Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Mar, 2018 11:36 AM
डी.टी.ओ. कार्यालय जालंधर में लगभग डेढ़-दो साल पहले सामने आए हैवी लाइसैंस घोटाले नामक तूफान, जिसने पूरे परिवहन विभाग को बुरी तरह से हिलाकर रख दिया था, को अंजाम देने वाले चेहरे जो अभी तक पर्दे के पीछे छिपे हुए थे, उनकी पोल बड़ी जल्दी खुलने वाली है,...
जालंधर(अमित): डी.टी.ओ. कार्यालय जालंधर में लगभग डेढ़-दो साल पहले सामने आए हैवी लाइसैंस घोटाले नामक तूफान, जिसने पूरे परिवहन विभाग को बुरी तरह से हिलाकर रख दिया था, को अंजाम देने वाले चेहरे जो अभी तक पर्दे के पीछे छिपे हुए थे, उनकी पोल बड़ी जल्दी खुलने वाली है, क्योंकि निजी कंपनी की तरफ से विजीलैंस द्वारा मांगा गया हैवी लाइसैंस रिकार्ड सौंप दिया गया है। रिकार्ड के आधार पर विजीलैंस की जांच में तेजी आने की संभावना जताई जा रही है। अगर सब कुछ ठीक रहता है तो आने वाले कुछ दिनों में करोड़ों रुपए के हैवी लाइसैंस घोटाले का खुलासा हो जाएगा और जिस तरह से विजीलैंस कार्रवाई को अंजाम दे रही है, उसको देखकर यह कहना गल्त नहीं होगा कि इस घोटाले के असली दोषियों के बचने की कोई उम्मीद शेष नहीं है।
क्या है मामला, विजीलैंस ने क्यों मांगा था रिकार्ड?
दिसम्बर, 2017 में विजीलैंस विभाग ने आर.टी.ए. दफ्तर में रेड कर लगातार कुछ दिनों तक गहन जांच-पड़ताल की थी, जिस दौरान विजीलैंस का ध्यान हैवी लाइसैंस घोटाले की तरफ भी गया था। हैवी लाइसैंस घोटाले के दौरान एक बेहद महत्वपूर्ण बात सामने आई थी कि 1 जुलाई, 2016 को एक ही दिन में &7 हैवी लाइसैंस का प्रिंट निकाला गया था। इतनी बड़ी गिनती में केवल एक ही दिन में एच.टी.वी. लाइसैंस का प्रिंट निकाला जाना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। इस संबंधी विजीलैंस को भी जानकारी मिली थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हैवी लाइसैंस रिकार्ड की गहन पड़ताल होगी और इस पूरे मामले में एक ही दिन के अंदर निकाले गए &7 हैवी लाइसैंसों पर विजीलैंस की विशेष नकार रहेगी। हैवी लाइसैंस घोटाला सामने आने के बाद इस बात की भी पुष्टि हुई थी कि लगभग &98 हैवी लाइसैंसों में से लगभग आधे हैवी लाइसैंस ऐसे थे, जो बिना मुक्तसर से मिलने वाले ट्रेनिंग सर्टीफिकेट के जारी किए गए थे।
इतने बड़े स्तर पर हुए घोटाले के सामने आते ही पूरे डी.टी.ओ. कार्यालय के पैरों तले जमीन निकल गई थी। ऐसी बातें सामने आने के उपरांत विभाग ने निजी कंपनी स्मार्ट चिप से हैवी लाइसैंस का सारा रिकार्ड मांगा था। मगर निजी कंपनी स्मार्ट ने हैवी लाइसैंस का रिकार्ड देने से साफ तौर पर मना कर दिया था, क्योंकि निजी कंपनी का कहना था कि उनके पास कोई डाटा मौजूद ही नहीं है और अगर विजीलैंस को कोई रिकार्ड चाहिए तो वह एन.आई.सी. से लेकर दे सकते हैं। निजी कंपनी द्वारा मना करने पर विजीलैंस ने सख्ती बरती थी, जिसके उपरांत निजी कंपनी ने 2011 से लेकर जनवरी, 2018 तक के कार्यकाल में बने सारे हैवी लाइसैंस का रिकार्ड उन्हें सौंपा था।सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 700-800 पन्नों पर उक्त रिकार्ड के प्रिंट निकालकर विभाग को दिए गए थे, साथ ही सारे रिकार्ड को एक पैन-ड्राइव में डालकर भी दिया गया था। विजीलैंस द्वारा हैवी लाइसैंसों के सारे रिकार्ड की टैक्नीकल एक्सपर्ट से जांच करवाई जाएगी, ताकि इस पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
आवेदकों के पुराने लाइसैंस रिकार्ड की डिटेल मांगने पर खुल सकते हैं कई भेद
इस पूरे मामले में जो बात सबसे अहम है कि अधिकतर गल्त हैवी लाइसैंस बिना किसी पुराने रिकार्ड के सारे नियमों को ताक पर रखते हुए सीधा ही बनाए गए थे। ऐसे में अगर विजीलैंस विभाग द्वारा गल्त ढंग से बनाए गए हैवी लाईसैंस के आवेदकों से पुराने लाइसैंस का रिकार्ड मंगवाते हैं, तो कई भेद खुल सकते हैं।
40 से 50 हजार रुपए प्रति लाइसैंस लेकर करोड़ों के हुए थे वारे-न्यारे
पूर्व डी.टी.ओ. दफ्तर में जब हैवी लाइसैंस घोटाला अपनी चर्म-सीमा पर था, उस समय निजी कंपनी के कर्मचारी सरेआम एक हैवी लाइसैंस के लिए 40 से 50 हजार रुपए जैसी मोटी राशि वसूल रहे थे। कुछ ही समय में सैंकड़ों गल्त हैवी लाइसैंस बनाकर संंबंधित कर्मचारियों ने करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे किए थे। सूत्रों की मानें तो घोटाले में फंसे कर्मचारियों ने अपनी जान छुड़वाने के लिए उस समय लाखों रुपए खर्च भी किए थे, ताकि मामले को किसी तरह से रफा-दफा किया जा सके और वह अपने मंसूबों में कामयाब रहे, क्योंकि घोटाले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था और किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
जो रिकार्ड मांगा गया था, वह सौंप दिया गया है : इंचार्ज
निजी कंपनी स्मार्ट चिप के ट्रैक इंचार्ज अमित से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने हैड-आफिस से प्राप्त निर्देशानुसार विजीलैंस द्वारा मांगा गया पूरा रिकार्ड उनको सौंप दिया है।
रिकार्ड मिल गया है, जांच के बाद होगी अगली कार्रवाई : सतपाल
डी.एस.पी. विजीलैंस सतपाल चौधरी ने बताया कि हैवी लाइसैंस का रिकार्ड मिल गया है। रिकार्ड की गहन जांच की जाएगी। जो भी गल्त लाइसैंस जारी किए गए होंगे उनको वैरीफाई करने के पश्चात दोषियों के खिलाफ बनती कार्रवाई की जाएगी।