Edited By Updated: 14 Oct, 2016 04:34 PM
सरकारी स्कूलों की तरह प्राइवेट स्कूलों में भी अध्यापकों से गैर-शैक्षणिक काम करवाने वाले स्कूल प्रबंधक अब सावधान हो जाएं!
जालंधर(सुमित):सरकारी स्कूलों की तरह प्राइवेट स्कूलों में भी अध्यापकों से गैर-शैक्षणिक काम करवाने वाले स्कूल प्रबंधक अब सावधान हो जाएं! क्योंकि सैंट्रल बोर्ड ऑफ सैकेंडरी एजूके शन द्वारा स्कूलों में शिक्षकों से गैर शैक्षणिक काम लेने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली गई है।
जानकारी के अनुसार सी.बी.एस.ई. को देश के अधिकतर प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों से फीस कलैक्ट करने, ट्रांसपोर्ट प्रबंध का ध्यान रखने, स्कूल के सामान की खरीद का हिसाब रखने जैसे अन्य गैर शैक्षणिक काम करवाए जाने की शिकायतें मिल रही थीं, जबकि ये काम नॉन टीचिंग स्टाफ या क्लर्कों से करवाए जाने चाहिए। देश भर के 16 हजार के करीब स्कूल, जो सी.बी.एस.ई. से मान्यता प्राप्त हैं, को सर्कुलर निकाल कर स्टाफ की ड्यूटी निर्धारित करने के लिए कहा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक विभिन्न प्रदेशों में स्थित स्कूलों में इस तरह की दिक्कतें अध्यापकों को आम पेश आती हैं परंतु नौकरी बचाने के चक्कर में अध्यापक इनके खिलाफ आवाज नहीं उठाते। अध्यापकों की कुछ एसोसिएशन द्वारा इस सम्बन्ध में उठाई गई आवाज को बोर्ड द्वारा गंभीरता से लिया जा रहा है।
स्कूलों से मांगी जाएगी स्टाफ व ड्यूटीज की डिटेल: सी.बी.एस.ई. बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों से स्टाफ की डिटेल मांगी जाएगी। इससे शिक्षकों, एडमिनिस्ट्रेटिव व नॉन टीचिंग स्टाफ की स्थिति का पता चल सकेगा।
नियमों मुताबिक टीचर्स से नहीं ले सकते नॉन टीचिंग काम: बोर्ड के नियमों के मुताबिक स्कूल में पढ़ाने के कार्य के लिए टीचर्स और अन्य कामों के लिए नॉन टीचिंग स्टाफ अलग से रख जाता है। शिक्षक से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता। बोर्ड के अनुसार शिक्षकों से गैर शैक्षणिक काम लेने से उनकी क्रिएटिविटी व एजूकेशन स्किल्स प्रभावित होती है।