Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Mar, 2018 10:41 AM
जिंदगी की भागदौड़ के साथ-साथ आम इंसान बीमारियों की जद में भी उसी तेजी के साथ जा रहा है। आज बाजार में ऐसी कोई भी चीज नहीं है जिसमें मिलावट न हो। चाहे वह फल हो, सब्जियां हों या फिर दूध। यहां तक कि अब तो ड्राईफ्रूट भी सुरक्षित नहीं रहे हैं। इन्हें भी...
जालंधर (रविंदर शर्मा): जिंदगी की भागदौड़ के साथ-साथ आम इंसान बीमारियों की जद में भी उसी तेजी के साथ जा रहा है। आज बाजार में ऐसी कोई भी चीज नहीं है जिसमें मिलावट न हो। चाहे वह फल हो, सब्जियां हों या फिर दूध। यहां तक कि अब तो ड्राईफ्रूट भी सुरक्षित नहीं रहे हैं। इन्हें भी तेजाब से धोकर आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। मिलावट माफिया इस कदर आम आदमी की जिंदगी पर हावी हो चुका है कि उसके हाथों में ही हर व्यक्ति की जिंदगी खेल रही है जिसके प्रभाव के आगे जिला प्रशासन, सरकार और संबंधित सभी विभाग बौने दिखाई दे रहे हैं। एक समय था जब अपने बच्चों को तंदरुस्त बनाने के लिए फल, सब्जियां और दूध के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग की हिदायत दी जाती थी। डाक्टर भी इसे अपने रोजाना खानपान में इस्तेमाल को कहते थे, मगर अब यही खानपान आम आदमी के लिए दुविधा बनता जा रहा है। जिस दूध, फल व सब्जियों को खाकर हम तंदरुस्त होते थे, वही चीजें अब हमें बीमारियों की तरफ ले जा रही हैं। कारण साफ है कि मिलावट माफिया ने अपने पांव चारों तरफ पसार लिए हैं। खेतों में देसी खाद की जगह यूरिया का ’यादा से ’यादा प्रयोग होने लगा है और आम व्यक्ति कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में जा रहा है।
हर साल 30 प्रतिशत बढ़ रहे हार्ट अटैक के मरीज
अब 20 की उम्र के बाद हार्ट अटैक का खतरा मंडराने लगा है। पिछले 3 सालों की बात करें तो हर साल हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या में 30 प्रतिशत का इजाफा हो रहा है तो हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या भी 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। आने वाले समय में यह आंकड़ा और भी भयावह हो सकता है।
महिलाओं को साइलैंट हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा
एक शोध के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को साइलैंट अटैक सबसे ’यादा आता है। जब खून का प्रवाह पट्टिका के निर्माण से कोरोनरी धमनियों में अवरुद्ध हो जाता है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को साइलैंट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। हार्ट अटैक के मामलों में 25 प्रतिशत साइलैंट अटैक ही होता है। इससे दिमाग को सतर्क करने वाली नसों में दिक्कत आ जाती है और मरीज अटैक को महसूस नहीं कर पाता है।
मिलावट रोकने के लिए सरकार की कोई योजना नहीं
मिलावट रोकने के लिए सरकार कोई पुख्ता पॉलिसी नहीं बना सकी है। यही कारण है कि मिलावट माफिया पर कभी भी कोई शिकंजा कसा नहीं जा सका है। जिला स्तर पर मिलावट रोकने की जिम्मेदारी डिप्टी कमिश्नर, स्वास्थ्य विभाग व फूड सप्लाई विभाग की होती है, मगर इन दोनों विभागों की ओर से भी कभी भी कोई प्रयास नहीं किए गए।
साइलैंट अटैक का खतरा बढ़ा
मिलावट व यूरिया के बढ़ते प्रभाव से साइलैंट हार्ट अटैक का खतरा ’यादा मंडराने लगा है। साइलैंट अटैक, हार्ट अटैक के दौरे से बिल्कुल विपरीत होता है, क्योंकि हार्ट अटैक आने से पहले सीने में जलन या फिर दर्द होना स्वाभाविक है, मगर साइलैंट हार्ट अटैक में ऐसा नहीं होता। मरीज को पता नहीं चलता कि उसके साथ क्या हो रहा है।
मिलावट रोकने के लिए सरकार लाएगी सख्त कानून : सी.एम.
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह का कहना है कि मिलावट आम आदमी की जिंदगी में जहर घोल रही है। सरकार इसको लेकर काफी ङ्क्षचतित है। कैप्टन कहते हैं कि पहले भी कांग्रेस ने ही मिलावट माफिया पर शिकंजा कसा था और अब सरकार जल्द ही मिलावट रोकने के लिए सख्त कानून लाने जा रही है।