Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jan, 2018 09:01 AM
आधुनिक ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक को बने हुए एक साल से ऊपर समय बीत चुका है और इस दौरान पिछले 6 महीने के अंदर ही निजी कम्पनी स्मार्ट चिप की तरफ से 5 इंचार्ज बदले जा चुके हैं। सबसे पहले यहां पर परम को लगाया गया, जिसके पश्चात अमरिंद्र सिंह मान को नया...
जालंधर(अमित): आधुनिक ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक को बने हुए एक साल से ऊपर समय बीत चुका है और इस दौरान पिछले 6 महीने के अंदर ही निजी कम्पनी स्मार्ट चिप की तरफ से 5 इंचार्ज बदले जा चुके हैं। सबसे पहले यहां पर परम को लगाया गया, जिसके पश्चात अमरिंद्र सिंह मान को नया इंचार्ज बनाया गया। मान को भी बदलकर उसकी जगह होशियारपुर से अंकित को यहां लाकर बतौर इंचार्ज नियुक्त किया गया।
इस दौरान कुछ समय के लिए कपूरथला से साहिल को बुलाकर भी काम करवाया गया। मगर बाद में अंकित और साहिल दोनों की जगह पहले से ट्रैक पर काम कर रहे अमित को पदोन्नत करके इंचार्ज लगाया गया। बड़ी हैरानी वाली बात है कि जालंधर ट्रैक पर थोड़े समय में ही इतने लोगों का तबादला किया गया। जबकि अन्य किसी जिले में ऐसा नहीं किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि यहां दाल में कुछ काला जरूर है। इसके चलते किसी को अधिक समय तक यहां काम नहीं करने दिया जाता।
एक ट्रैक पर दो-दो इंचार्ज, वहीं दूसरी तरफ एक ट्रैक पड़ा खाली
निजी कम्पनी स्मार्ट चिप की लीला अपरम्पार है, क्योंकि यहां कब क्या होता है, इसकी किसी को कोई खबर ही नहीं है। कुछ समय पहले होशियारपुर से अंकित को बुलाकर जालंधर तैनात किया गया और उसकी जगह मान को वहां नियुक्त किया गया। मगर विजीलैंस द्वारा हैप्पी और प्यारा सिंह को पकड़े जाने के थोड़ी देर बाद ही अंकित को दोबारा से होशियारपुर भेज दिया गया। मगर मान को वहां से किसी अन्य जगह नहीं भेजा गया। इसके पश्चात होशियारपुर ट्रैक पर मौजूदा समय के अंदर टैक्नीकली दो-दो इंचार्ज काम कर रहे हैं जबकि गुरदासपुर का ट्रैक जहां से मान का पहले तबादला किया गया था, वह खाली पड़ा है और वहां कोई इंचार्ज ही नहीं है।
बैक-डेट में ट्रांसफर और डिसमिस का खेला जा सकता है खेल
विजीलैंस विभाग द्वारा की जा रही जांच से बचने के लिए निजी कम्पनी के कुछ कर्मचारी तरह-तरह के जुगाड़ लगा रहे हैं और ऐसे कर्मचारियों की सैटिंग कितनी तगड़ी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इतने बड़े संकट की घड़ी में अपने चहेतों को बचाने के लिए बैक-डेट में ट्रांसफर और डिसमिस का खेल भी खेला जा सकता है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक कर्मचारी को बैकडेट में ट्रांसफर करने और एक को डिसमिस करने की पूरी तैयारी हो चुकी है। अगर सब कुछ सही रहता है तो आने वाले एक-दो दिन में उक्त आदेश सार्वजनिक किए जा सकते हैं।
सारथी सॉफ्टवेयर में हुए काम की हो सकती है चैकिंग
विजीलैंस द्वारा की जा रही जांच में इस पहलू को भी गंभीरता से लिया जा सकता है कि कुछ ही समय मे लर्निंग लाइसैंस आवेदन में आधे से भी ज्यादा की गिरावट कैसे आ सकती है। इसके लिए सारथी सॉफ्टवेयर में दर्ज आवेदनों की चैकिंग की जा सकती है।
गौर हो कि ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू होते ही लर्निंग लाइसैंस आवेदन की गिनती 150 से 60 रह गई। मौजूदा समय के अंदर उक्त गिनती 80 कर दी गई है। सोचने वाली बात है कि जहां पहले रोजाना 150 आवेदन जमा होते थे, वहां अचानक ऐसी क्या बात हो गई कि यह गिनती सीधा आधी रह गई। इससे यह संदेह पैदा होना लाजमी है कि ऑनलाइन प्रक्रिया के ऊपर भी कर्मचारियों का पूरा कंट्रोल है।