Edited By Updated: 16 Sep, 2016 01:51 PM
आयकर विभाग के प्रिंसीपल कमिश्रर जालंधर-2 अजयपाल सिंह ने कहा है कि आयकर विभाग इंकम डैक्लेरेशन
जालंधर (धवन): आयकर विभाग के प्रिंसीपल कमिश्रर जालंधर-2 अजयपाल सिंह ने कहा है कि आयकर विभाग इंकम डैक्लेरेशन स्कीम-2016 के माध्यम से उन लोगों को भी अपनी अघोषित आय व सम्पत्ति की घोषणा करने का अवसर प्रदान कर रहा है, जिन्होंने पिछले वर्षों में अपनी आय पर सही कर का भुगतान नहीं किया। यह स्कीम 1 जून से शुरू हुई थी जो 30 सितम्बर 2016 को खत्म हो रही है।
उन्होंने कहा कि इस स्कीम के नियम 15 मई की अधिसूचना में करदाताओं को बता दिए गए थे। स्कीम में अघोषित आय व सम्पत्ति की घोषणा पर देय राशि 3 किस्तों में जमा करवाई जा सकती है। पहली किस्त 25 प्रतिशत होगी, जो 30 नवम्बर 2016 तक जमा होगी। दूसरी किस्त भी 25 प्रतिशत होगी, जो 31 मार्च 2017 तक तथा शेष 50 प्रतिशत राशि 30 सितम्बर 2017 तक जमा करवाई जा सकती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सभी बैंकों को निर्देश जारी किए हैं कि इस स्कीम के अंतर्गत देय राशि का भुगतान बैंक नकदी के रूप में भी स्वीकार करें।
उन्होंने कहा कि अघोषित आय पर यदि कोई टी.डी.एस. काटा गया है तो उसका लाभ स्कीम में मिलेगा। बेनामी सम्पत्ति की घोषणा करने के उपरांत बेनामी दाग से घोषणाकर्त्ता के नाम सम्पत्ति के हस्तांतरण पर कोई कैपीटल गेन टैक्स या टी.डी.एस. नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि बैलेंस शीट में की गई गलत व असत्य प्रविष्टियां, जिनका किसी सम्पत्ति के साथ कोई संबंध नहीं है, को भी इस स्कीम में घोषित किया जा सकता है। रजिस्टर्ड अघोषित सम्पत्तियों के मामले में सम्पत्ति को होल्डिंग (स्वामित्व) का समय रजिस्ट्रेशन की तिथि से गिना जाएगा। रजिस्टर्ड वैल्यूअर से प्राप्त वैल्यूएशन रिपोर्ट के संबंध में विभाग द्वारा कोई पूछताछ नहीं की जाएगी परंतु रजिस्टर्ड वैल्यूअर द्वारा जवाबदेही पूर्वक मूल्यांकन करना अपेक्षित है।
अजयपाल सिंह ने बताया कि फाइनांशियल इंटैलीजैंस यूनिट (एस.आई.यू.) या आयकर विभाग द्वारा घोषणा के उपरांत नकदी जमा करवाने मात्र के आधार पर कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस स्कीम में घोषित सम्पत्ति/आय के संबंध में बाद में सर्च/सर्वे के दौरान कोई साक्ष्य पाए जाने पर भी कोई जांच नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्कीम के अंतर्गत 30 अगस्त के सर्कुलर नम्बर 31 द्वारा यह सुविधा प्रदान की गई है कि यदि कोई घोषणाकत्र्ता चाहे तो डिजीटल सिग्नेचर के साथ इलैक्ट्रॉनिक रूप से अपना फार्म केन्द्रीय प्रोसैसिंग यूनिट (सी.पी.सी.) को भेज सकता है। ऐसे मामलों में जानकारी स्थानीय प्रधान आयकर आयुक्त को नहीं दी जाएगी। किसी भी पिछले निर्धारण वर्ष में अघोषित आय को अगले निर्धारण वर्ष की निर्धारण प्रक्रिया (एसैसमैंट प्रोसीडिंग) के दौरान उससे संबंधित लेन-देन/प्रविष्टि (ट्रांजैक्शन) के स्पष्टीकरण के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।