Edited By Updated: 23 May, 2016 10:11 AM
1984 के दंगों की पुन: जांच के लिए मोदी सरकार द्वारा फरवरी, 2015 में गठित विशेष जांच समिति (एस.आई.टी.) का कार्यकाल 1 साल बढ़ा दिया गया है।
चंडीगढ़ (शर्मा): 1984 के दंगों की पुन: जांच के लिए मोदी सरकार द्वारा फरवरी, 2015 में गठित विशेष जांच समिति (एस.आई.टी.) का कार्यकाल 1 साल बढ़ा दिया गया है। हालांकि इसके लिए कोई कारण नहीं बताया गया। यह दावा आम आदमी पार्टी (आप) के पंजाब आर.टी.आई. सैल के प्रभारी दिनेश चड्ढा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से आर.टी.आई. एक्ट के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर किया।
इसके साथ ही ‘आप’ प्रवक्ता सुखपाल सिंह खैहरा ने आरोप लगाया कि अपनों को बचाने के लिए मोदी सरकार भी कांग्रेस की नीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र जांच के प्रति गंभीर नहीं है। एस.आई.टी. को सभी थानों के रिकार्ड व जस्टिस जे.डी. जैन तथा डी.के. अग्रवाल जांच समितियों की फाइलें खंगालने के बाद आरोपियों के खिलाफ 6 माह यानी 12 अगस्त, 2015 तक जांच पूरी करनी थी लेकिन केंद्र ने चुपचाप इसका कार्यकाल 1 वर्ष यानी 11 अगस्त, 2016 तक बढ़ा दिया। खैहरा ने कहा कि कार्यकाल बढ़ाने से पहले गृह मंत्रालय ने एस.आई.टी. से देरी की वजह भी नहीं जानी। न ही इसकी जानकारी आर.टी.आई. एक्ट के तहत प्रदान की।
खैहरा ने दावा किया कि इसकी एक वजह आर.एस.एस. और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का भी आरोपी होना हो सकती है।खैहरा ने कहा कि वर्ष 2002 में एक अखबार ने दावा किया था कि जैन-अग्रवाल जांच समिति की सिफारिशों पर पुलिस थानों में दर्ज 14 केसों में भाजपा व आर.एस.एस. के 49 नेताओं को आरोपी बनाया गया था।
जून 1992 में दर्ज एफ. आई.आर. नं. 315/92 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव एजैंट रामकुमार जैन को आरोपी बनाया गया था। जैन के हरिनगर आश्रम स्थित निवास को 1980 के लोकसभा चुनाव में वाजपेयी का चुनाव कार्यालय बनाया गया था। खैहरा ने कहा कि भाजपा और शिअद को पीड़ितों को न्याय दिलवाने में जानबूझ कर हो रही देरी पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।