ट्रांसपोर्ट विभाग में हो सकती हैं कई गिरफ्तारियां, विजीलैंस की जांच आखिरी पायदान पर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 12:52 PM

many arrests may occur in the transport department

गत दिनों विजीलैंस विभाग ने ट्रांसपोर्ट विभाग में दबिश दी थी और होशियारपुर के ए.आर.टी.ए. प्यारा सिंह व उनके ड्राइवर ए.एस.आई. रमेश हैप्पी को गिरफ्तार किया था। इसके बाद आर.टी.ए. दफ्तर जालंधर व होशियारपुर सहित ड्राइविंग ट्रैक पर लगातार 12 घंटे चैकिंग...

जालन्धर(बुलंद): गत दिनों विजीलैंस विभाग ने ट्रांसपोर्ट विभाग में दबिश दी थी और होशियारपुर के ए.आर.टी.ए. प्यारा सिंह व उनके ड्राइवर ए.एस.आई. रमेश हैप्पी को गिरफ्तार किया था। इसके बाद आर.टी.ए. दफ्तर जालंधर व होशियारपुर सहित ड्राइविंग ट्रैक पर लगातार 12 घंटे चैकिंग करके काफी रिकार्ड जब्त किया था। इसके बाद से ही विभाग के रिकार्ड की लगातार चैकिंग जारी है। पता चला है कि विजीलैंस की ओर से जब्त किए गए कागजात व कम्प्यूटर डाटा की काफी हद तक जांच पूरी हो चुकी है और आने वाले दिनों में विभाग के कई कर्मचारी व प्राइवेट कारिंदे विजीलैंस की गिरफ्त आ सकते हैं। ऐसे में जहां विभाग के कर्मचारियों में टैंशन बढ़ी हुई है वहीं प्राइवेट कारिंदों की आमद ट्रांसपोर्ट विभाग में कम हो गई है लेकिन बाबुओं के पक्के प्राइवेट कारिंदे अभी भी विभाग में काम करते दिखाई दे रहे हैं। 


ओ.डी. और पुराने वी.आई.पी. नंबरों के घपलों की भी पहुंची पुलिस के पास शिकायत
विजीलैंस की जांच में एक नया मामला भी सामने आया है। किसी व्यक्ति ने डी.टी.ओ. ऑफिस में ओ.डी. व पुराने वी.आई.पी. नंबरों के नाम पर किए गए घपलों की शिकायत ए.सी.पी. सैंट्रल को की है। जहां से यह शिकायत थाना बारादरी को जांच के लिए रैफर की गई है। जानकारों की मानें तो यह मामला अपने आप में एक बड़ा स्कैंडल साबित हो सकता है क्योंकि विभागीय जानकारों के अनुसार अगर यह शिकायत विजीलैंस की जांच में शामिल की जाए तो ऐसा स्कैंडल सामने आएगा जो करोड़ों रुपए की काली कमाई पर से पर्दा उठा सकता है। शहर के बड़े कार डीलरों के साथ मिलकर ट्रांसपोर्ट कर्मचारियों ने करोड़ों रुपए के पुराने छोटे नंबर जैसे पी.ए.यू., पी.सी.ए., पी.आई.एक्स. आदि सीरीजों के नंबर एक-एक लाख रुपए में बेच कर करोड़ों रुपए अर्जित किए।  इसी प्रकार ओ.डी. नंबरों की आर.सीज के नाम पर भारी घपलेबाजियां की गईं। इनमें से कई नंबरों की आर.सीज मैनुअल बनाई गई जिनका कोई कम्प्यूटर रिकार्ड ही नहीं है। पी.एस.यू. सीरीज के 1 से 9 नंबर तक के पेज ही रजिस्टर से गायब कर दिए गए हैं। विभागीय जानकारों की मानें तो अब सरकारी बाबुओं ने आसान रास्ता अपना लिया है कि पकड़े जाने पर सारा कसूर अपने प्राइवेट कारिंदे पर निकाल दो। पर प्रश्न यह है कि क्या सरकारी रिकार्ड के पेज गायब करने और मैनुअल आर.सीज बनाकर प्राइवेट कारिंदों को कोई लाभ होगा? जानकारी के अनुसार विजीलैंस का शिकंजा सरकारी कर्मचारियों पर कसने की पूरी तैयारी है।


रिटायर और तबदील कर्मचारियों व अधिकारियों को भी किया जा सकता है जांच में शामिल
जानकारी के अनुसार विजीलैंस ब्यूरो जब्त कागजातों के आधार पर रिटायर हो चुके या तबादलों के कारण दूसरे जिलों में जा चुके कर्मचारियों व अधिकारियों को भी जांच में शामिल कर सकता है।

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