों की ड्यूटी क्यों लगती है नाकों पर
ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए पंजाब पुलिस जवानों की सड़कों पर ड्यूटी लगती है, लेकिन उनके साथ पंजाब होमगार्ड के जवानों की ड्यूटी क्यों लगती है इस बारे में नाम न छापने की शर्त पर ट्रैफिक विभाग में तैनात एक इंस्पैक्टर रैंक वाले अधिकारी ने बताया कि दरअसल कुछ साल पहले एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने होमगार्ड के जवानों को ट्रैफिक पुलिस से अलग कर दिया था। जितनी देर उक्त ईमानदार अधिकारी रहा तब तक नाकों पर रिश्वतखोरी बंद रही। जैसे ही उक्त अधिकारी का तबादला हुआ तो पुन: होमगार्ड के जवान ट्रैफिक पुलिस के साथ नाकों पर नियुक्त कर दिए गए। अब सोचने वाली बात है कि ट्रैफिक विभाग में क्या दिलचस्पी है होमगार्ड के जवानों को?