Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 08:20 AM
पंजाब में अवैध हथियारों की सप्लाई थमने का नाम नहीं ले रही। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि जब आपराधिक छवि के कारण उनके असला लाइसैंस सरकार नहीं बनाती तो वे अवैध असला खरीदने से नहीं डरते। जानकारों की मानें तो भारत में पाकिस्तान और चीन के हथियार...
जालंधर(बुलंद): पंजाब में अवैध हथियारों की सप्लाई थमने का नाम नहीं ले रही। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि जब आपराधिक छवि के कारण उनके असला लाइसैंस सरकार नहीं बनाती तो वे अवैध असला खरीदने से नहीं डरते। जानकारों की मानें तो भारत में पाकिस्तान और चीन के हथियार नेपाल के जरिए अवैध रूप से सप्लाई हो रहे हैं। इसके अलावा देश में बिहार व यू.पी. में अवैध हथियारों की सैंकड़ों फैक्टरियां चल रही हैं जिनसे अपराधियों को हथियार बहुत ही कम दाम में मिल जाते हैं।
कौन-कौन से अवैध हथियार आ रहे हैं पंजाब?
सूत्रों के अनुसार जहां बिहार और यू.पी. में अवैध हथियारों का सबसे ’यादा निर्माण हो रहा है वहीं पंजाब व हरियाणा अवैध हथियारों की सबसे बड़ी मार्कीट बन चुका है। पंजाब में अवैध हथियारों का शौक सिर्फअपराधियों को ही नहीं है, बल्कि कुछ युवा वर्ग भी ऐसा है जो शौक के तौर पर अवैध हथियार रखता है। अवैध हथियारों का 80 प्रतिशत हिस्सा पंजाब के गांवों में जा रहा है। इस समय विदेशी अवैध हथियार सिर्फ गैंगस्टरों या बड़े अपराधियों के पास ही हैं। देसी छोटे कट्टे, बंदूकें या पिस्टल के लिए 5 हजार से लेकर 25 हजार रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। पंजाब में देसी अवैध हथियारों की सप्लाई बिहार के मुंगेर, यू.पी. के इटावा, मैनपुरी, मध्य प्रदेश के खंडवा, बुरहानपुर, थार व खरगोन जिलों से हो रही है। पंजाब में कई बिहारी और यू.पी. के दलाल सक्रिय हैं जो पंजाब व हरियाणा में अवैध असला मुहैया करवाते हैं। जहां असला बनता है वहां तो ये कट्टे महज एक हजार रुपए में मिल जाते हैं पर पंजाब आते-आते ये 5 हजार रुपए के हो जाते हैं। इसी प्रकार पिस्टल और बंदूकें 10 हजार से 40 हजार रुपए तक पहुंच जाती हैं। युवा अपराधियों में अवैध असले का क्रेज बढ़ता जा रहा है।
अवैध हथियारों के आकाओं तक नहीं पहुंच पाती पुलिस
पंजाब में पिछले 5 सालों में अवैध असले की डिमांड 15 फीसदी बढ़ी है। इससे पुलिस अ‘छी तरह वाकिफ है।
पुलिस की कठिनाई और मजबूरी यह है कि अवैध असला अगर पकड़ा जाता है तो आरोपी से पकड़ा असला ही पुलिस के लिए पहला और आखिरी मामला होता है क्योंकि जहां से असला आया है, उस तक पंजाब की पुलिस नहीं पहुंच पाती। क्योंकि उसे पता है कि जहां अवैध असला बनता है, उसे रोकना पंजाब पुलिस के बस की बात नहीं है। इस कारण पुलिस की कार्रवाई पकड़े गए आरोपी तक सीमित होकर रह जाती है।
अवैध असले की इंफॉर्मेशन पर होती है कार्रवाई : सिन्हा
मामले बारे जालंधर पुलिस क मिश्नर का कहना है कि अवैध विदेशी असला पाकिस्तान और नेपाल से भारत आता है, जो देसी असला है वह यू.पी., बिहार में बनता है जिस बारे नैशनल एजैंसियों द्वारा समय-समय पर कार्रवाई होती है।
पुलिस को जहां भी कहीं अवैध असला होने की सूचना मिलती है, छापामारी करके उसे काबू किया जाता है। अपराधियों से पूछताछ के आधार पर भी कार्रवाई होती है। कमिश्नर सिन्हा का कहना है कि यह अपराध तब तक नहीं रुकने वाला जब तक आम जनता जागरूक होकर इसके खिलाफ खड़ी न हो। अगर किसी घर में अवैध असला है तो उस बारे पुलिस को सूचना दी जानी चाहिए।
गैंगस्टरों से परेशान है राज्यों की पुलिस
जानकारों की मानें तो सियासी प्रोटैक्शन में छोटे-मोटे अपराधियों से गैंगस्टर बन चुके अपराधी देश के विभिन्न रा’यों की पुलिस के लिए परेशानी बन चुके है। इसके चलते पुलिस अधिकारियों ने गैंगस्टरों के एनकाऊंटर करने का काम शुरू किया हुआ है। पिछले कुछ महीनों में यू.पी. में ही 1100 एनकाऊंटर हो चुके हैं। चेन्नई में एक बर्थडे पार्टी में रेड करके पुलिस ने 100 से ज्यादा गैंगस्टरों को गिरफ्तार किया है। पंजाब में गत दिनों पुलिस ने 2 बड़े गैंगस्टरों का एनकाऊंटर किया और पिछले कुछ माह में दर्जन भर एनकाऊंटर पूरे पंजाब में किए जा चुके हैं। इसके पीछे का सच यह है कि पुलिस पर जहां अपराध को खत्म करने का दबाव है वहीं गैंगस्टर बन चुके युवा वापस मुख्य धारा में लौटकर आने को तैयार नहीं हैं क्योंकि वे अपराध की दलदल में इस कदर धंस चुके हैं कि अगर वे सिरैंडर करते हैं तो सारी जिंदगी जेलों में गुजरेगी। इसी चक्कर में वे अपराध की दुनिया छोडऩे को तैयार नहीं होते। आखिर पुलिस को एनकाऊंटर का राह अपनाना पड़ रहा है।