Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 10:47 AM
जालंधर विकास मंच द्वारा सी.एम. कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नाम पर एक ज्ञापन भेजकर प्रदेश स्तर पर आटोरिक्शा के संबंध में एक स्टेट पॉलिसी बनाने की मांग की गई है। इस संबंधी जानकारी देते हुए प्रधान राजकुमार भल्ला ने बताया कि आजकल सारे प्रदेश में आटोरिक्शा...
जालंधर(अमित): जालंधर विकास मंच द्वारा सी.एम. कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नाम पर एक ज्ञापन भेजकर प्रदेश स्तर पर आटोरिक्शा के संबंध में एक स्टेट पॉलिसी बनाने की मांग की गई है। इस संबंधी जानकारी देते हुए प्रधान राजकुमार भल्ला ने बताया कि आजकल सारे प्रदेश में आटोरिक्शा टैरर चल रहा है क्योंकि बेरोजगारी होने के कारण बहुत सारे लोगों ने आटोरिक्शा खरीदकर शहर में चलाना शुरू कर दिया है। पंजाब में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की कमी होने के कारण प्राइवेट ट्रांसपोर्टेशन दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।
शहर में जितने आटोरिक्शा की जरूरत है, उससे कई गुना ज्यादा चल रहे हैं। यह भी देखने में आया है कि आटोरिक्शा की गिनती ज्यादा होने के कारण शहरों में आवाज और हवा के प्रदूषण में बहुत बढ़ौतरी हुई है। बहुत से आटोरिक्शा सिर्फ डीजल ही नहीं, मिट्टी का तेल डालकर भी चलाए जाते हैं जिस कारण वायु प्रदूषण में बहुत ज्यादा बढ़ौतरी हो रही है और सांस लेने में भी मुश्किल हो रही है। शहरवासियों की सेहत के ऊपर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। आमतौर पर यह देखा गया है कि आटोरिक्शा ड्राइवर सबसे ज्यादा ट्रैफिक रूल्ज का उल्लंघन करते हैं। सवारी उठाने के लालच में आटोरिक्शा ड्राइवर सड़क के बीच में ही अपनी मनमर्जी के अनुसार आटोरिक्शा खड़ी कर देते हैं जिससे ट्रैफिक जाम हो जाता है। लाल बत्ती का उल्लंघन करने वालों में आटोरिक्शा ड्राइवर पहले नंबर पर आते हैं। बहुत सारे आटोरिक्शा ड्राइवरों के पास कानूनी रूप में लाइसैंस और परमिट भी नहीं होते हैं।
परमिट न होने के कारण जिला एडमिनिस्ट्रेशन के पास इन आटोरिक्शा का पूरा रिकार्ड ही नहीं है। ज्यादातर आटोरिक्शा ड्राइवर अनपढ़ होते हैं और इस कारण उनके पास ड्राइविंग लाइसैंस भी नहीं होते हैं। यह बात भी हैरानी करने वाली है कि ट्रैफिक पुलिस की तरफ से आटोरिक्शा ड्राइवरों द्वारा ट्रैफिक रूल्ज का उल्लंघन करने के बावजूद भी उनके चालान बहुत कम गिनती में किए जाते हैं। इसी तरह अगर कभी भी यात्री का आटोरिक्शा ड्राइवर के साथ कोई झगड़ा हो जाता है तो आटोरिक्शा यूनियन की तरफ से उसके साथ बुरा बर्ताव किया जाता है और मारपीट तक बात पहुंच जाती है। उपरोक्त सारे तथ्यों के मद्देनजर यह बात जरूरी है कि पंजाब सरकार की तरफ से आटोरिक्शा टैरर को कंट्रोल करने के लिए एक स्टेट लैवल पॉलिसी बनाई जाए। इसके साथ-साथ पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बढ़ौतरी करने की जरूरत है ताकि आटोरिक्शा टैरर पर कंट्रोल किया जा सके और आम जनता को ट्रैफिक की परेशानियों से छुटकारा दिलाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से सी.एन.जी. या एल.पी.जी पर आटोरिक्शा लाने की पॉलिसी बनाई जाए और पैट्रोल, डीजल या मिट्टी के तेल पर चलने वाले आटो पर पूर्ण पाबंदी लगाई जाए।