चुनाव की आहट से गर्माने लगा खालिस्तान का मुद्दा

Edited By Updated: 01 Jul, 2016 01:25 PM

punjab assembly elections 2017

ज्यों-ज्यों पंजाब विधानसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं त्यों-त्यों प्रदेश में राजनीतिक पारा भी चढऩा शुरू हो गया ..

चंडीगढ़ (पराशर): ज्यों-ज्यों पंजाब विधानसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं त्यों-त्यों प्रदेश में राजनीतिक पारा भी चढऩा शुरू हो गया है। वर्षों तक जनमानस से दूर रहा खालिस्तान मुद्दा फिर गर्माने लगा है। इस बार इस मुद्दे को उभारने के लिए आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। 

 

शिरोमणि अकाली दल व कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी का खालिस्तानियों से संबंध है। कैप्टन अमरेंद्र ने तो यहां तक कह दिया कि आम आदमी पार्टी की फंडिंग ही विदेशों में बैठे खालिस्तानी तत्व कर रहे हैं। अमरेंद्र का आरोप है कि कनाडा के कुछ सिख मंत्री खालिस्तानी विचारधारा से जुड़े हैं। यदि आम आदमी पार्टी की फंडिंग की जांच की जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि दोनों के बीच क्या संबंध है। यह भी पता चल जाएगा कि ‘आप’ के कुछ पंजाब नेता बार-बार उत्तरी अमरीका के दौरे क्यों कर रहे हैं। अमरेंद्र का कहना है कि कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार के कुछ मंत्रियों की पृष्ठभूमि वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यू. एस.ओ.) की है। डब्ल्यू.एस.ओ. विदेशों में बसे खालिस्तानियों का संगठन है।

 

भारत सरकार को अपनी खुफिया एजैंसियों के जरिए जांच करनी चाहिए कि ‘आप’ की फंडिंग कौन कर रहा है। जिस ढंग से ‘आप’ नेता इन कैनेडियन मंत्रियों का बचाव कर रहे हैं, उससे दोनों के बीच संबंध जगजाहिर हो जाते हैं। पहले विदेशों में रहने वाले खालिस्तानी सिमरनजीत सिंह मान की फंडिंग करते थे, अब वे ‘आप’ की फंडिंग कर रहे हैं। ‘आप’ को चाहिए कि वह इस संबंध में अपनी स्थिति को स्पष्ट करे। इस सिलसिले में वाशिंगटन पोस्ट समेत अमरीका के कई समाचार पत्रों में छपी खबरों के अनुसार कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन तथा विज्ञान व आर्थिक विकास मंत्री नवदीप बैंस की डब्ल्यू.एस.ओ. की पृष्ठभूमि खालिस्तानी है।

 

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो को लिखे अपने पत्र में अमरेंद्र ने कनाडा सरकार पर उनसे भेदभाव करने का आरोप लगाया है। भाजपा के ओवरसीज सैल ने 19 जून को टोरंटो में मोदी सरकार के 2 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कन्वैंशन आयोजित की। उससे पहले ‘आप’ नेता कनाडा में अपने कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं लेकिन उन्हें कनाडा में अपने प्रोग्राम करने की इजाजत नहीं मिली। ऐसा लगता है कि कनाडा के कुछ मंत्रियों ने कनाडा के विदेश मंत्रालय पर सिख्स फॉर जस्टिस की ओर से दबाव डाला।

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