कालोनी रैगुलर न होने पर भी होगी NOC वाले प्लाट की रजिस्ट्री

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Feb, 2018 12:35 PM

property noc registry

एन.ओ.सी. के बिना रजिस्ट्री करने पर रोक लगाने को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच रियल एस्टेट सैक्टर से जुड़े लोगों के लिए राहत की खबर आई है। ग्लाडा ने डी.सी. को स्पष्टीकरण भेजकर साफ  कर दिया है कि कालोनी रैगुलर न होने पर भी एन.ओ.सी. वाले प्लाट की...

लुधियाना(हितेश): एन.ओ.सी. के बिना रजिस्ट्री करने पर रोक लगाने को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच रियल एस्टेट सैक्टर से जुड़े लोगों के लिए राहत की खबर आई है। ग्लाडा ने डी.सी. को स्पष्टीकरण भेजकर साफ  कर दिया है कि कालोनी रैगुलर न होने पर भी एन.ओ.सी. वाले प्लाट की रजिस्ट्री करने पर रोक न लगाई जाए।अवैध कालोनियों पर रोक लगाने की मुहिम के तहत ग्लाडा ने पहले ही जिला प्रशासन को कालोनियों व उनमें स्थित प्लाट की रजिस्ट्री न करने की सिफारिश भेजी है, जिनके द्वारा 2013 की रैगुलराइजेशन पॉलिसी के तहत फीस जमा कराकर एन.ओ.सी. नहीं लिया है।

इसी बीच रैवेन्यू विभाग ने पंजाब के सभी सब-रजिस्ट्रार ऑफिस को लैटर भेजकर संबंधित अथॉरिटी के एन.ओ.सी. मिलने पर ही किसी कालोनी या प्लाट की रजिस्ट्री करने के आदेश जारी कर दिए हैं। जिस आदेश पर अमल के नाम पर सब-रजिस्ट्रार ऑफिस ने उन केसों में भी नए सिरे से एन.ओ.सी. की डिमांड करनी शुरू कर दी है, जिन्होंने पहले सरकार की पॉलिसी के तहत रैगुलराइजेशन फीस जमा करवाई है।रैवेन्यू विभाग द्वारा यह हवाला दिया जा रहा है कि जिन लोगों के पास प्लाट की रैगुलराइजेशन के पुराने एन.ओ.सी. हैं, उनसे संबंधित कालोनाइजर द्वारा फीस न जमा करवाने के कारण ग्लाडा ने उस कालोनी का नाम अवैध कालोनी की लिस्ट में शामिल किया है। ऐसे लोगों को नए सिरे से एन.ओ.सी. लाने को कहा गया है। इन आदेशों से रियल एस्टेट सैक्टर से जुड़े लोगों में हाहाकार मची है, क्योंकि ग्लाडा ने नए सिरे से एन.ओ.सी. देने से इंकार कर दिया है। हालांकि ग्लाडा ने अब डी.सी. के नाम पर एक पत्र जारी किया है कि भले ही किसी कालोनी को रैगुलर न कराया गया हो, लेकिन उसमें स्थित प्लाट मालिक के पास एन.ओ.सी. होने की सूरत में उसकी रजिस्ट्री पर रोक न लगाई जाए। 

लिस्ट में शामिल हुई नई अवैध कालोनियां, 1000 पहुंचा आंकड़ा
ग्लाडा ने डी.सी. ऑफिस को भेजे पत्र के साथ मंजूर व रैगुलर की गई कालोनियों के अलावा अवैध कालोनियों की लिस्ट भी लगाई है, जिसमें पहले करीब 900 अवैध कालोनियां और अब जनवरी में करवाए गए सर्वे के दौरान करीब 100 नई अवैध कालोनियां सामने आई हैं, उनको भी लिस्ट में शामिल कर दिया गया है।

पावर ऑफ  अटॉर्नी की आड़ में निकल रही सरकार के आदेश की हवा
सब-रजिस्ट्रार ऑफिस ने भले ही सरकार के आदेश का हवाला देते हुए नई एन.ओ.सी. लाने की शर्त लगाकर रजिस्ट्री करने पर रोक लगा दी है। दूसरी तरफ मिलीभगत से प्लाट या कालोनी की पॉवर ऑफ  अटॉर्नी की जा रही है, जिन्होंने रैगुलर फीस जमा नहीं करवाई थी, जिससे पहले हो चुके प्रॉपर्टी के सौदे सिरे चढ़ाने में लोगों को कोई खास दिक्कत नहीं हो रही है। 

बकाया वसूले बिना अवैध निर्माण की भी एन.ओ.सी. जारी कर रहे निगम ऑफिसर
रैवेन्यू विभाग द्वारा रजिस्ट्री के लिए एन.ओ.सी. की मांग करने के मामले में नगर निगम अधिकारियों द्वारा इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ग्लाडा द्वारा विकसित एरिया के अलावा टी.पी. स्कीम को छूट होने का दावा किया जा रहा है। इन एरिया में चेंज ऑफ  लैंड यूज व डिवैल्पमैंट चार्ज लागू नहीं होता। इसी तरह पहले रैगुलर हो चुके प्लाट की एन.ओ.सी. को रैवेन्यू विभाग की शर्त के दायरे से बाहर बताया जा रहा है। इसके तहत रजिस्ट्री करने पर नगर निगम को कोई ऐतराज न होने बारे नए सिरे से एन.ओ.सी. भी जारी की जा रही है, लेकिन उसके लिए पहले पानी, सीवरेज, प्रॉपर्टी टैक्स व लाइसैंस फीस का बकाया क्लीयर होने बारे रिपोर्ट नहीं ली जा रही है। इसी तरह किसी बिल्डिंग पर अवैध निर्माण के आरोप में डाले गए चालान का जुर्माना पैंडिंग होने व नॉन कम्पाऊंडेबल हिस्सा मौजूद होने का पहलू भी नजरअंदाज किया जा रहा है।

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के चलते डाऊन हुआ रैवेन्यू
एन.ओ.सी. लाने की शर्त लागू होने के बाद रजिस्ट्री करने की संख्या में काफी कमी आई है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन लागू होने कारण भी विभाग का रैवेन्यू काफी डाऊन आ गया है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए पहले समय लेना पड़ता है जो कई दिन बाद का मिलता है, जिस चक्कर में हर सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में रोजाना रजिस्ट्री होने का आंकड़ा डाऊन हो गया है। जिस सिस्टम में गवाह का नाम भी पहले एंटर किया जाता है और कई बार तय समय पर वह गवाह मौजूद न हो पाने की वजह से रजिस्ट्री पैंङ्क्षडग हो जाती है, क्योंकि ऑनलाइन सिस्टम में पहले से दर्ज गवाह का नाम नहीं बदला जा सकता।

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