Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Mar, 2018 10:21 AM
प्रदेश के सारे डी.टी.ओ. दफ्तर चाहे सरकार ने बंद कर दिए हैं, मगर आर.टी.ए. दफ्तर में काम पुराने कर्मचारी ही कर रहे हैं और इनके काम करने का तरीका भी पुराना ही है, उसे थोड़ा भी बदलने का प्रया
जालंधर(अमित): प्रदेश के सारे डी.टी.ओ. दफ्तर चाहे सरकार ने बंद कर दिए हैं, मगर आर.टी.ए. दफ्तर में काम पुराने कर्मचारी ही कर रहे हैं और इनके काम करने का तरीका भी पुराना ही है, उसे थोड़ा भी बदलने का प्रयास नहीं किया गया है। आर.टी.ए. दफ्तर की अजब-गजब माया का खामियाजा या तो आम जनता को भुगतना पड़ता है या फिर वाहन बेचने वाले डीलरों को।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 24 जनवरी, 2018 से लगभग 5 वाहन डीलरों की 250 नई आर.सीज का मौजूदा समय में कुछ अता-पता ही नहीं है। बार-बार इंक्वायरी करने पर उन्हें केवल यही कहकर टरकाया जा रहा है कि आपकी आर.सीज का प्रिंट निकल चुका है, मगर संबंधित क्लर्क को मिल नहीं रही है। विजीलैंस की रेड के बाद कपूरथला से यहां ट्रांसफर होकर आई एक महिला क्लर्क के पास उक्त आर.सीज हैं, जिन्हें उन्होंने अपने काऊंटर के दराज में रखा था। मगर अब उनका यह कहना है कि उक्त आर.सीज मिल नहीं रही हैं और ऐसा लगता है कि कहीं गुम हो गई हैं। बार-बार आर.टी.ए. दफ्तर के चक्कर काटकर परेशान हो चुके वाहन डीलरों ने सोमवार को क्लर्क से मिलकर इस बात का विरोध जताया और स्पष्ट रूप से कहा कि अगर उनकी गुम हुई आर.सीज की जल्दी डिलीवरी नहीं दी जाती है तो वे मजबूरीवश सैक्रेटरी आर.टी.ए. के पास लिखित रूप से शिकायत दर्ज करवाएंगे। मामले की जानकारी लेने के लिए जब संबंधित क्लर्क राजिन्द्र कौर के मोबाइल पर सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो फोन स्विच ऑफ होने की वजह से उनसे बात नहीं हो सकी और उनका पक्ष प्राप्त नहीं हो सका।
निजी फैसीलिटेशन शुल्क न मिलने पर आर.सी. गायब करने की चर्चा
कुछ समय पहले ही कपूरथला से जालंधर आर.टी.ए. दफ्तर ट्रांसफर होकर आई महिला क्लर्क के कब्जे से इतनी बड़ी गिनती में आर.सीज का गायब होना अपने आप में एक अजीबोगरीब बात है। नियमानुसार आर.सी. एक सरकारी दस्तावेज है और इतनी बड़ी गिनती में आर.सीज का गुम होना बेहद गंभीर और ङ्क्षचताजनक विषय है। आर.टी.ए. दफ्तर में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि निजी फैसीलिटेशन शुल्क न दिए जाने की वजह से आर.सीज की डिलीवरी प्रदान नहीं की जा रही है, जो वाहन डीलर शुल्क अदा करने के लिए राजी हो जाता है, उसकी गुम हुई आर.सी. अचानक मिल भी जाती है। इस बात को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि तो नहीं हुई है, क्योंकि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी खुलकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है। मगर इतना तय है कि डेढ़ महीने के लंबे अंतराल तक इतनी बड़ी गिनती में आर.सीज का न मिलना संदेह अवश्य पैदा करता है।
हमने सारी आर.सीज रिसीविंग लेकर क्लर्क को सौंपी थी : इंचार्ज 120 नं.
निजी कम्पनी स्मार्ट चिप द्वारा 120 नं .कमरा जहां आर.सीज की प्रिंटिंग का काम किया जाता है, वहां नियुक्त इंचार्ज मुख्तियार ने कहा कि उनके पास जितनी आर.सी. आई थी, सबका समय पर प्रिंट निकाल दिया गया था। उनकी तरफ से संंबंधित क्लर्क के पास सारी आर.सीज बकायदा तौर पर रिसीविंग लेकर दी गई थी। कुछ आर.सी. मिल चुकी हैं। बाकी को लेकर क्लर्क ने कहा है कि अगर गुम हुई आर.सी. नहीं मिलती है, तो वह अपनी जेब से फीस जमा करवाकर सारी आर.सीज का दोबारा से प्रिंट निकलवाकर संबंधित वाहन डीलरों को दे देंगी।
जिसका कसूर है, वही जुर्माना भी भुगतेगा, 1-2 दिन में सारी आर.सी. हो जाएंगी डिलीवर : सैक्रेटरी आर.टी.ए.
सैक्रेटरी आर.टी.ए. दरबारा सिंह ने कहा कि जिस कर्मचारी का कसूर है वही जुर्माना भी भुगतेगा और उसका जुर्माना यही है कि सारी आर.सीज की फीस मंगलवार को जमा करवाकर आर.सी. का री-पिं्रट लिया जाए ताकि 1-2 दिन में सारी आर.सी. डिलीवर की जा सकें।