Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jan, 2018 10:47 AM
केन्द्र सरकार के निर्देशों पर देश के सभी बड़े शहरों में स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होने में कुछ ही घंटे शेष हैं। जालंधर की बात करें तो यहां सर्वेक्षण संबंधी प्रक्रिया शुरू होने में अभी 2-3 सप्ताह लग सकते हैं। चाहे नगर निगम इस सर्वेक्षण में बेहतर...
जालंधर(खुराना): केन्द्र सरकार के निर्देशों पर देश के सभी बड़े शहरों में स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होने में कुछ ही घंटे शेष हैं। जालंधर की बात करें तो यहां सर्वेक्षण संबंधी प्रक्रिया शुरू होने में अभी 2-3 सप्ताह लग सकते हैं। चाहे नगर निगम इस सर्वेक्षण में बेहतर रैंकिंग प्राप्त करने के लिए अपनी ओर से पूरा जोर लगा रहा है परंतु जहां तक निगम के पास उपलब्ध बुनियादी संसाधनों का सवाल है, उस मामले में जालंधर निगम देश के कई शहरों से बहुत पीछे है।
इसलिए अंदाजा यही लगाया जा रहा है कि इस बार भी स्वच्छता सर्वेक्षण में निगम की रैंकिंग सुधरने के आसार बहुत ही कम हैं।गौरतलब है कि शहर में रोजाना 500 टन से ज्यादा कूड़ा निकलता है परंतु इसके बावजूद रोज एक टन कूड़ा भी प्रोसैस नहीं हो पा रहा है क्योंकि निगम के पास कोई प्लांट ही नहीं है। वरियाणा डम्प में कूड़े के पहाड़ खड़े हो गए हैं जिन्हें ठिकाने लगाने के लिए स्कीमें तो बनाई जा रही हैं परंतु वास्तव में किया कुछ नहीं जा रहा। अब कूड़े को संभालने के लिए ही करोड़ों रुपए खर्चा आने की सम्भावना है।
स्वच्छता सर्वेक्षण का एक बड़ा पहलू खुले में शौच मुक्त शहर और सार्वजनिक शौचालयों की व्यवस्था भी है, इस मामले में जालंधर शहर काफी पिछड़ा हुआ है। यहां सार्वजनिक शौचालय न के बराबर हैं और शहर के कई वार्ड अभी खुले में शौच मुक्त नहीं हुए। इसके अलावा कूड़े के कई डम्प शहर की मेन सड़कों पर स्थित हैं और कूड़े के सैग्रीगेशन की व्यवस्था भी न के बराबर है।