Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Feb, 2018 11:56 AM
गढ़ा वहिदा इलाके के नंबरदार कीमती लाल ने पूर्व तहसीलदार गुरमीत नडाला के ऊपर गलत ढंग से दबाव बनाकर एक वसीयत तस्दीक करवाने और गालियां देने के गंभीर आरोप लगाए हैं। गौरतलब है कि पूर्व तहसीलदार नडाला ने आम आदमी पार्टी की तरफ से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था।...
जालन्धर(अमित): गढ़ा वहिदा इलाके के नंबरदार कीमती लाल ने पूर्व तहसीलदार गुरमीत नडाला के ऊपर गलत ढंग से दबाव बनाकर एक वसीयत तस्दीक करवाने और गालियां देने के गंभीर आरोप लगाए हैं। गौरतलब है कि पूर्व तहसीलदार नडाला ने आम आदमी पार्टी की तरफ से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। ‘पंजाब केसरी’ से विशेष बातचीत में कीमती लाल ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्हें एक फोन आया और दूसरी तरफ से एक व्यक्ति ने कहा कि वह तहसीलदार नडाला बोल रहे हैं और उन्हें एक वसीयत तस्दीक करवानी है जिसके लिए उसे पटवारी के पास जाने के लिए कहा। कीमती लाल ने कहा कि जब उसके पास दस्तावेज आए तो वह वारिस तस्दीक करने के लिए उनके घर गया और वहां जाकर उसे पता चला कि जो वसीयत 2000 में रजिस्टर हुई थी और जिसे तस्दीक करने के लिए कहा गया था, उसे 2013 में रद्द करके नई वसीयत रजिस्टर करवाई जा चुकी है जिससे साफ होता है कि तहसीलदार गलत वसीयत का इंतकाल करवाना चाहते हैं। तहसीलदार के चचेरे भाई ने उन्हें नई वसीयत और जमाबंदी में हुए अमल के दस्तावेजों की फोटोकापी भी दी, ताकि सच्चार्इ का पता लग सके। इसके साथ ही पुरानी वसीयत को रद्द करवाने के लिए कहा। जब उन्होंने तहसीलदार को वारिस तस्दीक करने से इंकार किया तो उन्होंने फोन पर गालियां दीं और बुरा-भला भी कहा। नंबरदार कीमती लाल ने ‘पंजाब केसरी’ को तहसीलदार और उनके बीच हुए वार्तालाप की ऑडियो रिकार्डिंग भी सौंपी है।
इंतकाल दर्ज होने के लिए आया था, संबंधित नंबरदार को वारिस तस्दीक करने के लिए कहा था : पटवारी
मेरे पास 2000 में हुई एक वसीयत का इंतकाल दर्ज होने के लिए आया था जिसके बाद इलाके के नंबरदार कीमती लाल को वारिस तस्दीक करने के लिए कहा गया था। नंबरदार ने उन्हें बताया कि उक्त वसीयत रद्द हो चुकी है और 2013 में नई वसीयत कपूरथला सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में रजिस्टर करवाई जा चुकी है जिसका जमाबंदी में अमल भी हो चुका है। वह अपनी रिपोर्ट बनाकर एस.डी.एम. के पास भेज रहे हैं जो आगे की कार्रवाई करेंगे। जहां तक गुरमीत नडाला द्वारा तथ्य छिपाने का सवाल है तो उन्होंने इस बात की जानकारी नहीं दी कि 2000 में रजिस्टर्ड हुई वसीयत रद्द होकर बाद में नई वसीयत रजिस्टर्ड करवाई जा चुकी है।
हमारी पारिवारिक तकसीम का मामला, मैंने केवल वारिस तस्दीक करने के लिए कहा था : नडाला
पूर्व तहसीलदार गुरमीत सिंह नडाला से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि मेरे पिता और चाचा की सांझी जायदाद थी जिसमें दोनों परिवार वालों ने आपस में बैठकर फैसला कर लिया था जिसके तहत 2000 में हुई एक वसीयत का इंतकाल दर्ज करवाने के लिए संबंधित पटवारी को दिया था। यह हमारा पारिवारिक तकसीम का मामला था जिसमें वारिस तस्दीक करने के लिए इलाका नंबरदार कीमती लाल को दस्तावेज दिए गए थे। कीमती लाल मेरे चाचा के घर भी गया था, मगर उसने वारिस तस्दीक नहीं किए जिसके बाद मैंने उससे अपने दस्तावेज वापस मांगे थे और एस.डी.एम.-1 के पास मौखिक रूप से शिकायत भी दर्ज करवाई थी। उन्होंने कोई गाली नहीं दी और न ही कोई दबाव बनाया है। जहां तक बाद में हुई वसीयत का सवाल है, वह 2009 में रजिस्टर्ड करवाई गई किसी अन्य वसीयत को रद्द करके नई करवाई गई थी। इसका हमारी वसीयत के साथ कोई लेना-देना नहीं है।
मैं इस मामले में बाद में बात करूंगा : बिल्ला
गुरमीत नडाला के चाचा के पुत्र बिल्ला मकान नं. 70 जसवंत नगर निवासी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह अभी इस मामले में कुछ नहीं कह सकते, इसको लेकर वह बाद में बात करेंगे।