मोदी व सुखबीर को लिखे पत्रों के बावजूद मुआवजा लेने हेतु भटक रहा युद्धवीर

Edited By Updated: 30 Sep, 2016 10:08 AM

narender modi sukhbir singh badal

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल को लिखे पत्रों तथा उनके द्वारा संबंधित विभागों को दिशा..

जालंधर(धवन): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल को लिखे पत्रों तथा उनके द्वारा संबंधित विभागों को दिशा-निर्देश जारी करने के बावजूद अमृतसर वासी युद्धवीर मल्होत्रा पुत्र स्व. डा. नरेश मल्होत्रा को प्लाट का मुआवजा नहीं मिला है। वह पी.डब्ल्यू.डी. विभाग के दफ्तरों के चक्कर काट कर थक चुके हैं। 

 

युद्धवीर मल्होत्रा ने बताया कि खेमकरण में उनका 7 मरले का कमर्शियल प्लाट है जो दाना मंडी के सामने स्थित है। आज प्लाट की कीमत 30 से 35 लाख के मध्य है। उन्होंने कहा कि यह प्लाट पी.डब्ल्यू.डी. की सड़क में आ चुका है जिसका सरकार से मुआवजा पाने के लिए उसे ठोकरें खानी पड़ रही हैं। पी.डी.डब्ल्यू.डी. अधिकारियों की मनमर्जियों के चलते निशानदेही होने के बावजूद विभाग द्वारा अगला कदम नहीं उठाया जा रहा। उन्होंने कहा कि डिप्टी कमिश्रर द्वारा भी इस प्लाट के संबंध में पी.डब्ल्यू.डी. के अधिकारियों को कई बार लिखा जा चुका है। एस.डी.एम. की रिपोर्ट भी हुई। उन्होंने अपनी समस्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र द्वारा बताई। युद्धवीर ने बताया कि 1993 में उन्होंने खेमकरण में उक्त प्लाट खरीदा था परन्तु पी.डब्ल्यू.डी. द्वारा सड़क की गलत लाइनमैंट करने की वजह से वह अपने प्लाट से वंचित हो चुके हैं।

 

प्रधानमंत्री कार्यालय ने पंजाब के मुख्य सचिव को पत्र मार्क करके भेजा। मुख्य सचिव ने एडीशनल चीफ सैक्रेटरी को पत्र मार्क किया। इसके बावजूद पी.डब्ल्यू.डी. अधिकारी सहयोग देने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें मानसिक तौर पर परेशान किया जा रहा है। एक अधिकारी ने तो उन्हें व्हाट्सएप पर ब्ल्यू फिल्म भेजी जिसकी उन्होंने शिकायत डिप्टी कमिश्रर को की। युद्धवीर मल्होत्रा ने कहा कि उनके प्लाट का रकबा पी.डब्ल्यू.डी. ने रोड में डाल दिया। इसके बदले उन्हें मुआवजा तो दिया जाना चाहिए था। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्हें इंसाफ न दिया गया तो वह पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट की शरण में जाकर संबंधित अधिकारियों को बेनकाब करेंगे। उन्होंने कहा कि एक एक्सियन तो मुआवजा देने के लिए मान भी गया था परन्तु उसके बावजूद विभाग ने टाल-मटोल का रवैया अपना लिया। 
 

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