Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jan, 2018 01:41 PM
आऊट ऑफ स्कूल बच्चों के ढूंढने के लिए अब तलाश और तेज की जाएगी, क्योंकि केंद्र सरकार ने भी इस मामले पर गंभीरता दिखाते हुए सभी राज्यों को सितम्बर 2018 तक आऊट ऑफ स्कूल बच्चों का डाटा तैयार करने को कह दिया है। इससे पहले चल रही आऊट ऑफ स्कूल बच्चों को...
जालंधर (सुमित): आऊट ऑफ स्कूल बच्चों के ढूंढने के लिए अब तलाश और तेज की जाएगी, क्योंकि केंद्र सरकार ने भी इस मामले पर गंभीरता दिखाते हुए सभी राज्यों को सितम्बर 2018 तक आऊट ऑफ स्कूल बच्चों का डाटा तैयार करने को कह दिया है। इससे पहले चल रही आऊट ऑफ स्कूल बच्चों को ढूंढने की मुहिम के तहत अगर जिला जालंधर की बात की जाए तो बीते वर्ष 2017-18 के दौरान कुल 958 ऐसे बच्चे, जिनकी उम्र 6 से 14 वर्ष है, ढूंढे हुए हैं।
अब इन बच्चों को आगामी सैशन में स्कूलों में दाखिला दिलाया जाएगा।जिले 958 बच्चों का मिलना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है, क्योंकि यह गिनती असल में आऊट ऑफ स्कूल बच्चों से काफी कम है। अब तक चल रहे इस प्रोजैक्ट में सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार कानून के तहत दी गई हिदायतों के मुताबिक ही काम हो रहा है परन्तु सूत्र बताते हैं कि आने वाले समय में इस बारे एम.एच.आर.डी. द्वारा कुछ नए निर्देश भी दिए जा सकते हैं, जिनके तहत सभी जिलों में आऊट ऑफ स्कूल बच्चों को तलाशा जाएगा। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले हुई केंद्रीय एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन की मीटिंग में विभिन्न राज्यों से आए शिक्षा मंत्रियों या उनके प्रतिनिधियों द्वारा भी आऊट ऑफ स्कूल बच्चों के मुद्दे को गंभीरता से लिया था और इस पर ध्यान देने की मांग की थी।
शिक्षा का अधिकार कानून पारित होने के 8 वर्ष बाद भी पूर्ण रूप से लागू नहीं
शिक्षा का अधिकार कानून पारित होने के 8 वर्ष बाद भी पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पाया ,परन्तु इतने वर्षों में सभी राज्यों में इसका असर तो दिखने लगा है। यही कारण है कि इसके सभी प्रोजैक्टों को लेकर राज्यों द्वारा भी काम किया जा रहा है। इस कानून के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को ढूंढ कर स्कूलों में शिक्षा के लिए भेजने का प्रावधान है।