Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Mar, 2018 10:16 AM
पिछले दो-तीन वर्षों से आलू के मूल्यों में लगातार हो रही भारी गिरावट के कारण घाटे के दौर से गुजर रहे किसानों को लगता है कि अब कुछ अ‘छे दिन आने वाले हैं। आलू के मूल्य में लगातार हो बढ़ौतरी से किसानों के चेहरे खिल गए हैं। नववर्ष में किसानों को आशा थी...
शाहकोट (मरवाहा, त्रेहन): पिछले दो-तीन वर्षों से आलू के मूल्यों में लगातार हो रही भारी गिरावट के कारण घाटे के दौर से गुजर रहे किसानों को लगता है कि अब कुछ अ‘छे दिन आने वाले हैं। आलू के मूल्य में लगातार हो बढ़ौतरी से किसानों के चेहरे खिल गए हैं। नववर्ष में किसानों को आशा थी कि इस बार आलू की जो बंपर पैदावार हुई है, से उनके पिछले घाटे पूरे हो जाएंगे।
कर्ज भी सिर से उतर जाएगा लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ क्योंकि पूरे देश में हुई आलू की बंपर पैदावार ने पंजाब के किसानों की आशाओं पर पानी फेर दिया। वर्ष की शुरूआत से लेकर फरवरी के दूसरे सप्ताह तक आलू की नई फसल का मूल्य मात्र 2 रुपए तक ही सीमित रह गया क्योंकि पिछले दो-तीन वर्षों से आलू के मूल्यों में लगातार आ रही भारी गिरावट के कारण व्यापारी अभी तक पिछले घाटे से ही उभर नहीं पाए थे, जिस कारण वे आलू को खरीदने से बच रहे थे। अन्य रा’यों से भी व्यापारी नहीं आ रहे थे। इन्हीं कारणों के चलते किसान बहुत परेशान था। 2 रुपए में तो फसल का लागत मूल्य भी पूरा नहीं हो रहा था। इसी दौरान फरवरी का तीसरा सप्ताह किसानों के लिए राहत का समाचार लेकर आया। आलू का मूल्य 2 रुपए से 7-8 रुपए तक पहुंच गया।
व्यापारियों को नहीं मिली कोई राहत
क्षेत्र के आलू व्यापारियों राकेश कुमार जुनेजा तथा प्रदीप कुमार से बातचीत करने पर उन्होंने रा’य में हुई आलू की अ‘छी फसल तथा आलू की फसल के मूल्य में बढ़ौतरी पर खुशी व्यक्त की है और कहा कि इससे भारी घाटे में चल रहे किसानों की हालत बेहतर होगी तथा मार्कीट में पैसा आएगा लेकिन इससे भारी घाटे तथा कर्ज के बोझ तले दबे हुए आलू के व्यापारियों को अभी कोई राहत नहीं मिलेगी। पिछले वर्ष स्थानीय व्यापारियों ने मुनाफे की आशा में 6 से 7 रुपए प्रति किलोग्राम के महंगे दाम पर आलू खरीद कर कोल्ड स्टोरों मे रखे थे। जिन्हें बाद में उन्होंने मात्र एक से लेकर दो रुपए प्रति किलोग्राम के मूल्य पर देश के कई रा’यों को भेजा था, के पैसे अभी तक उन्हें नहीं मिले हैं। इस कारण अनेक व्यापारी ऐसे हैं जो कि पिछली खरीदी हुई फसल के पूरे पैसे अभी तक किसानों को नहीं दे सके। इसके बिना कोल्ड स्टोरों का भी किराया शेष है। इन्हीं कारणों के चलते व्यापारी आलू खरीदने से हिचकिचा रहे हैं। व्यापारियों को यह भी डर है कि कहीं पिछले वर्ष की तरह इस बार भी ऐसा न हो कि महंगे भाव पर फसल खरीद कर स्टोरों में रख दे और बाद में मूल्य कम हो जाए तथा कोल्ड स्टोरों का किराया भी न निकल पाए। व्यापारियों ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि लगातार हो रहे घाटे के कारण कर्ज में डूबे व्यापारियों की मदद की जाए। आलू सहित सभी फसलों के मूल्य निर्धारित कर खरीद के पुख्ता प्रबंध किए जाएं।