Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Mar, 2018 10:52 AM
आयकर विभाग द्वारा छोटे कस्बों की तरफ भी रुख किया गया है तथा इन कस्बों में कम टैक्स का भुगतान करने वाली व्यापारिक इकाइयां भी विभाग के निशाने पर आ गई हैं। विभागीय सूत्रों से पता चला है कि आयकर विभाग के प्रिंसीपल इंकम टैक्स कमिश्रर जालन्धर-2 पी.एम....
जालन्धर(धवन): आयकर विभाग द्वारा छोटे कस्बों की तरफ भी रुख किया गया है तथा इन कस्बों में कम टैक्स का भुगतान करने वाली व्यापारिक इकाइयां भी विभाग के निशाने पर आ गई हैं। विभागीय सूत्रों से पता चला है कि आयकर विभाग के प्रिंसीपल इंकम टैक्स कमिश्रर जालन्धर-2 पी.एम. शिवा कुमार के निर्देशों तथा एडीशनल कमिश्रर ए.एन. मिश्रा (रेंज-4) के निरीक्षण में भोगपुर में सैनी क्लॉथ हाऊस का सर्वे किया गया। सर्वे की कार्रवाई मंगलवार सुबह शुरू हुई थी जो आज सुबह समाप्त हुई। इस दौरान सैनी क्लॉथ हाऊस ने विभाग के सामने 70 लाख रुपए की राशि सरैंडर कर दी। आयकर विभाग को इसमें से 30 प्रतिशत की राशि टैक्स के रूप में प्राप्त होगी। छोटे कस्बों में भी कई व्यापारिक इकाइयां ऐसी हैं जो अपनी आमदनी की तुलना में कम टैक्स का भुगतान कर रही हैं।
सर्वे की कार्रवाई में कौन-कौन से अधिकारी शामिल हुए
आयकर विभाग द्वारा भोगपुर में की गई सर्वे की कार्रवाई में वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया। इसमें डिप्टी कमिश्रर एम.एस. परमार, आई.टी.ओ. विनीत कुमार, आई.टी.ओ. सोमनाथ तथा आई.टी.ओ. अनिल भट्टी ने भी भाग लिया। लम्बे समय तक चली कार्रवाई के बाद व्यापारिक इकाई ने राशि सैरेंडर करने में ही अपनी गनीमत समझी। छोटे से कस्बे में विभाग के सामने 70 लाख रुपए की राशि सैरेंडर होना विभाग की एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
जालन्धर में हुआ सर्वे विभाग की बड़ी उपलब्धि
गत दिवस आयकर विभाग के पिं्रसीपल कमिश्रर जालन्धर पी.एम. शिवा कुमार तथा संयुक्त कमिश्रर श्रीमती बलविंद्र कौर के निर्देशन में आयकर अधिकारियों द्वारा जालन्धर में नंदा गन हाऊस के किए गए सर्वे दौरान नंदा गन हाऊस द्वारा 60 लाख रुपए की राशि सरैंडर करने की पेशकश की गई थी लेकिन आयकर विभाग के अधिकारियों ने 1.05 करोड़ की राशि सरैंडर कराने में सफलता हासिल की। यह आयकर विभाग की एक बड़ी उपलब्धि है तथा इसका श्रेय आयकर विभाग के सभी अधिकारियों व टीम सदस्यों को जाता है। इस कार्रवाई से उन करदाताओं को सीख लेनी चाहिए कि वे स्वयं आगे आकर उचित आयकर का भुगतान करें ताकि आयकर विभाग को ऐसी कार्रवाई करने की जरूरत ही न पड़े। करदाता ऐसा करके जहां स्वयं चैन से रहेंगे वहीं पर वह देश के विकास में भी अपना योगदान दे सकेंगे।